हरेला पर्व- एक ही दिन में रोपे जाएंगे रिकार्ड पांच लाख पौधे

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हरेला पर्व- एक ही दिन में रोपे जाएंगे रिकार्ड पांच लाख पौधे
हरेला पर्व- एक ही दिन में रोपे जाएंगे रिकार्ड पांच लाख पौधे

हरेला पर्व- एक ही दिन में रोपे जाएंगे रिकॉर्ड पांच लाख पौधे

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By: Anita Sharma, Priya Verma, Team theoddnaari

Introduction

उत्तराखंड में एक बार फिर हरेला पर्व की गूंज सुनाई देने लगी है। इस वर्ष, राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है जिसमें एक ही दिन में पांच लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों को भी जागरूकिता प्रदान करने का एक अवसर है।

हरेला पर्व की थीम और महत्व

इस वर्ष हरेला पर्व को "धरती मां का ऋण चुकाओ" थीम पर मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बाबत कहा है कि यह पर्व केवल पौधरोपण का नहीं, बल्कि लोगों को प्रकृति की रक्षा के प्रति जागरूक करने का माध्यम है।

पौधरोपण की प्रक्रिया

16 जुलाई को, गढ़वाल मंडल में तीन लाख और कुमाऊं मंडल में दो लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। इस प्रयास में स्कूलों, कॉलेजों, प्रशासनिक विभागों और स्थानीय संगठनों की भागीदारी होगी। विशेषकर, एनसीसी और एनएसएस जैसे संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

सरकार ने पौधों के संरक्षण के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया है। ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि पौधों की देखरेख की जा सके और वे मृत न हों। स्पष्ट रूप से, सितंबर के अंत में होने वाली मॉनिटरिंग समीक्षा इस प्रयास की सफलता को सुनिश्चित करने में मदद करेगी।

ग्रामीणों और छात्रों की भूमिका

ग्रामीणों और छात्रों के बीच सक्रियता सुनिश्चित करने के लिए, प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुंधाशु ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस पौधरोपण कार्यक्रम के लिए व्यापक तैयारी करें। यह एक सामुदायिक प्रयास होगा, जिसमें सभी वर्गों के लोग भाग लेंगे।

सवाल और चिंताएं

हालांकि, सवाल यह भी है कि क्या इन पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी? पिछले वर्षों में कई पौधे निरंतर देखरेख के अभाव में मर जाते हैं। ऐसे में, जन जागरूकता और प्रशासनिक जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।

निष्कर्ष

हरेला पर्व एक ऐसा अवसर है जहाँ न केवल हम पौधे लगाते हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी एहसास करते हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को एकजुट करने में भी सहायक रहेगी। हरेला पर्व के माध्यम से हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहे हैं।

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