धर्मांतरण पर देशभर में लगे प्रतिबंध! विहिप ने केंद्र से मांगा कड़ा कानून
तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में केरल की दो ननों की छत्तीसगढ़ में गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्व हिंदू परिषद के महासचिव सुरेंद्र जैन ने बुधवार को केंद्र सरकार से धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून लाने का आग्रह किया। एएनआई से बात करते हुए, जैन ने आरोप लगाया कि चर्च पर मानव तस्करी के आरोप लगाए गए हैं और अवैध धर्मांतरण को रोका जाना चाहिए। जैन ने एएनआई को बताया कि यह पहली बार नहीं है जब ये आरोप लगाए गए हैं... चर्च पर मानव तस्करी जैसे आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका समर्थन नहीं किया जाना चाहिए। सेवा की आड़ में वे जो अवैध धंधा चला रहे हैं, उसे रोका जाना चाहिए... हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि यह कानून (धर्मांतरण विरोधी कानून) कुछ राज्यों में लागू है, लेकिन इसका नेटवर्क व्यापक और देशव्यापी है। इसलिए, धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून लाया जाना चाहिए। इसे भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार केरल की ननों को जमानत देने से इनकार, NIA कोर्ट में अगली सुनवाईउन्होंने आगे दावा किया कि गिरफ़्तारी के बाद एक "हिंदू-विरोधी माहौल" सक्रिय हो गया और उन्होंने इसका विरोध करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। यह पाया गया कि वे मानव तस्करी और अवैध धर्मांतरण के अवैध धंधे में शामिल थीं। जैसे ही ननों की गिरफ़्तारी हुई और जाँच शुरू हुई, हिंदू-विरोधी माहौल तुरंत सक्रिय हो गया। हिंदू-विरोधी माहौल सक्रिय हो गया और राहुल गांधी भी तुरंत सक्रिय हो गए... अगर यहाँ कुछ गड़बड़ है, तो कांग्रेस को विरोध नहीं करना चाहिए, लेकिन अगर वे विरोध करते रहेंगे, तो इसका मतलब ज़रूर है कि कुछ गड़बड़ है। इससे पहले दिन में तिरुवनंतपुरम के मेजर आर्कबिशप, कार्डिनल बेसिलियोस क्लीमिस ने जबरन धर्मांतरण के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि कथित पीड़ित पहले से ही ईसाई थे। इसे भी पढ़ें: Nimisha Priya की मौत की सजा नहीं हुई है रद्द, विदेश मंत्रालय ने माफी के दावों को नकारा!बता दें कि कथित धर्मांतरण के सिलसिले में छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार केरल की दो ननों की ज़मानत याचिकाएँ निचली अदालत और सत्र न्यायालय, दोनों ने खारिज कर दी हैं। सत्र न्यायालय की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश अनीश दुबे (एफटीएससी) ने फैसला सुनाया कि मानव तस्करी के आरोपों के कारण यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, जिसके कारण यह राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) अदालत के दायरे में आता है। अब इस मामले की सुनवाई बिलासपुर स्थित एनआईए कोर्ट में होगी। तब तक, नन न्यायिक हिरासत में रहेंगी। शिकायतकर्ता के वकील राजकुमार तिवारी द्वारा इस अदालत में एक नई याचिका दायर करने की उम्मीद है।

धर्मांतरण पर देशभर में लगे प्रतिबंध! विहिप ने केंद्र से मांगा कड़ा कानून
तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में केरल की दो ननों की छत्तीसगढ़ में गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्व हिंदू परिषद के महासचिव सुरेंद्र जैन ने बुधवार को केंद्र सरकार से धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून लाने का आग्रह किया। उनका कहना है कि चर्च पर मानव तस्करी के गंभीर आरोप लगे हैं और अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए एक सख्त कानून की आवश्यकता है।
केंद्र से कड़े कानून की मांग
एएनआई से बात करते हुए, जैन ने आरोप लगाया कि चर्च द्वारा मानव तस्करी जैसे आरोप लगाए गए हैं और कहा कि यह पहला अवसर नहीं है, जब ऐसे आरोप सामने आए हैं। उनका दावा है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्हें अब समर्थित नहीं किया जाना चाहिए। जैन ने सरकार से अपील की है कि यह कानून (धर्मांतरण विरोधी कानून) कुछ राज्यों में लागू है, लेकिन इसे व्यापक और देशव्यापी बनाना चाहिए।
हिंदू-विरोधी माहौल का आरोप
जैन ने आगे कहा कि ननों की गिरफ़्तारी के बाद "हिंदू-विरोधी माहौल" सक्रिय हो गया है। उन्होंने कांग्रेस को इस मामले में आलोचना का निशाना बनाया। उनका कहना था कि गिरफ़्तारी के बाद से जो विरोध हो रहे हैं, वे देश के लिए ठीक नहीं हैं। जैन यह दावा करते हैं कि कांग्रेस यदि विरोध नहीं करती है, तो इसका अर्थ है कि कुछ गड़बड़ है।
कांग्रेस और चर्च द्वारा आरोपों का खंडन
इस बीच, तिरुवनंतपुरम के मेजर आर्कबिशप, कार्डिनल बेसिलियोस क्लीमिस ने जबरन धर्मांतरण के आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना था कि कथित पीड़ित पहले से ही ईसाई थे, इसलिए आरोपों में कोई वास्तविकता नहीं है। हालांकि, मामले की कानूनी स्थिति अभी भी अनिश्चितता में है।
न्यायिक प्रक्रिया की स्थिति
बता दें कि छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार ननों की ज़मानत याचिकाएँ निचली अदालत और सत्र न्यायालय, दोनों ने खारिज कर दी हैं। सत्र न्यायालय की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश अनीश दुबे ने माना कि मानव तस्करी के आरोपों के चलते यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत के अधीन आता है। अब इस मामले की सुनवाई बिलासपुर स्थित एनआईए कोर्ट में होगी।
इस पूरे मामले से धर्मांतरण और मानव तस्करी के मुद्दे पर एक नई बहस छिड़ गई है। क्या इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन माना जाए या फिर कानून को सख्त बनाकर इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए, यह कोई आसान प्रश्न नहीं है।
निष्कर्ष
धर्मांतरण पर केंद्र सरकार से सख्त कानून की मांग ने पूरे देश में बहस को जन्म दिया है। यह देखना होगा कि क्या सरकार इस मुद्दे पर प्रभावी कदम उठाएगी या यह मामला सुस्त पड़ेगा। विहिप की मांग और इससे जुड़ी प्रतिक्रिया देश के धार्मिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। हम इस मामले में आगे की घटनाओं पर नजर रखेंगे।
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