सिनेमा भी अब विश्व राजनीति का एक हथियार 

अजित राय।  रुस के अलेक्सी चुपोव और नताशा मरकुलोवा की फिल्म’ कैप्टन वोलकोनोगोव एस्केप्ड’ एक राजनैतिक थ्रिलर है जो हमें 1938 के लेलिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में स्तालिन युग के उस खौफनाक दौर में ले जाती है जब झूठे आरोप लगाकर  और महान सोवियत क्रांति का गद्दार होने के संदेह में करीब दस लाख निर्दोष […] The post सिनेमा भी अब विश्व राजनीति का एक हथियार  first appeared on Apka Akhbar.

सिनेमा भी अब विश्व राजनीति का एक हथियार 
सिनेमा भी अब विश्व राजनीति का एक हथियार 

सिनेमा भी अब विश्व politics का एक हथियार

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लेखक: साक्षी शर्मा, निधि सिंह, टीम theoddnaari

परिचय

फिल्में हमेशा से मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने का एक सशक्त माध्यम रही हैं। हाल के दिनों में, सिनेमा न केवल मनोरंजन का साधन बन गया है, बल्कि इसका प्रयोग विश्व राजनीति के संदर्भ में एक प्रभावी हथियार के रूप में भी किया जा रहा है। यह बदलाव दुनिया में तेजी से बढ़ते राजनीतिक तनाव और विचारधाराओं के संघर्ष के कारण उत्पन्न हो रहा है।

कैप्टन वोलकोनोगोव एस्केप्ड: एक राजनैतिक थ्रिलर

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म "कैप्टन वोलकोनोगोव एस्केप्ड" ने इस विषय पर ध्यान आकर्षित किया है। रुस के अलेक्सी चुपोव और नताशा मरकुलोवा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में 1938 के लेलिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) के उस भयावह युग को दर्शाया गया है जब स्टालिन के शासन में निर्दोष लोगों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें दंडित किया जाता था। इस फिल्म के माध्यम से ना केवल उस समय के राजनीतिक हालात को प्रस्तुत किया गया है, बल्कि यह भी दिखाया गया है कि सिनेमा एक शक्ति के रूप में कैसे कार्य कर सकता है।

सिनेमा और राजनीति का गहरा संबंध

फिल्में केवल कहानी या मनोरंजन का माध्यम नहीं होतीं, बल्कि वे सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन का भी एक साधन बन सकती हैं। फिल्म "कैप्टन वोलकोनोगोव एस्केप्ड" इसी बात का उदाहरण है। इसमें दिखाइए गए पात्र और परिस्थितियाँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि कैसे एक निर्देशक, अभिनेता और फिल्म टीम अपनी कला का उपयोग विश्व विचारधारा को प्रभावित करने के लिए कर सकती है। फिल्म के लेखन और निर्माण में सत्यता का समावेश दर्शकों पर गहरा असर डालता है।

वर्तमान में सिनेमा की भूमिका

आज, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हो रहे राजनीतिक बदलावों के बीच सिनेमा एक सशक्त माध्यम बन गया है। चाहे वह युद्ध, प्रवासन या मानवाधिकारों की बात हो, फिल्में इन मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं। फिल्में न केवल जागरूकता फैलाने का कार्य करती हैं, बल्कि लोगों को जानकारी भी देती हैं। इसके अलावा, ये लोगों को एकजुट करने का भी काम करती हैं।

निष्कर्ष

बेशक, सिनेमा अब विश्व राजनीति का एक महत्वपूर्ण हथियार बन चुका है। "कैप्टन वोलकोनोगोव एस्केप्ड" जैसी फिल्में हमें यह याद दिलाती हैं कि कला की शक्ति राजनीति को चुनौती देने में कितनी प्रभावी हो सकती है। जब हम इस सामयिक मुद्दे पर ध्यान देते हैं, तो हमें समझना चाहिए कि सिनेमा का उपयोग सामाजिक परिवर्तन के लिए एक ताकतवर औजार के रूप में किया जा सकता है।

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