बरसात में बेघर न करें बस्तियों के लोग: जन संगठनों की अपील

The post बरसात में बेघर न करें बस्तियों के लोग: जन संगठनों की अपील appeared first on Avikal Uttarakhand. बेदखली प्रक्रिया में पारदर्शिता और वैकल्पिक आश्रय की मांग अविकल उत्तराखंड देहरादून। बिंदाल नदी किनारे बस्तियों से लोगों को बेदखल करने की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए विभिन्न जन संगठनों… The post बरसात में बेघर न करें बस्तियों के लोग: जन संगठनों की अपील appeared first on Avikal Uttarakhand.

बरसात में बेघर न करें बस्तियों के लोग: जन संगठनों की अपील
बरसात में बेघर न करें बस्तियों के लोग: जन संगठनों की अपील

बरसात में बेघर न करें बस्तियों के लोग: जन संगठनों की अपील

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Written by Neha Sharma, Priya Singh & Anjali Verma, Team theoddnaari

Introduction

देहरादून में बिंदाल नदी के किनारे बसे बस्तियों के निवासियों के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई पर जन संगठनों ने गंभीर सवाल उठाए हैं। ऐसे समय में जब बरसात का मौसम शुरू होने वाला है, जन संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि बेदखली प्रक्रिया को मानवीय दृष्टिकोण के साथ संभालना आवश्यक है।

बेदखली प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग

शनिवार को नगर आयुक्त सृष्ट मंडल से मुलाकात के दौरान विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने बेदखली की प्रक्रिया में पारदर्शिता और वैकल्पिक आश्रय की मांग की। उन्होंने यह आरोप लगाया कि नगर निगम केवल कुछ दस्तावेजों को मान्य मान रहा है, जिससे प्रभावित लोगों को अपना पक्ष रखने का सही अवसर नहीं मिल रहा।

मजदूर बस्तियों पर रोक लगाने का विरोध

प्रतिनिधियों ने यह भी कहा है कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही, लेकिन गरीब और मजदूर वर्ग के लोग बस्तियों से बेदखल हो रहे हैं। यह पूरी प्रक्रिया संगठित और स्पष्ट नहीं है, जो गरीबों की स्थिति को और भी खराब करती है।

बरसात में बेदखली के खतरे

जैसे-जैसे बरसात का मौसम नजदीक आ रहा है, जन संगठनों का कहना है कि बेदखली की इस प्रक्रिया से बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए खतरे बढ़ सकते हैं। जब लोग बेघर होते हैं, तो उन्हें न केवल आवास की समस्या का सामना करना पड़ता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा पर भी खतरा मंडराता है।

नगर आयुक्त की प्रतिक्रिया

नगर आयुक्त सृष्ट मंडल ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रतिनिधियों की चिंताओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब विभिन्न संगठनों के प्रमुख सदस्य जैसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के समर भंडारी और एटक के सचिव अशोक शर्मा ने भी अपनी आवाज उठाई है।

Conclusion

जन संगठनों की अपील इस बात की तरफ इशारा करती है कि सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जो लोगों को सच्चे मानवीय दृष्टिकोण से देखे। यदि बेदखली अनिवार्य है, तो प्रशासन को पहले से वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए ताकि लोग सुरक्षित और सुस्वास्थ्य रह सकें। इस मुद्दे पर जन जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है।

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