बुद्ध का संदेश रेगिस्तानों, समुद्रों और सभ्यताओं से होकर कैसे गुज़रा
आपका अखबार ब्यूरो। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के बृहत्तर भारत और क्षेत्रीय अध्ययन विभाग ने ‘बुद्ध के पदचिह्न’ प्रदर्शनी आयोजित की है। यह प्रदर्शनी बुद्ध के जीवन और एशिया में उनकी शिक्षाओं के दूरगामी प्रभाव की एक चिंतनशील यात्रा प्रस्तुत करती है। ‘बुद्धशासनं चिरं तिष्ठतु’ अर्थात् बुद्ध की शिक्षाएं सिद्धांत चिरस्थायी की शाश्वत आकांक्षा पर आधारित यह प्रदर्शनी सावधानीपूर्वक […] The post बुद्ध का संदेश रेगिस्तानों, समुद्रों और सभ्यताओं से होकर कैसे गुज़रा first appeared on Apka Akhbar.

बुद्ध का संदेश रेगिस्तानों, समुद्रों और सभ्यताओं से होकर कैसे गुज़रा
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लेखिका: प्रियंका शर्मा, साक्षी वर्मा, टीम theoddnaari
प्रस्तावना
आपका अखबार ब्यूरो। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के बृहत्तर भारत और क्षेत्रीय अध्ययन विभाग ने ‘बुद्ध के पदचिह्न’ प्रदर्शनी आयोजित की है। यह प्रदर्शनी बुद्ध के जीवन और एशिया में उनकी शिक्षाओं के दूरगामी प्रभाव की एक चिंतनशील यात्रा प्रस्तुत करती है। ‘बुद्धशासनं चिरं तिष्ठतु’ अर्थात् बुद्ध की शिक्षाएं सिद्धांत चिरस्थायी की शाश्वत आकांक्षा पर आधारित हैं। इस प्रदर्शनी के माध्यम से बुद्ध के संदेश को रेगिस्तानों, समुद्रों और अन्य सभ्यताओं तक पहुँचाने के तरीके को समझाया जाएगा।
बुद्ध का संदेश और उसका महत्व
बुद्ध, जिनका असली नाम सिद्धार्थ गौतम था, का जीवन और शिक्षाएँ एक ऐसा मार्ग प्रशस्त करती हैं, जो न केवल भारतीय संस्कृति को प्रभावित करती हैं, बल्कि विश्वभर में शांति, करुणा और प्रेम का संदेश फैलाती हैं। उनकी शिक्षाएँ जटिलता में बसी सादगी के प्रतीक हैं। इस प्रदर्शनी में दर्शकों को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया जाएगा, जिसमें उनकी ज्ञानप्राप्ति और मानवता के प्रति उनके योगदान शामिल हैं।
प्रदर्शनी की विशेषताएँ
‘बुद्ध के पदचिह्न’ प्रदर्शनी में न केवल बुद्ध के जीवन की विविध घटनाओं को प्रस्तुत किया गया है, बल्कि उनके शिक्षाओं का भौगोलिक फैलाव भी दर्शाया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, बुद्ध की शिक्षाएँ ना केवल भारत में, बल्कि चीन, जापान, तिब्बत, और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भी फैली हुई हैं। प्रदर्शनियों में मानवीय मूल्यों की उच्चता, सांस्कृतिक संवाद, और विभिन्न सभ्यताओं के बीच की कड़ी को प्रदर्शित किया गया है।
सांस्कृतिक विविधता और बुद्ध के सिद्धांत
बुद्ध का संदेश विविध धार्मिक परंपराओं के दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। उनके विचारों ने जैन धर्म, हिंदू धर्म, और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों में गहराई से प्रभाव डाला है। इस प्रदर्शनी में उन विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों की भी चर्चा होगी, जो बुद्ध के संदेश के माध्यम से प्रभावित हुई हैं। शांति और अहिंसा का यह संदेश आज के युग में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कभी था।
निष्कर्ष
‘बुद्ध के पदचिह्न’ प्रदर्शनी न केवल बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं का उत्सव है, बल्कि यह मानवता के प्रति एक महत्वपूर्ण संदेश भी है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से बुद्ध के सन्देश को समझने और फैलाने का एक अनूठा अवसर उपलब्ध हुआ है। आने वाले दिनों में, यह प्रदर्शनी आम जनता को प्रभावित करेगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।