जीरो फॉर जीरो टैरिफ से शुल्क कटौती तक, एक तीर से लगेंगे दो निशाने, ट्रंप भी खुश और भारत की भी बल्ले-बल्ले
भारत बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर आम सहमति बनाने के लिए अमेरिका के साथ क्षेत्र-विशिष्ट व्यापार चर्चा शुरू करने के लिए तैयार है। ब्लूमबर्ग ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा कि दोनों पक्ष इस सप्ताह द्विपक्षीय वार्ता शुरू करेंगे, जिसमें नई दिल्ली और वाशिंगटन दोनों ही रियायतें देने वाले क्षेत्रों के बारे में अधिक स्पष्टता चाहते हैं। इससे पहले मार्च में भारत के वाणिज्य विभाग और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के प्रतिनिधियों ने 26 मार्च से शुरू होकर चार दिनों तक राष्ट्रीय राजधानी में बैठक की थी।इसे भी पढ़ें: आफत में पोलियो का टीका लगाने वालों की जान, बंदूक की नोक पर अपरहण, ये जहर नहीं दवा है तालिबान को भी आ गया समझ, पाकिस्तानियों को कब आएगी अक्ल?जीरो-फॉर-जीरो टैरिफ रणनीतिभारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में 'जीरो-फॉर-जीरो' टैरिफ रणनीति पर चर्चा नहीं हो सकती है, क्योंकि दोनों देश वर्तमान में आर्थिक विकास के विभिन्न चरणों में हैं। जीरो-फॉर-जीरो टैरिफ रणनीति तब संभव है जब उन्नत अर्थव्यवस्थाएं आपस में कोई सौदा करती हैं, जैसे कि अमेरिका और यूरोपीय संघ। इसके विपरीत, भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए। यह रणनीति व्यावहारिक रूप से तब फायदेमंद नहीं है जब सौदा भारत और अमेरिका जैसी अलग-अलग अर्थव्यवस्थाओं के बीच हो। भारत और अमेरिका दोनों इस साल सितंबर या अक्टूबर तक वार्ता के पहले चरण को पूरा करना चाहते हैं। वर्तमान में, भारत-अमेरिका व्यापार 191 बिलियन अमरीकी डॉलर है, दोनों देश इस साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ पीएम मोदी की बैठक के दौरान परिकल्पित द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक 500 बिलियन अमरीकी डॉलर तक ले जाना चाहते हैं।इसे भी पढ़ें: China का अमेरिका पर भयंकर वार, अब खतरे में पड़ जाएगी F-35 Fighter Jet की सप्लाईअमेरिका और भारत व्यापार वार्ता से क्या उम्मीद करते हैं?अमेरिका भारत से पेट्रोकेमिकल्स, डेयरी, कृषि उत्पाद, इलेक्ट्रिक वाहन, वाइन और औद्योगिक वस्तुओं सहित कई क्षेत्रों में टैरिफ रियायतें मांग सकता है। भारत की मांगें श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे वस्त्र, रत्न और आभूषण, वस्त्र आदि पर शुल्क कटौती के इर्द-गिर्द केंद्रित हो सकती हैं। वाशिंगटन को यह भी उम्मीद है कि नई दिल्ली अपने कृषि बाजार को अमेरिकी व्यवसायों के लिए खोल देगा। हालाँकि, यह संभावना नहीं है कि भारत व्यापार वार्ता में डेयरी और कृषि को शामिल करेगा क्योंकि इन क्षेत्रों पर राजनीतिक प्रभाव पड़ सकता है।

जीरो फॉर जीरो टैरिफ से शुल्क कटौती तक, एक तीर से लगेंगे दो निशाने, ट्रंप भी खुश और भारत की भी बल्ले-बल्ले
The Odd Naari - लेखिका: साक्षी वर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तेजी लाने के लिए हाल ही में "जीरो फॉर जीरो टैरिफ" की रणनीति की घोषणा की गई है। इस रणनीति से न केवल भारतीय उद्योग को फायदा होगा, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी संतुष्ट करेगा। "जीरो फॉर जीरो टैरिफ" के तहत दोनों देशों में शुल्कों में कमी का व्यापक असर होगा। आइए जानते हैं इसके विस्तृत पहलुओं के बारे में।
जीरो फॉर जीरो टैरिफ का अर्थ
"जीरो फॉर जीरो टैरिफ" का मतलब है कि दोनों देशों एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ शून्य करने का समझौता करेंगे। यह नीति विशेष रूप से उन वस्तुओं पर लागू होगी जिनकी दोनों देशों में आपूर्ति में वृद्धि हो रही है। इससे भारतीय उत्पादकों को अपने सामान को अमेरिका में बेहतर तरीके से बेचने का अवसर मिलेगा।
भारत को मिलेगा फायदा
यह योजना भारतीय कृषि और उद्योग के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। जैसे कि भारतीय किसानों को अपने फलों और सब्जियों को अमेरिका में बिना टैरिफ के बेचने का मौका मिलेगा। इससे उनकी आय में वृद्धि होने की संभावना है। इसके साथ ही, भारतीय टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल उद्योग भी इससे लाभान्वित होंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति का नजरिया
डोनाल्ड ट्रंप ने हमेशा से भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों को बढ़ावा देने की बात की है। "जीरो फॉर जीरो टैरिफ" इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। इससे अमेरिका की खराब व्यापार संतुलन में सुधार होगा, जिससे ट्रंप प्रशासन को समर्थित करने का मौका मिलेगा।
खुली प्रतिस्पर्धा और नवाचार
इस नई नीति से प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी, जो नवाचार को प्रोत्साहित करेगी। भारतीय और अमेरिकी कंपनियाँ अपनी प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास करेंगी ताकि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। विशेष रूप से, युवा स्टार्टअप्स के लिए यह सुनहरा अवसर है।
निष्कर्ष
जीरो फॉर जीरो टैरिफ न केवल भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक साबित होगा। इससे न केवल व्यापार में वृद्धि होगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति भी मजबूत होगी। इसी तरह के कदमों के साथ भारत और अमेरिका की दोस्ती और भी गहरी होगी।
इस नीति के चलते भारत की उद्योगिक सीमाएँ और भी विस्तृत होंगी, और उम्मीद की जा रही है कि इस योजना के द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था में एक नई चमक देखने को मिलेगी।
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