महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में भिड़े विधायक जितेंद्र आव्हाड और गोपीचंद पडलकर के समर्थक, जानें पूरा मामला
महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी-एससीपी नेता जितेंद्र आव्हाड के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। यह तीखी बहस एक दिन पहले दोनों नेताओं के बीच कार का दरवाज़ा खोलने को लेकर हुई बहस के बाद हुई है, जो कथित तौर पर गाली-गलौज तक बढ़ गई। बुधवार को मामूली विवाद से शुरू हुआ यह मामला शुक्रवार को गंभीर रूप ले लिया जब दोनों नेताओं के समर्थक विधान भवन परिसर में आमने-सामने आ गए। इसे भी पढ़ें: उद्धव-फडणवीस की 20 मिनट तक मुलाकात, आदित्य ठाकरे भी रहे साथ, त्रिभाषा नीति पर हुई चर्चामुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पूरे मामले को लेकर कहा कि जो स्थिति उत्पन्न हुई है वह सही नहीं है। यह महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष और महाराष्ट्र विधान परिषद अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए इस मुद्दे पर ध्यान दिया जाना चाहिए। विधान भवन में इस तरह के झगड़े नहीं होने चाहिए। इसलिए इस मुद्दे की उचित जांच होनी चाहिए। वहीं, जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि पूरा महाराष्ट्र जानता है कि हमलावर कौन था। हमसे बार-बार सबूत मांगे जा रहे हैं, जबकि पूरे देश ने देखा है कि हमला किसने किया। गुंडों को विधानसभा में घुसने दिया जा रहा है और विधायकों की सुरक्षा ख़तरे में है। मुझे गालियाँ दी गईं, जान से मारने की धमकी दी गई। उन्होंने दावा किया कि 'कुत्ता', 'सुअर' जैसे अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। क्या विधानसभा में यही होना अपेक्षित था? मैं भाषण देकर बाहर आया ही था कि ये लोग मुझसे भिड़ गए। अगर विधानसभा में विधायक सुरक्षित नहीं हैं, तो हम विधायक क्यों रहें? गोपीचंद पडलकर ने कहा कि यहां जो कुछ हुआ उससे मैं सचमुच दुखी हूं। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है... मैं खेद व्यक्त करता हूं और माफी मांगता हूं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, "अगर गुंडे विधानसभा तक पहुंच गए हैं, तो राज्य के गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। विधानसभा में इस तरह का आचरण उचित नहीं है।" इसे भी पढ़ें: आप यहां आ सकते हैं...मुस्कुराते हुए विधान परिषद में फडणवीस ने दिया उद्धव को ऑफर, BMC चुनाव से पहले बदलेगा समीकरण?इससे पहले गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा के गेट पर गोपीचंद पडलकर और जितेंद्र आव्हाड के बीच तीखी बहस हुई। यह झड़प तब हुई जब पडलकर अपनी कार से बाहर निकले और कथित तौर पर दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया। आव्हाड ने उन पर जानबूझकर ऐसा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि ज़ोर लगाने से उन्हें नुकसान हो सकता था। इस पर तीखी बहस हुई और दोनों नेताओं ने सबके सामने अपशब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया।
महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में भिड़े विधायक जितेंद्र आव्हाड और गोपीचंद पडलकर के समर्थक, जानें पूरा मामला
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महाराष्ट्र में राजनीतिक विवाद ने एक नई परत थपक दी है, जब भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी-एससीपी नेता जितेंद्र आव्हाड के समर्थकों के बीच विधानसभा परिसर में झड़प हुई। इस घटना ने न केवल राज्य में राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है, बल्कि विधायकों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस लेख में हम इस विवाद के जड़ से लेकर इसकी गंभीरता तक की चर्चा करेंगे।
घटना का पृष्ठभूमि
मामला उस समय शुरू हुआ जब बुधवार को पडलकर और आव्हाड के बीच एक सामान्य विवाद हुआ, जिसे दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच तीखी बहस में बदल दिया गया। विवाद की जड़ एक कार का दरवाज़ा खोलने के प्रकरण से उत्पन्न हुई थी, जो एक दिन पहले के एक छोटे झगड़े का परिणाम था। इससे शुक्रवार को जब दोनों नेता विधान भवन के बाहर आमने-सामने आए, तो स्थिति खराब हो गई। आव्हाड ने पडलकर पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर दरवाज़ा जोर से बंद किया, जिससे उन्हें चोट पहुंचने का खतरा था।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
मामले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ऐसी स्थिति स्वीकार्य नहीं है और इसे विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "विधान भवन में इस तरह के झगड़े नहीं होने चाहिए और इसकी उचित जांच होनी चाहिए।" फडणवीस की ये टिप्पणियां इस बात की ओर इशारा करती हैं कि सरकार इस विवाद को गंभीरता से ले रही है।
जितेंद्र आव्हाड का बयान
जितेंद्र आव्हाड ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "पूरा महाराष्ट्र जानता है कि हमलावर कौन था। विकृत शब्दों का इस्तेमाल की जाने वाली घटनाएं सदन में नहीं होनी चाहिए। यह एक दु:खद स्थिति है जब विधायकों की सुरक्षा खतरे में हो।" उनका कहना था कि विधायकों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे अपने कर्तव्यों को निभा सकें।
गोपीचंद पडलकर की माफी
इस संभावित विवाद के बीच, गोपीचंद पडलकर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। मैं इससे बेहद दुखी हूं। मुझे खेद है और मैं माफी मांगता हूं।" उनका यह बयान विवाद को खत्म करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषण
यह घटना महज एक झगड़ा नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक पैनल के भीतर की गहरी खाइयों को दर्शाती है। जब तक विधायक इस तरह की स्थिति में हैं, तब तक उनके कार्य और निर्णयों पर संशय बना रहेगा। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी इस घटना पर गंभीरता से प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा कि "यदि गुंडे विधानसभा तक पहुंच गए हैं, तो सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।" इस तरह की टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि स्थिति कितनी गंभीर हो चुकी है।
निष्कर्ष
मaharashtra विधानसभा परिसर में हुई यह झड़प न केवल उस समय की घटनाओं का हिस्सा है, बल्कि यह राजनीति में संभावित हिंसा और असहमति के बारे में बड़ी चेतावनी भी है। जब तक इस विवाद की पूरी जांच नहीं होती, तब तक राज्य भर में राजनीतिक तनाव बना रहेगा। इस प्रकार के घटनाक्रम की प्रक्रिया में सिद्धांतित नेता और उनके समर्थक दोनों को विचार करना चाहिए कि उनका व्यवहार कैसे राज्य की राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
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