अपने पिता के नाम के बिना तेजस्वी की कोई पहचान नहीं होगी... प्रशांत किशोर ने फिर कसा तंज
जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की आलोचना की, उनकी राजनीतिक साख पर सवाल उठाया और दावा किया कि वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव की बदौलत इस पद पर हैं। एएनआई के साथ एक विशेष साक्षात्कार में किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव के पास स्वतंत्र राजनीतिक पहचान और विश्वसनीयता का अभाव है। उन्होंने आगे जोर दिया कि अपने पिता के नाम के बिना तेजस्वी की कोई महत्वपूर्ण पहचान नहीं होगी। इसे भी पढ़ें: दिल्ली में बैठकर बिहारियों का मजाक उड़ाते हैं और यहां आकर उपदेश देते हैं... राहुल गांधी पर प्रशांत किशोर का वारतेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने पूछा, "तेजस्वी यादव लालू यादव के बेटे हैं। तेजस्वी जो कुछ भी हैं, वह लालू यादव की वजह से हैं। अगर लालू यादव का नाम नहीं है, तो आपके लिए उनकी पहचान क्या है?" किशोर ने तर्क दिया कि तेजस्वी की स्थिति केवल उनके वंश की वजह से है, न कि उनकी उपलब्धियों या योग्यता की वजह से। उन्होंने बताया कि यादव समाज में कई ऐसे युवा नेता हैं जिनमें तेजस्वी से ज़्यादा क्षमता है। उन्होंने कहा कि आपने कहा कि तेजस्वी यादव युवा नेता हैं। बहुत सारे युवा नेता हैं। यादव समाज में उनसे कहीं ज़्यादा युवा नेता हैं। लेकिन जिस बुनियाद पर वे अब हैं, वह इसलिए नहीं है कि उन्होंने कुछ हासिल किया है। वे सिर्फ़ इसलिए इस पद पर हैं क्योंकि वे लालू यादव के बेटे हैं। किशोर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में काफी कम हुई है। उन्होंने 1995 में सिर्फ़ एक बार अपने दम पर चुनाव जीता था और उसके बाद से उनके सांसदों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। इसे भी पढ़ें: समाजवादी पार्टी ज्वाइन करेंगे तेज प्रताप यादव? अखिलेश से बात कर बोले- लड़ाई में अकेला नहींकिशोर ने एएनआई से कहा, "लालू यादव ने 1995 में सिर्फ़ एक बार अपने दम पर चुनाव जीता था। और वह तब जीते जब उन्हें गरीबों के नेता के तौर पर देखा गया। उसके बाद जब वह पिछड़ों के नेता बन गए तो उनके सांसदों की संख्या घटकर 20-25 रह गई। जब वह यादवों के नेता बन गए तो यह घटकर 10-12 रह गई। अब वह आरजेडी यादवों के नेता हैं तो उनकी संख्या 2-4-5 रह गई है।" किशोर, जो अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा के तहत बिहार के अंदरूनी इलाकों में लगातार घूम रहे हैं, ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को चुनौती दी और बिहार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया और उन पर वास्तविक राजनीतिक जुड़ाव के बजाय दिखावटी इशारे करने का आरोप लगाया।

अपने पिता के नाम के बिना तेजस्वी की कोई पहचान नहीं होगी... प्रशांत किशोर ने फिर कसा तंज
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जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की कड़ी आलोचना की है। किशोर ने अपने बयान में साफ तौर पर कहा कि तेजस्वी की राजनीतिक पहचान केवल उनके पिता लालू प्रसाद यादव की वजह से ही बनी है। एएनआई के साथ एक विशेष साक्षात्कार में किशोर ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव के पास स्वतंत्र राजनीतिक पहचान और विश्वसनीयता का अभाव है, और ये बातें बिहार की राजनीति में एक नई बहस का विषय बन गई हैं।
तेजस्वी यादव की राजनीतिक पहचान पर सवाल
किशोर ने तेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "तेजस्वी यादव लालू यादव के बेटे हैं। तेजस्वी जो कुछ भी हैं, वह लालू यादव की वजह से हैं। अगर लालू यादव का नाम नहीं है, तो आपके लिए उनकी पहचान क्या है?" उन्होंने तर्क किया कि तेजस्वी की स्थिति केवल वंश पर आधारित है, न कि उनकी उपलब्धियों या योग्यता पर। ऐसे में किशोर ने उन युवा नेताओं का जिक्र किया जिन्हें तेजस्वी से अधिक प्रतिभाशाली माना जाता है।
यादव समाज में बढ़ता युवा नेतृत्व
किशोर ने आगे कहा कि यादव समाज में कई युवा नेता हैं जो तेजस्वी से ज़्यादा क्षमता रखते हैं। उन्होंने बताया कि तेजस्वी की वर्तमान स्थिति को प्राप्त करने का कोई ठोस आधार नहीं है। किशोर के अनुसार, "आपने कहा कि तेजस्वी यादव युवा नेता हैं। लेकिन बहुत सारे युवा नेता हैं। यादव समाज में उनसे कहीं ज़्यादा युवा नेता हैं।" यह कहना किशोर का इशारा था कि तेजस्वी की पहचान केवल उनके परिवार की वजह से है।
लालू यादव की घटती लोकप्रियता
किशोर ने प्रयोगात्मक आंकड़ों के माध्यम से बताया कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की लोकप्रियता में पिछले कुछ सालों में काफी गिरावट आई है। उन्होंने 1995 में केवल एक बार अपने दम पर चुनाव जीता था और उसके बाद उनके सांसदों की संख्या में निरंतर कमी आई है। किशोर के अनुसार, लालू यादव के यादवों के नेता बनने के बाद उनकी सांसदों की संख्या घटकर 2-4 रह गई है, जो एक महत्वपूर्ण संकेत है।
राहुल गांधी पर तीखा हमला
किशोर ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर भी आरोप लगाया कि वह बिहार में वास्तविक राजनीतिक जुड़ाव के बजाय दिखावटी इशारे कर रहे हैं। इस तरह के बयान बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर सकते हैं। इस बयान से किशोर ने यह स्पष्ट किया कि वे अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा के दौरान बिहार के अंदरूनी इलाकों में जनता की समस्या को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर के बयान से यह साफ होता है कि बिहार की राजनीति में पहचान और वंश पर आधारित विवाद खुलकर सामने आ रहे हैं। तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य और उनकी सामर्थ्य पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। अब देखना यह है कि तेजस्वी अपने राजनीतिक करियर को किस दिशा में ले जाते हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर का यह तंज आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान कर सकता है और यह दिखा सकता है कि बिहार की राजनीति किस तरह बदल सकती है।