अनियमित नियुक्तियों को अवैध नियुक्तियों के बराबर नहीं मान सकते: हाईकोर्ट
यह कहते हुए कि अनियमित नियुक्तियों को अवैध नियुक्तियों के बराबर नहीं माना जा सकता, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि उचित चयन प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त योग्य व्यक्ति, जिन्होंने स्वीकृत पदों पर एक दशक से ज़्यादा समय तक सेवा की है, अपनी सेवाओं के नियमितीकरण के हकदार हैं। जस्टिस संजय धर […] The post अनियमित नियुक्तियों को अवैध नियुक्तियों के बराबर नहीं मान सकते: हाईकोर्ट first appeared on Apka Akhbar.

अनियमित नियुक्तियों को अवैध नियुक्तियों के बराबर नहीं मान सकते: हाईकोर्ट
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जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें कहा गया कि अनियमित नियुक्तियों को अवैध नियुक्तियों के बराबर नहीं माना जा सकता। इस निर्णय ने उन योग्य व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिन्होंने उचित चयन प्रक्रिया के माध्यम से स्वीकृत पदों पर एक दशक से अधिक समय तक सेवा की है।
फैसले के विवरण
जस्टिस संजय धर की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि ऐसे व्यक्तियों का नियमितीकरण उनका अधिकार है, और सरकार द्वारा उनकी सेवाओं को मान्यता देनी चाहिए। यह निर्णय ऐसे कई कर्मचारियों के लिए राहत है, जो लंबे समय से अनियमित लेकिन योग्य स्थिति में कार्यरत थे।
अनियमित और अवैध नियुक्तियों में अंतर
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अनियमित नियुक्तियां हमेशा अवैध नहीं होती हैं। अनियमित नियुक्ति का अर्थ है कि चयन प्रक्रिया में कुछ असंगतियाँ हो सकती हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं होता कि कर्मचारी ने गैरकानूनी तरीके से पद ग्रहण किया है।
कानूनी दृष्टिकोण
इस महत्वपूर्ण फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लम्बे समय से कार्यरत और योग्य व्यक्तियों को उनकी मेहनत के अनुसार मान्यता मिलनी चाहिए। अनुचित चयन प्रक्रिया से प्रभावित कर्मचारियों को संरक्षण देने के लिए यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न्यायालय का एक प्रगतिशील दृष्टिकोण है, जो कर्मचारी अधिकारों की रक्षा करता है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस निर्णय का व्यापक सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव हो सकता है। राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि चयन प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष हों, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएँ उत्पन्न न हों। यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए एक नया आशा है, जो नियमितीकरण की प्रतीक्षा कर रहे थे।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के इस फैसले ने प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता को उजागर किया है। यह साबित करता है कि सही और योग्य व्यक्तियों को सुरक्षा, स्थिरता और मान्यता देने का एक सही तरीका है। सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह चयन प्रक्रियाओं को और अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाये, ताकि सभी को न्याय मिल सके।
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