Modern Day Wars Part 4 | रूस-यूक्रेन, इजरायल-ईरान, भारत के पास है युद्ध ये बुद्ध वाला प्लान| Teh Tak
दुनिया भर के कई देशों के बीच आपस में युद्ध चल रहा है, इस युद्ध के कारण न केवल वो देश प्रभावित हो रहे हैं बल्कि इसका असर भी पूरा दुनिया पर देखने को मिल रहा है। युद्ध नहीं बुद्ध के मार्ग से दुनिया को शांति का संदेश देने वाला भारत कभी भी जंग का पक्षधर नहीं रहा है। विश्व युद्ध प्रथम हो या द्वितीय भारत ने कभी भी किसी भी धड़े का साथ न देते हुए गुटनिरपेक्षता का नया मार्ग दुनिया को दिखाया। जिस नीति पर वो अब भी कायम है। रूस और यूक्रेन की अदालत हो या इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद भारत किसी भी एक पक्ष के साथ खड़ा नहीं होता है बल्कि वो हमेशा से ये युद्ध का दौर नहीं है वाला फॉर्मूला सभी जंग में उतरे लोगों को देता है। भारत की भूमिका अहम अमेरिका विभन्न मंचों से ये कहता आया है कि भारत यूक्रेन-रूस जंग को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकता है। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार ने भी कहा कि अमेरिका ऐसे किसी भी देश का स्वागत करता है जो यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने में मदद करने का प्रयास करना चाहता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस की यात्रा के बाद यूक्रेन की यात्रा की थी। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने मोदी से फोन पर बात की। अमेरिकी अधिकारी से जब पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि भारत युद्ध को समाप्त करने में भूमिका निभा सकता है? किर्बी ने कहा, 'हम ऐसी उम्मीद करते हैं कि भारत शांति कायम करने में भूमिका निभा सकता है। इजरायल से भारत के अच्छे संबंध वहीं रूस और यूक्रेन के युद्ध से इतर अगर इजरायल और गाजा के बीच चल रहे युद्ध की बात करे तो इसमें भी भारत एक अहम प्लेयर है। भारत के फिलिस्तीन के साथ पुराने और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। वहीं हालिया दिनों में भारत और इजरायल के संबंध पिछले कुछ दिनों में बेहद मजबूत हुए हैं। इजरायल भारत का एक प्रमुख रक्षा एवं तकनीकी साझेदार है। दोनों देशों के बीच रक्षा एवं खरीद बिक्री से लेकर कृषि विज्ञान और सुरक्षा के क्षेत्र में गहरे सहयोग हैं। इजरायल की जंग फिलिस्तीन से नहीं बल्कि चरमपंथी संगठन हमास से है। डेढ़ साल से चले आ रहे युद्ध से अब फिलिस्तीन के लोग भी त्रस्त नजर आ रहे हैं। तभी तो वहां हमासे के विरोध में प्रदर्शन भी देखने को मिलने लगे हैं। फिलिस्तीनी लोगों का मानना है कि अगर हमास के सत्ता छोड़ने से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, तो उसे ऐसा कर देना चाहिए। भारत के सभी देशों से अच्छे संबंध पश्चिमी देशों के उलट भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध में किसी भी एक देश का पक्ष नहीं लिया है। पीएम मोदी ने बीते साल में रूस का भी दौरा किया और यूक्रेन का भी। इसी तरह इजरायल और ईरान के बीच मतभेदों में भी भारत निष्पक्ष रहा है। भारत ने दोनों देशों के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को संतुलित कर रखा है। भारत के लिए डिफेंस तकनीकों और उपकरणों के लिए इजरायल एक प्रमुख सोर्स है, वहीं कच्चे तेल के लिए वह ईरान पर निर्भर है। दुनियाभर में होने वाले किसी भी संघर्ष में भारत की कोशिश दोनों पक्षों से बातचीत कर शांति बहाल करने की रही है। संघर्षों को देखने का नजरिया अलग भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दुनियाभर के नेताओं के साथ जो संबंध हैं, उससे बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है। दुनियाभर में राजनीतिक बदलावों के प्रति भारत का रवैया भी इसी के तहत दिशा लेता है. जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को, इसके कारणों को और इसके व्यापक परिवेश को बहुत ही साफ नजरिए से देखा और इसके प्रति अपना रूख तय किया जबकि बहुत से अन्य देश इस मामले में भावनात्मक रूप से बह गए।

Modern Day Wars Part 4 | रूस-यूक्रेन, इजरायल-ईरान, भारत के पास है युद्ध ये बुद्ध वाला प्लान | Teh Tak
The Odd Naari
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
युद्ध का इतिहास मानव जाति की एक कड़वी सच्चाई है। आज के समय में, आधुनिक तकनीक और तीव्र राजनीतिक तनाव ने युद्ध की परिभाषा को नया मोड़ दिया है। इस लेख में हम भारत, रूस-यूक्रेन, और इजरायल-ईरान के मौजूदा संघर्ष पर चर्चा करेंगे और देखेंगे कि कैसे बुद्ध का दृष्टिकोण हमें इन चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध: एक आधुनिक संघर्ष
रूस-यूक्रेन युद्ध 2022 से पहले शुरू हुआ था, और इसने वैश्विक राजनीति को बुरी तरह प्रभावित किया है। रूस की सैन्य गतिविधियाँ और यूक्रेन की प्रतिरोधक क्षमता ने एक नए प्रकार की युद्धक्षेत्र की अवधारणा को जन्म दिया है। यहां तक कि इस युद्ध ने वाणिज्यिक और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। यूक्रेन में संघर्ष का मुख्य कारण इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना है।
इजरायल-ईरान का टकराव
इजरायल-ईरान के बीच का तनाव एक जटिल वास्तविकता है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम और इजरायल की सुरक्षा चिंताएँ इस टकराव का मूल कारण हैं। इस संघर्ष ने न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। इसके परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में अस्थिरता और आतंकवाद ने जन्म लिया है। यदि इस तनाव को बातचीत और समझौते के माध्यम से नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसका प्रभाव वैश्विक सुरक्षा पर गहरा असर डाल सकता है।
भारत: युद्ध की बुद्ध वाला प्लान
भारत ने हमेशा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश की है। बुद्ध का दृष्टिकोण भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। भारत ने द्विपक्षीय वार्ता और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से हमेशा चल रहे संघर्षों को सुलझाने की कोशिश की है। चाहे वह पाकिस्तान के साथ तनाव हो या अन्य राजनीतिक मामलों में, भारत ने बुद्ध की शिक्षा को अपने विचारों में धारण किया है।
समाप्ति
आज की जटिल वैश्विक परिस्थितियों में, युद्ध की चुनौतियों का समाधान केवल सैन्य बल से नहीं हो सकता। बुद्ध का विचार, शांति और समझौते का एक मार्ग है। हमें आवश्यक है कि हम इन संघर्षों को समझें और निपटने के लिए संवेदनशीलता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करें।
अंत में, यदि हम इस रणनीति का पालन करें, तो हम एक शांति पूर्वक दुनिया की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। आगे बढ़ने के लिए, अधिक अद्यतनों के लिए, theoddnaari.com पर जाएँ।