गीता 5,000 वर्ष से प्रसंगिक है और आगे भी रहेगी- गजेंद्र सिह शेखावत

आपका अखबार ब्यूरो। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ‘भगवद्गीता’ और भरतमुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ को ‘यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ के इंटरनेशनल रजिस्टर में सूचीबद्ध किए जाने पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। इसका उद्घाटन सत्र 30 जुलाई, बुधवार को अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। संगोष्ठी का […] The post गीता 5,000 वर्ष से प्रसंगिक है और आगे भी रहेगी- गजेंद्र सिह शेखावत first appeared on Apka Akhbar.

गीता 5,000 वर्ष से प्रसंगिक है और आगे भी रहेगी- गजेंद्र सिह शेखावत
गीता 5,000 वर्ष से प्रसंगिक है और आगे भी रहेगी- गजेंद्र सिह शेखावत

गीता 5,000 वर्ष से प्रसंगिक है और आगे भी रहेगी- गजेंद्र सिह शेखावत

Introduction

भारत की सांस्कृतिक धरोहर में 'भगवद्गीता' का महत्व हमेशा से विशेष रहा है। हाल ही में, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने 'गीता' और भरतमुनि के 'नाट्यशास्त्र' को 'यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड' के इंटरनेशनल रजिस्टर में सूचीबद्ध करने पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय जल मंत्रालय के मंत्री गजेंद्र सिह शेखावत ने गीता की प्रासंगिकता पर विशेष जोर दिया।

संगोष्ठी का उद्देश्य

इस संगोष्ठी का उद्देश्य 'भगवद्गीता' और 'नाट्यशास्त्र' के महत्व को उजागर करना और इन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाना है। गजेंद्र सिह शेखावत ने कहा कि गीता 5,000 वर्ष से अधिक पुरानी है और आज भी यह हमारे जीवन में मार्गदर्शन करती है। उनके अनुसार, गीता के उपदेश समय, स्थान और संस्कृति की सीमाओं से परे हैं, जिससे यह हर पीढ़ी के लिए प्रासंगिक बनी रहती है।

गजेंद्र सिह शेखावत का संदेश

गजेंद्र सिह ने अपने भाषण में यह भी बताया कि गीता न केवल आध्यात्मिक बल्कि एक व्यावहारिक जीवन जीने की दिशा भी प्रदान करती है। उन्होंने कहा, "गीता हमें साहस और धैर्य का पाठ पढ़ाती है, जो किसी भी चुनौती का सामना करने में मदद करते हैं।" वर्तमान समय में जब समाज में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, गीता का ज्ञान हमें संजीवनी की तरह उर्ख देता है।

भविष्य का दृष्टिकोण

शेखावत का मानना है कि आने वाले समय में गीता के उपदेश और भी महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने यह उम्मीद जताई कि युवा पीढ़ी गीता को एक प्रेरणा स्रोत के रूप में स्वीकार करेगी। 'गीता' का ज्ञान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानवता के मानवीय मूल्यों के लिए भी आवश्यक है।

Conclusion

समाज आज कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में गीता के शिक्षाओं की अहमियत और बढ़ जाती है। यह संगोष्ठी हमारे राक्षसी समय में आशा की किरण प्रस्तुत करती है। गजेंद्र सिह शेखावत के विचारों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि 'भगवद्गीता' केवल एक पुस्तक नहीं है, बल्कि यह एक अमूल्य धरोहर है जो हमें जीवन में दिशा निरूपित करती है।

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