Elon Musk नीत अमेरिकी विभाग ने भारत को 2.1 करोड़ डॉलर के ‘चुनावी आवंटन’ को किया रद्द
न्यूयॉर्क। अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकार कार्यदक्षता विभाग ने ‘‘भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने’’ के लिए आवंटित 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर सहित व्यय में सिलसिलेवार कटौतियों की घोषणा की है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने मस्क को नये सरकारी कार्यदक्षता विभाग का प्रमुख चुना था। शासन में सुधार और फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के लिए विभाग ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इस कटौती की घोषणा की।विभाग ने कहा, ‘‘अमेरिकी करदाताओं के पैसे निम्नलिखित मदों पर खर्च किए जाने वाले थे, जिनमें से सभी को रद्द कर दिया गया है...।’’ सूची में ‘‘चुनाव और राजनीतिक प्रक्रिया सुदृढ़ीकरण के लिए समूह’’ को 48.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर का अनुदान शामिल था, जिसमें मोल्दोवा में ‘‘समावेशी और भागीदारीपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया’’ के लिए 2.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर और ‘‘भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने’’ के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर शामिल थे। पोस्ट में वित्त पोषण के बारे में कोई और जानकारी नहीं दी गई।इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित मालवीय ने इस अनुदान को भारत के चुनावों में ‘‘बाहरी हस्तक्षेप’’ करार दिया। उन्होंने सवाल किया कि लाभार्थी कौन है, और कहा कि यह ‘‘निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी नहीं है।’’ भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे किसे लाभ होगा? निश्चित रूप से सत्तारुढ़ पार्टी को नहीं!’’उन्होंने दावा किया कि अब रद्द कर दिया गया यह कार्यक्रम कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती संप्रग(संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार की ओर इशारा करता है, जिसने भारत के हितों के खिलाफ काम करने वाली ताकतों को भारतीय संस्थानों में घुसपैठ करने में कथित तौर पर मदद की थी। अनुदान में कटौती से जुड़ा यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के कुछ दिनों बाद हुआ है, जिस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ-साथ मस्क से भी बातचीत की थी।‘स्पेसएक्स’ के सीईओ मस्क ने अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। दोनों ने अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा क्षेत्र में अवसरों पर चर्चा की थी। अपने पोस्ट में, अमेरिकी विभाग ने ‘‘बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने’’ के लिए 2.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आवंटन, साथ ही नेपाल में ‘‘राजकोषीय संघवाद’’ के लिए 2 करोड़ अमेरिकी डॉलर और वहां ‘‘जैव विविधता संरक्षण’’ के लिए 1.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आवंटन को भी रद्द करने की घोषणा की।इसने मोजाम्बिक स्वैच्छिक चिकित्सा पुरुष खतना के लिए एक करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान में कटौती, कंबोडिया में स्वतंत्र आवाज को मज़बूत करने के लिए 23 लाख अमेरिकी डॉलर, प्राग सिविल सोसाइटी सेंटर को 3 करोड़ 20 लाख अमेरिकी डॉलर, लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण केंद्र के लिए चार करोड़ अमेरिकी डॉलर और सर्बिया में सार्वजनिक खरीद में सुधार के लिए 1.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ अन्य व्यय में भी कटौती की घोषणा की। इसमें एशिया में सीखने के परिणामों में सुधार के लिए 4.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर भी शामिल है।एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 7 फरवरी को ‘यूएसएड’ (अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी) अधिकारियों के अनुसार, दुनिया भर में इसके सभी मानवीय कार्य रोक दिए गए हैं। मस्क की घोषणा से पहले एजेंसी की वेबसाइट बंद कर दी गई। बाद में, ट्रंप द्वारा नामित एक न्यायाधीश ने एक अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश की घोषणा की जो राष्ट्रपति और विभाग को 2,200 कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेजने से रोकता है।

Elon Musk नीत अमेरिकी विभाग ने भारत को 2.1 करोड़ डॉलर के ‘चुनावी आवंटन’ को किया रद्द
The Odd Naari
लेखिका: नीतिका शर्मा, टीम नीतानागरी
परिचय
हाल ही में, अमेरिकी प्रशासन ने भारत को 2.1 करोड़ डॉलर के ‘चुनावी आवंटन’ को रद्द करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत में चुनावों का माहौल गर्म है और राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आई है। इस कदम ने भारतीय राजनीतिक गलियारों में होश उड़ाने वाले सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर कोई असर डालेगा?
decision का कारण
अमेरिकी विभाग के अनुसार, यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारतीय चुनावों को प्रभावित करने वाले तत्वों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक हो गया था। प्रशासन का कहना है कि इस राशि का प्रयोग उचित तरीके से नहीं किया गया। इसके साथ ही, अमेरिका ने भारतीय चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
भारत और अमेरिका के संबंध
भारत और अमेरिका के बीच वितरण की गई राशि के मुद्दे पर चर्चा करना अनिवार्य है। पिछले कुछ वर्षों में, दो देशों के बीच व्यापारिक संबंध और सामरिक सहयोग मजबूत हुआ है। लेकिन हाल के घटनाक्रम से स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच कुछ राजनीतिक बिंदुओं पर मतभेद हैं। यह निर्णय इस बात का संकेत है कि अमेरिका भारत के अंदरूनी मामलों में अधिक सतर्क रहने लगा है।
सीटों का आवंटन और भारत में चुनावी प्रक्रिया
भारत में चुनावी प्रक्रिया हमेशा से ही जटिल और विविधतापूर्ण रही है। चुनावों में धन की भूमिका अहम होती है। ऐसे में, इस आवंटन के रद्द होने से यह सवाल उठता है कि भारतीय चुनावों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या भारतीय राजनीतिक पार्टियाँ इस कमी को पूरा कर पाएंगी? यह समय ही बताएगा।
निष्कर्ष
अमेरिकी विभाग द्वारा भारत के लिए 2.1 करोड़ डॉलर के ‘चुनावी आवंटन’ का रद्द होना निश्चित रूप से भारतीय राजनीति में हलचल मचाएगा। यह निर्णय मात्र एक राशि को रद्द करने का नहीं है, बल्कि भारतीय राजनीति में बाहरी हस्तक्षेप की चर्चा को भी जन्म देता है। भारत को इस परिस्थिति का सामना करने के लिए खुद को तैयार करना होगा, ताकि वह अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रख सके।
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