चार साल की बच्ची के साथ रेप के दोषी को हाईकोर्ट से राहत, लोगों में आक्रोश

बाल आयोग ने सरकार से फैसले के खिलाफ अपील करने को कहा। – डॉ. मयंक चतुर्वेदी। मध्यप्रदेश जबलपुर उच्‍च न्‍यायालय ने चार साल की बच्ची के साथ रेप के दोषी को राहत दी है।अनुसूचित जनजाति के 20 वर्षीय व्यक्ति की मृत्युदंड की सजा को कम कर दिया गया, जबकि निचली अदालत ने यह देखते हुए […] The post चार साल की बच्ची के साथ रेप के दोषी को हाईकोर्ट से राहत, लोगों में आक्रोश first appeared on Apka Akhbar.

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चार साल की बच्ची के साथ रेप के दोषी को हाईकोर्ट से राहत, लोगों में आक्रोश

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दर्दनाक घटना के बाद मध्यप्रदेश में एक बार फिर से न्याय प्रणाली पर सवाल उठते नजर आ रहे हैं। जबलपुर उच्च न्यायालय ने चार साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को राहत देते हुए उसकी मृत्युदंड को कम कर दिया है। यह फैसला न केवल पीड़िता के परिवार के लिए एक आघात है, बल्कि समाज के एक बड़े हिस्से में भी आक्रोश का कारण बन रहा है।

नई अदालत का फैसला और उसके परिणाम

राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोग इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। बच्चे के साथ हुए इस जघन्य अपराध के प्रति न्यायालय का यह नरम रवैया न केवल समाज के विश्वास को तोड़ता है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक खतरे की घंटी है जो बच्चों के प्रति सुरक्षा की उम्मीद में जीते हैं। बाल आयोग ने इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाते हुए सरकार से अपील की है कि वह इस फैसले को चुनौती दे।

समाज का आक्रोश

जबलपुर की इस घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। जनता का कहना है कि न्यायालय का यह फैसला न सिर्फ कानून की अवहेलना है, बल्कि यह बलात्कार की गंभीरता को कमतर आंकने का एक प्रयास भी है। कई सामाजिक संगठनों ने न्यायालय के निर्णय को वापस लेने की मांग की है और दोषी को कठोर सजा देने की अपील की है।

सुरक्षा के उपायों की आवश्यकता

इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार को सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। बाल सुरक्षा के लिए विशेष उपाय, कड़े दंड और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देकर हम अपने बच्चों को सुरक्षित कर सकते हैं।

निष्कर्ष

वर्तमान में, यह जरूरी है कि हम सभी मिलकर इस मुद्दे पर आवाज उठाएँ और कानूनी प्रणाली में बदलाव की मांग करें। क्या हमें वास्तव में हमारी न्याय प्रणाली पर विश्वास है? यह सवाल हर नागरिक के मन में उठना चाहिए। ऐसी घटनाओं से न केवल पीड़ित बल्कि संपूर्ण समाज प्रभावित होता है। हम सभी को एक साथ आकर इस जघन्य अपराध के खिलाफ खड़ा होना होगा और न्याय की सही परिभाषा को स्थापित करने का प्रयास करना होगा।

बाल आयोग के अध्यक्ष डॉ. मयंक चतुर्वेदी के अनुसार, इस फैसले के खिलाफ सरकार से अपील की आवश्यकता है। हम सभी को इस दिशा में सहयोग करना चाहिए।

इस घटना के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारे [वेबसाइट](https://theoddnaari.com) पर जाएँ।

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