जो ‘लोकतंत्र’ सही से लिख नहीं सकते, वे लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने निकले हैं... BJP का विपक्ष पर तंज

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को संसद परिसर में लगाए गए विपक्षी बैनर में वर्तनी की गलती को लेकर विपक्षी दल इंडिया पर निशाना साधा और कहा कि जो लोग सही ढंग से लोकतंत्र भी नहीं लिख सकते, वे अब लोकतंत्र पर पाठ पढ़ाने पर उतर आए हैं। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व विपक्षी दल भारत ब्लॉक के कई सांसदों ने किया, जिसमें कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल थीं, जो चुनावी राज्य बिहार में चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध करने के लिए संसद भवन परिसर में एकत्र हुए थे। इसे भी पढ़ें: वह हर चीज़ में विवाद पैदा करना चाहती हैं...ममता बनर्जी पर मिथुन चक्रवर्ती ने साधा निशाना संसद भवन के मकर द्वार की सीढ़ियों पर खड़े होकर, उनके सामने "SIR - लोकतंत् र पर वार" लिखा एक बड़ा बैनर रखा गया था। वे विरोध प्रदर्शन के दौरान "लोकतंत्र बचाओ" और "वोटबंदी बंद करो" जैसे नारे लगा रहे थे। विरोध प्रदर्शन के बैनर पर वर्तनी की गलती को लेकर विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए, भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने लोकतंत्र के लिए हिंदी शब्द की गलत वर्तनी के लिए इंडिया ब्लॉक का मज़ाक उड़ाया। अपनी आलोचना को साझा करते हुए, मालवीय ने हिंदी में लिखा, "यह लोकतंत्र है, लोकतंत् र नहीं।"भाजपा ने भी विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर पोस्ट की और विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, "जिन्हें 'लोकतंत्र' लिखना नहीं आता, वे लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने निकल पड़े हैं।" इस हमले में शामिल होते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और उस पर वंशवादी राजनीति और अधिनायकवाद से ज़्यादा जुड़े होने का आरोप लगाया। उन्होंने एक्स पर लिखा, "कांग्रेस को दोष नहीं दिया जा सकता। वे न तो 'लोकतंत्र' लिख सकते हैं और न ही उसे बचा सकते हैं। वे परिवार तंत्र और आपातकाल में विश्वास करते हैं! निश्चित रूप से, वे उसे लिख और बचा सकते हैं।" इसे भी पढ़ें: Sansad Diary: हंगामे के भेंट चढ़ा मानसून सत्र का चौथा दिन, लोकसभा-राज्यसभा कल तक स्थगितविपक्षी दलों का भारत ब्लॉक संसद के दोनों सदनों में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई इस कवायद का उद्देश्य राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना है। 

जो ‘लोकतंत्र’ सही से लिख नहीं सकते, वे लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने निकले हैं... BJP का विपक्ष पर तंज
जो ‘लोकतंत्र’ सही से लिख नहीं सकते, वे लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने निकले हैं... BJP का विपक्ष पर तंज

जो ‘लोकतंत्र’ सही से लिख नहीं सकते, वे लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने निकले हैं... BJP का विपक्ष पर तंज

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को संसद परिसर में विपक्षी बैनर पर वर्तनी की गलती को लेकर विपक्षी दल इंडिया पर तंज कसते हुए यह कहा कि जो लोग सही ढंग से लोकतंत्र भी नहीं लिख सकते, वे अब लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने निकले हैं। यह टिप्पणी विपक्षी दल भारत ब्लॉक के कई सांसदों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान आई, जिसमें सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे प्रमुख नेता भी शामिल थे।

विपक्ष का विरोध प्रदर्शन

विपक्षी दल संसद भवन परिसर में एकत्रित हुए थे, जहां उन्होंने चुनाव आयोग के द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध किया। इस प्रक्रिया के खिलाफ उठाए गए हाथों में "लोकतंत्र बचाओ" और "वोटबंदी बंद करो" जैसे नारे थे। संसद भवन के मकर द्वार पर खड़े होकर, उनके सामने "SIR - लोकतंत् र पर वार" लिखा एक बड़ा बैनर भी रखा गया। यह विरोध दिखाता है कि विपक्षी दल चुनावी राज्यों में मतदाता अधिकारों को सुरक्षित रखने के प्रति जागरूक हैं।

भाजपा का आरोप

भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने इस विरोध प्रदर्शन का मजाक उड़ाते हुए कहा, "यह लोकतंत्र है, लोकतंत् र नहीं।" उन्होंने यह भी कहा कि जिनका सही तरीके से 'लोकतंत्र' लिखने का ज्ञान नहीं है, वे लोकतंत्र की शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं। इस पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस परिवारवाद और अधिनायकवाद में ज्यादा विश्वास करती है।

राजनीतिक संतुलन और संभावित प्रभाव

इस प्रकरण से स्पष्ट होता है कि राजनीतिक हमले केवल शब्दों की गलती तक सीमित नहीं हैं; वे प्रतिस्पर्धी राजनीतिक दलों के बीच एक निरंतर खींचतान का परिणाम हैं। चुनाव आयोग की भूमिका और चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर उठते सवाल, विशेष रूप से राज्यों में चुनाव के मद्देनजर, भविष्य के लिए राजनीतिक वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं। भाजपा का यह हमला विपक्षी दलों की एकता और उनके अभियानों के प्रभाव को भी दर्शाता है।

निष्कर्ष

इस विवाद ने दर्शाया है कि भारतीय राजनीति में न केवल तथ्य पुख्ता होते हैं, बल्कि भाषा भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाजपा की ओर से उठाए गए सवाल विपक्ष की विश्वसनीयता पर एक बड़ा मुद्दा बन सकते हैं। अब यह देखना होगा कि विपक्ष इस हमले का कैसे जवाब देता है और क्या वे अपने आगामी अभियानों में इसे अपने लाभ में बदल पाएंगे।

इस प्रकरण में एक बड़ा सबक यह है कि राजनीतिक दलों को केवल अपने विचारों की उचित अभिव्यक्ति के लिए ही नहीं, बल्कि शब्दावली की निपुणता के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

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Written by: Team theoddnaari

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