8 घंटे तक पूछताछ, पुरुष ने कपड़े उतारवाकर तलाशी ली, अमेरिका में भारतीय महिला का छलका दर्द
एक चौंकाने वाली घटना में भारतीय उद्यमी श्रुति चतुर्वेदी को अमेरिका के अलास्का में एक हवाई अड्डे पर आठ घंटे तक हिरासत में रखा गया, उन्हें अत्यधिक अपमान का सामना करना पड़ा और बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा गया। यह सब उनके हैंडबैग में रखे एक साधारण पावर बैंक के लिए। इसके बाद जो कुछ हुआ, उसने कई लोगों को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों, खासकर भारत से आने वाले यात्रियों के साथ बढ़ती जांच और कठोर व्यवहार पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है। इंडिया एक्शन प्रोजेक्ट और चायपानी की संस्थापक चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर अपने दर्दनाक अनुभव को साझा किया, जिसमें एंकोरेज हवाई अड्डे पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ उनकी मुठभेड़ के परेशान करने वाले विवरण का खुलासा किया। उद्यमी का दुःस्वप्न तब शुरू हुआ जब सुरक्षा अधिकारियों ने उनके पावर बैंक को "संदिग्ध" के रूप में चिह्नित किया। स्थिति जल्दी ही दुःस्वप्न में बदल गई क्योंकि उन्हें हिरासत में लिया गया, पुलिस और एफबीआई द्वारा पूछताछ की गई और कैमरे पर एक पुरुष अधिकारी द्वारा शारीरिक रूप से तलाशी ली गई। इसे भी पढ़ें: सांसदों की चैट लीक होने के बाद एक्शन में ममता बनर्जी, महुआ मोइत्रा को निलंबन की चेतावनीचतुर्वेदी ने लिखा कि मुझे कल्पना करने की ज़रूरत नहीं है, पहले ही सबसे बुरे 8 घंटे बीत चुके हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उनके गर्म कपड़े उतार दिए गए, उन्हें एक ठंडे कमरे में इंतज़ार करने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें शौचालय का इस्तेमाल करने या एक भी फ़ोन कॉल करने की अनुमति नहीं दी गई। उनका मोबाइल फ़ोन और बटुआ जब्त कर लिया गया और जिस फ़्लाइट में उन्हें सवार होना था, वह छूट गई। चोट पर नमक छिड़कने के लिए, कोई गड़बड़ी न पाए जाने के बावजूद, अधिकारियों ने उनका सामान ज़ब्त कर लिया और उन्हें अपना सामान रखने के लिए सिर्फ़ एक पतला डफ़ल बैग दिया। इसे भी पढ़ें: 7 मौत के आरोपी फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन को जिला कोर्ट में किया गया पेश, आरोपी को 5 दिन की रिमांड पर भेजायह घटना, जो कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई, अंतरराष्ट्रीय यात्रियों, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका में, के सामने आने वाली चुनौतियों की एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। चतुर्वेदी, जो पहले से ही आक्रामक व्यवहार से हिल चुकी थीं, खुद को शक्तिहीन महसूस कर रही थीं, क्योंकि उन्हें भारत से किसी से भी संपर्क करने की अनुमति नहीं थी।

8 घंटे तक पूछताछ, पुरुष ने कपड़े उतारवाकर तलाशी ली, अमेरिका में भारतीय महिला का छलका दर्द
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लेखिका: पूजा शर्मा, टीम नेता नगारि
परिचय
अमेरिका में भारतीय महिलाओं के साथ अत्याचार और भेदभाव की कई घटनाएँ सामने आती रही हैं। हाल ही में एक घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया है, जहां एक भारतीय महिला को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा एक पुरुष अधिकारी के द्वारा 8 घंटे तक पूछताछ और शारीरिक जांच का सामना करना पड़ा। इस घटना ने न केवल महिला के आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाई बल्कि अमेरिका में भारतीय समुदाय के बीच चिंता और असुरक्षा की भावना भी बढ़ा दी है।
घटना का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस महिला को एक सुरक्षा चेकपॉइंट पर रोका गया। वहां एक पुरुष अधिकारी ने उसे कपड़े उतारकर तलाशी लेने के लिए कहा। इस प्रक्रिया के दौरान महिला को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। जबकि अधिकारियों का तर्क था कि यह प्रक्रिया सुरक्षा कारणों से आवश्यक थी, लेकिन महिला ने इसे अपमानजनक और अन्यायपूर्ण बताया।
महिला की तकलीफ
महिला ने अपनी आवाज़ उठाई और सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे अपने देश में इस तरह की humiliating स्थिति का सामना करना पड़ेगा।" उनकी आवाज़ में दर्द और नफरत दोनों साफ झलक रहे थे, और उन्होंने सरकार और स्थानीय प्रशासन से इस विषय में सख्त कार्रवाई की गुहार लगाई है।
समीक्षा और प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है। कई लोग महिला के प्रति समर्थन में आए हैं और अधिकारियों की कड़ी निंदा की है। अमेरिका में भारतीय समुदाय के कई नेता भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और इसे भेदभाव का एक खुला उदाहरण बता रहे हैं।
निष्कर्ष
यह घटना केवल एक महिला की नहीं, बल्कि पूरे भारत और अमेरिका के बीच सामंजस्य का प्रश्न है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी महिला इस तरह की संवेदनहीनता का सामना न करे। हमें अपनी आवाज़ उठानी होगी और महिलाओं के अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा। ऐसे मामलों का बार-बार सामना करने के बजाय हमें एक साथ मिलकर इस भेदभावपूर्ण प्रणाली के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी चाहिए।
इस घटना से स्पष्ट है कि भले ही अमेरिका एक विकसित देश हो, लेकिन यहाँ भी महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों की आवश्यकता है। अगर हम सब मिलकर इस मुद्दे के खिलाफ आवाज़ उठाने का कार्य करेंगे, तो हमें आशा है कि सुधार संभव है।