अमेरिका-यूरोप-चीन को ट्रेड वॉर के बीच जयशंकर ने दिखाया आईना, जानें क्या कहा

अमेरिकी नीति में गहन परिवर्तनों का एक उदाहरण न्यूनिक सुरक्षा परिषद सुरक्षा सम्मेलन में उपराष्ट्रपति का भाषण रहा है। वास्तव में मेरे विचार से उससे पहले भी एक बहुत ही प्रभावशाली भाषण था। जिसे शायद उतना ध्यान नहीं मिला। जो पेरिस में एआई एक्शन समिट में था। जो म्यूनिख से कुछ दिन पहले था। तो संयुक्त राज्य अमेरिका में परिवर्तन, जिससे आप सभी परिचित हैं। तो मुझे लगता है कि पिछले वर्ष में एक बड़ा बदलाव है। लेकिन दूसरा बदलाव है और वो एक विकास है जिसे आप कह सकते हैं कि ये कुछ ऐसा है जो दिखाई देता है, भले ही ये अधिक नाटकीय घटनाओं के बजाए एक खुलासा न हो और वो चीन की उन्नति है। तो ये निश्चति रूप से व्यापार के संबंध में हुआ है। हमने व्यापार की कहानी के रूप में कई तरीकों से जो देखा वो तकनीक की कहानी भी रही है। इसे भी पढ़ें: भारत में संस्कृति और परंपराओं के प्रति बढ़ी जागरूकता: जयशंकरजयशंकर ने कहा कि भारत के साथ संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर रखे गए प्रस्ताव पर ट्रंप प्रशासन ने तेजी से प्रतिक्रिया दी है। जयशंकर ने यहां आयोजित वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन के एक संवाद सत्र में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने दुनिया के साथ जुड़ने के अपने दृष्टिकोण को मौलिक रूप से बदल दिया है और इसका प्रत्येक प्रमुख क्षेत्रों, खासकर प्रौद्योगिकी क्षेत्र में असर है। इसे भी पढ़ें: तहव्वुर राणा और पाकिस्तान पर जयशंकर का बड़ा बयान, टेररिज्म इंडस्ट्री शुरू करोगे तो खुद भस्म हो जाओजयशंकर की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब शुल्क पर ट्रंप की नीति ने बड़े पैमाने पर व्यापार व्यवधानों और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं को जन्म दिया है। ट्रंप ने चीन को छोड़कर सभी देशों पर शुल्क लगाने के अपने फैसले को 90 दिनों के लिए टालने की घोषणा कर दी है। इससे व्यापार गतिरोध में तात्कालिक राहत मिलने की उम्मीद है। जयशंकर ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत का कोई ब्योरा न देते हुए संकेत दिया कि भारत इसे जल्द-से-जल्द तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाने को उत्सुक है।  जयशंकर ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत का कोई ब्योरा न देते हुए संकेत दिया कि भारत इसे जल्द-से-जल्द तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाने को उत्सुक है।

अमेरिका-यूरोप-चीन को ट्रेड वॉर के बीच जयशंकर ने दिखाया आईना, जानें क्या कहा
अमेरिका-यूरोप-चीन को ट्रेड वॉर के बीच जयशंकर ने दिखाया आईना, जानें क्या कहा

अमेरिका-यूरोप-चीन को ट्रेड वॉर के बीच जयशंकर ने दिखाया आईना, जानें क्या कहा

Tagline: The Odd Naari

लेखक: सुमिता राज, टीम नेटानागरी

परिचय

हाल ही में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका, यूरोप और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वैश्विक व्यापार की वर्तमान स्थिति केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रभावों से भी प्रभावित है। जानिए उन्होंने इस मुद्दे पर क्या कहा और इसका क्या महत्व है।

जयशंकर का बयान

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि ट्रड वॉर से भारतीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है, लेकिन भारत अपने खुद के रास्ते पर चलने को तैयार है। उन्होंने इस वार्ता के माध्यम से बताया कि वैश्विक व्यापार और संबंधों में स्थिरता और संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने प्रमुख देशों के साथ किए गए वार्तालापों का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार भारत सभी के हितों का ध्यान रखता है।

अमेरिका और यूरोप का दृष्टिकोण

अमेरिका और यूरोप के बीच वार्ता में आयात और निर्यात की शर्तों पर असहमति के संकेत देखे गए हैं। जयशंकर ने कहा कि वर्तमान अस्थिरता को खत्म करने का एकमात्र तरीका है संवाद और बातचीत। उन्होंने इससे पहले की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे निर्यात के प्रतिबंधों ने अनेक देशों के लिए समस्याएं खड़ी की हैं।

चीन की भूमिका

जयशंकर ने चीन के व्यापारिक व्यवहार पर भी गंभीरता से विचार किया। उन्होंने बताया कि चीन ने अपने व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए कई बार राजनीतिक दबाव का सहारा लिया है, जिससे वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उनका तर्क था कि सभी देशों को खुले व्यापार की तरफ ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि वाणिज्यिक तंत्र को सुचारू रखा जा सके।

भारत की स्थिति

जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत स्थिति की पुनर्व्यवस्था के लिए तत्पर है। भारत का उद्देश्य न केवल अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा करना है, बल्कि विश्व स्तर पर संतुलन और स्थिरता की स्थापना करना भी है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने व्यापारिक सहयोग का दायरा बढ़ाने के कई प्रयास किए हैं और भविष्य में भी ये जारी रहेंगे।

निष्कर्ष

जयशंकर के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत वैश्विक व्यापार में अपनी भूमिका को समझता है और उन चिंताओं को गंभीरता से ले रहा है जो वर्तमान ट्रेड वॉर से उत्पन्न हो रही हैं। आने वाले समय में व्यापारिक संबंधों की स्थिति को देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत एक व्यवहारिक दृष्टिकोण को अपनाए हुए है। इसके लिए निरंतर संवाद और सहकार्य की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा, वर्तमान व्यापार नीतियों और प्रवृत्तियों का विस्तार से अध्ययन करने की आवश्यकता है ताकि भारत अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सके। अधिक जानकारी के लिए, theoddnaari.com पर जाएं।

Keywords

India, Jaishankar, Trade War, USA, Europe, China, Foreign Relations, Economic Policy, Global Trade, International Relations