चीन ने कहा, वैश्विक लेनदेन में सिर्फ डॉलर पर निर्भरता खतरनाक
आपका अखबार ब्यूरो। चीन के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने बुधवार को वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए एक योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की है, जो केवल डॉलर पर ही नहीं, बल्कि कई प्रमुख मुद्राओं पर निर्भर करेगी, क्योंकि बीजिंग अमेरिकी डॉलर की प्रधानता को कमजोर करने के लिए अपना अभियान तेज कर रहा है। ’न्यूयॉर्क […] The post चीन ने कहा, वैश्विक लेनदेन में सिर्फ डॉलर पर निर्भरता खतरनाक first appeared on Apka Akhbar.

चीन ने कहा, वैश्विक लेनदेन में सिर्फ डॉलर पर निर्भरता खतरनाक
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आपका अखबार ब्यूरो। चीन के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने बुधवार को वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए एक योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की है, जो केवल डॉलर पर ही नहीं, बल्कि कई प्रमुख मुद्राओं पर निर्भर करेगी। बीजिंग अमेरिकी डॉलर की प्रधानता को कमजोर करने के लिए अपना अभियान तेज कर रहा है।
चीन की मौद्रिक नीति का नया दृष्टिकोण
चीन के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने हाल ही में बात की कि वैश्विक लेनदेन में सिर्फ अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता खतरनाक हो सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए, विभिन्न मुद्राओं का उपयोग करना आवश्यक है। यह बयान उस समय आया है जब दुनिया के कई देश अमेरिका के डॉलर के मुकाबले अपने खुद के करेंसी का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं।
डॉलर की प्रधानता और इसकी चुनौतियाँ
अमेरिकी डॉलर, जो पिछले कई दशकों से वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख मुद्रा रहा है, अब अपने प्रभाव को खोने लगा है। विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी मुद्रा को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में विविधता आए। चीन का ये नया दृष्टिकोण सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए भी एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
बीजिंग का लक्ष्य
चीन का उद्देश्य यह है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अधिक विविधता हो, ताकि कोई भी देश डॉलर के उतार-चढ़ाव से प्रभावित न हो सके। इस तरह की पहल से अंतरराष्ट्रीय व्यापार करते समय सुरक्षा बढ़ेगी। गवर्नर ने स्पष्ट किया कि यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान कर सकता है और व्यापारिक संबंधों को मजबूत कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
चीन की इस घोषणा पर विभिन्न देशों की प्रतिक्रिया आना शुरू हो गई है। कुछ देश इस पहल का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे एक रणनीतिक चुनौती के रूप में देख रहे हैं। इस तस्वीर में भारत का भी महत्वपूर्ण स्थान है, जहां कई व्यवसाय अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए नई मुद्राओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
चीन द्वारा दी गई नई दिशा की आवश्यकता वैश्विक वाणिज्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। विभिन्न मुद्राओं का उपयोग न केवल अमेरिकी डॉलर की प्रधानता को कम कर सकता है, बल्कि समग्र रूप से वैश्विक आर्थिक स्थिरता में भी योगदान कर सकता है। समय ही बताएगा कि क्या अन्य देश भी चीन की इस नीति का अनुसरण करेंगे।
इस मुद्दे पर आपकी राय क्या है? क्या आप मानते हैं कि अन्य देशों को भी अपनी मुद्रा को बढ़ावा देना चाहिए? हमें अपने विचार अवश्य बताएं।