उत्तराखण्ड के 6 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल (आर.यू.पी.पी.) डीलिस्टेड

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उत्तराखण्ड के 6 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल (आर.यू.पी.पी.) डीलिस्टेड
उत्तराखण्ड के 6 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल (आर.यू.पी.पी.) डीलिस्टेड

उत्तराखण्ड के 6 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल (आर.यू.पी.पी.) डीलिस्टेड

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देहरादून। भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तराखण्ड के 6 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों (आर.यू.पी.पी.) को डीलिस्ट कर दिया है। यह निर्णय 9 अगस्त 2023 को लिया गया, जब आयोग ने अपनी स्पष्टता और सुरक्षा को बनाए रखने के उद्देश्य से यह कदम उठाया। आयोग ने इन दलों को पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि वे आगामी चुनावों में भाग नहीं लेते हैं, तो उनके पंजीकरण को निरस्त किया जा सकता है।

डीलिस्टेड दलों की सूची

डीलिस्ट किए गए 6 दलों में शामिल हैं:

  1. भारतीय जनक्रान्ति पार्टी, जनपद-देहरादून
  2. हमारी जनमंच पार्टी, जनपद-देहरादून
  3. मैदानी क्रान्ति दल, जनपद-देहरादून
  4. प्रजा मण्डल पार्टी, जिला-पौडी गढवाल
  5. राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी, जनपद-हरिद्वार
  6. राष्ट्रीय जन सहाय दल, जनपद-देहरादून

आयोग की कार्रवाई का महत्व

भारत निर्वाचन आयोग का उद्देश्य राजनीतिक व्यवस्था का शुद्धिकरण और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है। पिछले 6 वर्षों से निष्क्रिय दलों को डीलिस्ट करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो नई राजनीतिक गतिशीलता को प्रोत्साहित कर सकता है। इस आदेश के अनुसार, डीलिस्टेड दलों को आदेश जारी होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर अंतिम अपील करने का अवसर दिया गया है।

अगले कदम

भारत निर्वाचन आयोग ने अब दूसरे चरण में उत्तराखण्ड के 11 अन्य पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह दल भी पिछले 6 वर्षों में चुनावों में भाग नहीं ले पाए हैं और उन्होंने आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं किया है। इन दलों को 27 अगस्त 2025 तक अपना जवाब देने का समय दिया गया है।

इन दलों की अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा, जो कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत होते हैं।

यदि आप इस विषय पर अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया हमारी वेबसाइट theoddnaari.com पर जाएं।

निष्कर्ष

भारत निर्वाचन आयोग का यह कदम राजनीतिक व्यवस्था के स्वच्छता व पारदर्शिता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। केन्द्रीय सत्ता के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों की गतिविधियों को सही स्थिति में लाना आवश्यक है। केवल सक्रिय और जवाबदेह दल ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती दे सकते हैं।

लेखक: सुषमा जैन, राधिका कुमारी, टीम दoddnaari

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