सोनिया गांधी के सामने रोए थे अशोक चौधरी, लालू यादव थे वजह, नीतीश के मंत्री ने बताया पुराना किस्सा

बिहार के मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने आज बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस छोड़ जदयू में पहुंचे चौधरी ने कहा कि मैं 4.5 साल तक बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष रहा। मैं सोनिया गांधी के सामने रोया और उनसे कहा कि जब तक लालू प्रसाद यादव के साथ हमारा गठबंधन नहीं होगा, तब तक पार्टी आगे नहीं बढ़ेगी। उन्होंने असहमति जताई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे केंद्र में सत्ता में रहना चाहते थे और क्षेत्रीय नेताओं से समझौता करना चाहते थे। मैंने राहुल गांधी से भी मुलाकात की।  इसे भी पढ़ें: पटना पहुंच रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में देंगे चुनावी टिप्सलोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बारे में पूछे जाने पर बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि मैंने उनके साथ काम किया है। वह बहुत अच्छे इंसान हैं, लेकिन वह भारतीय राजनीति को समझने में असमर्थ हैं। जाति जनगणना पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बयान पर बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, "...क्या बिहार के सीएम नीतीश कुमार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की मौजूदगी में आएंगे? तेजस्वी यादव की उम्र से ज्यादा समय से नीतीश कुमार राजनीति कर रहे हैं।" इसे भी पढ़ें: पुनौराधाम सीता मंदिर का अगस्त में होगा शिलान्यास, नीतीश कैबिनेट ने मंजूर किया 882 करोड़ का बजटजन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने पर बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाए। इस देश में दलितों की आबादी 20 प्रतिशत है। सिर्फ शांभवी चौधरी और अशोक चौधरी को ही क्यों निशाना बनाया गया? उन्होंने शांभवी चौधरी पर आरोप लगाए, जिन्होंने दूसरे सबसे ज्यादा वोट हासिल किए। सिर्फ इसलिए कि हमारे बीच मतभेद हैं, वह बिना किसी सबूत के मेरी बेटी को निशाना बना रहे हैं। उन्हें माफ़ी मांगनी होगी, मैं उन्हें नहीं छोड़ूंगा...उन्हें सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी होगी। 

सोनिया गांधी के सामने रोए थे अशोक चौधरी, लालू यादव थे वजह, नीतीश के मंत्री ने बताया पुराना किस्सा
सोनिया गांधी के सामने रोए थे अशोक चौधरी, लालू यादव थे वजह, नीतीश के मंत्री ने बताया पुराना किस्सा

सोनिया गांधी के सामने रोए थे अशोक चौधरी, लालू यादव थे वजह, नीतीश के मंत्री ने बताया पुराना किस्सा

बिहार के मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस छोड़कर जदयू में शामिल हुए चौधरी ने खुलासा किया कि कैसे उन्होंने सोनिया गांधी के सामने रोते हुए अपनी बात रखी। उनका यह बयान नई राजनीतिक गठबंधनों के बीच के सूक्ष्म रिश्तों को उजागर करता है। यह किस्सा न केवल अशोक चौधरी की राजनीतिक यात्रा को दर्शाता है, बल्कि बिहार की राजनीतिक राजनीति के पीछे के जटिल तत्त्वों को भी सामने लाता है।

सोनिया गांधी के सामने भावुक हुए अशोक चौधरी

अशोक चौधरी ने कहा, "मैंने सोनिया गांधी के सामने रोते हुए उनसे कहा कि जब तक लालू प्रसाद यादव के साथ हमारा गठबंधन नहीं होगा, तब तक पार्टी आगे नहीं बढ़ेगी।" उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनके विचार में क्षेत्रीय दलों के साथ सहयोग करना महत्वपूर्ण था ताकि कांग्रेस को बिहार में मजबूती मिल सके। चौधरी के अनुसार, उनकी भावुकता राजनीति में अच्छी समझ और व्यवहारिक दृष्टिकोण से जुड़ी थी।

लालू और सोनिया का गठबंधन

लालू यादव का जिक्र करते हुए चौधरी ने यह भी कहा कि वे जानते थे कि अगर यह गठबंधन नहीं होता है तो पार्टी को कमजोर बनाने की पूरी संभावना है। हालांकि, सोनिया गांधी ने उनकी बातों पर असहमति जताई और उन्हें कुछ समय इंतज़ार करने को कहा। यह घटना उस समय की है जब राजनीतिक क्षेत्र में राजनैतिक गत्यात्मकता काफी थी।

राहुल गांधी और नीतीश का जिक्र

चौधरी ने राहुल गांधी के साथ अपनी मुलाकात का भी जिक्र करते हुए कहा कि वह एक अच्छे इंसान हैं लेकिन उन्हें भारतीय राजनीति में जटिलताओं को समझने में कठिनाई होती है। उन्होने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच की राजनीति पर भी सवाल खड़े किए और यह दर्शाया कि नीतीश कुमार की राजनीतिक पृष्ठभूमि तेजस्वी से अधिक पुरानी है।

प्रशांत किशोर पर मानहानि का मुकदमा

इससे आगे बढ़ते हुए, अशोक चौधरी ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि के मुकदमे का भी संज्ञान लिया और कहा कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि आलोचना किसी आधार पर नहीं की गई। उन्होंने कहा, "क्या सिर्फ मुझ पर या मेरी बेटी पर ही आरोप लगाने का अधिकार है? यही आज के राजनीतिक माहौल की बड़ी समस्या है।"

निष्कर्ष

अशोक चौधरी का यह बयान न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिहार की राजनीति में किस तरह व्यक्तिगत और सामूहिक स्वार्थ खेलते हैं। यह राजनीतिक कहानी आगे और दिलचस्प हो सकती है, खासकर जब विभिन्न दल अपने-अपने हितों के लिए प्रयासरत हैं।

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