बैठक का किया बहिष्कार तो नहीं होगी आगे कोई बातचीत, इमरान की पार्टी को शहबाज सरकार की दो टूक

पाकिस्तानी सरकार ने दो टूक कह दिया है कि बैठक का बहिष्कार करने की सूरत में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के साथ बातचीत को रद्द कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सरकार पर अपने नेताओं और कैडरों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पीटीआई द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। अब ऐसे में देश में राजनीतिक तनाव और अस्थिरता को हल करने के लिए सरकार ने 23 दिसंबर को औपचारिक बातचीत की। पीटीआई भी 2023 में इमरान की गिरफ्तारी के मद्देनजर अपने आंदोलनों पर हिंसक कार्रवाई को लेकर लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रही है।इसे भी पढ़ें: हैलो दोस्त! PM मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से की फोन पर बात, विश्व शांति के लिए मिलकर काम करने पर हुई चर्चाक्या है पूरा मामलाअपनी पिछली बैठकों में पीटीआई ने मांगों का एक चार्टर प्रस्तुत किया था जिसमें 9 मई, 2023 को हिंसक विरोध प्रदर्शन की जांच के लिए न्यायिक आयोगों का गठन और 26 नवंबर, 2024 को पीटीआई पर कार्रवाई शामिल थी। पीटीआई ने कहा है कि वह केवल इसमें शामिल होगी यदि ये आयोग गठित होते हैं तो मंगलवार को बैठक होगी। अपनी ओर से समिति के प्रवक्ता सिद्दीकी ने कहा कि बैठक में पीटीआई की मांगों के जवाब में जवाब प्रस्तुत किया जाएगा। सिद्दीकी ने जियो टीवी से कहा कि सात दिन की समय सीमा से पहले कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती। हम 28 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में न्यायिक आयोग की पीटीआई की मांग का जवाब देंगे। सिद्दीकी ने आगे कहा कि पीटीआई इस मुद्दे को बैठकों के बजाय सड़कों पर ले जा रही है।इसे भी पढ़ें: Pakistan के पंजाब प्रांत में तेल के टैंकर में धमाका, 6 की मौत, 31 हुए घायल2023 से जेल में हैं इमरानपाकिस्तानी मीडिया ने बताया है कि समिति ने पीटीआई की मांगों पर चर्चा की है और अंतिम रूप दिया है कि 9 मई की घटना के संबंध में आयोग का गठन नहीं किया जा सकता है। 9 मई, 2023 को पीटीआई के इमरान समर्थकों ने सेना मुख्यालय और वरिष्ठ कमांडरों के घरों सहित देश भर में सैन्य सुविधाओं पर हमला किया था। पीटीआई पाकिस्तानी सेना और उन राजनीतिक दलों के खिलाफ आंदोलन कर रही है, जिन्हें वह सेना के साथ जुड़ा हुआ मानती है। 2022 में विश्वास मत में इमरान के अपदस्थ होने के बाद, उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय विपक्षी दल उन्हें हटाने के लिए पाकिस्तानी सेना और अमेरिकी सरकार के साथ मिले हुए थे। 2023 से इमरान जेल में हैं और उनके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी जेल में डाल दिया गया है। इमरान और पीटीआई का कहना है कि ये मामले राजनीति से प्रेरित हैं।

बैठक का किया बहिष्कार तो नहीं होगी आगे कोई बातचीत, इमरान की पार्टी को शहबाज सरकार की दो टूक
बैठक का किया बहिष्कार तो नहीं होगी आगे कोई बातचीत, इमरान की पार्टी को शहबाज सरकार की दो टूक

बैठक का किया बहिष्कार तो नहीं होगी आगे कोई बातचीत, इमरान की पार्टी को शहबाज सरकार की दो टूक

The Odd Naari

लेखक: कविता शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

हाल ही में पाकिस्तान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जहां इमरान खान की पार्टी ने एक महत्वपूर्ण बैठक का बहिष्कार किया। इस निर्णय ने शहबाज सरकार के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं। क्या यह स्थिति आगे की बातचीत को प्रभावित करेगी? आइए जानते हैं इस खबर के विभिन्न पहलुओं के बारे में।

शहबाज सरकार का स्पष्ट संकेत

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इमरान खान की पार्टी को एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि यदि वे बैठक का बहिष्कार करते हैं, तो आगे कोई बातचीत नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, "हम वार्ता के लिए तैयार हैं लेकिन यह एकतरफा प्रक्रिया नहीं हो सकती।"

बैठक का महत्व

यह बैठक न केवल राजनीतिक दलों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए आवश्यक थी, बल्कि यह पाकिस्तान के वर्तमान संकट के समाधान के लिए भी महत्वपूर्ण थी। बैठक में साझा विचार-विमर्श के माध्यम से समस्याओं के समाधान पर चर्चा होना थी, खासकर बाढ़ और आर्थिक मंदी जैसे मुद्दों पर।

इमरान खान की रणनीति

इमरान खान की पार्टी ने बैठक के बहिष्कार का निर्णय विभिन्न कारणों से लिया है। राजनीतिक दबाव और विरोधी दल की कार्यप्रणाली के कारण उनकी पार्टी ने इसे अनिवार्य समझा। इसका प्रमुख कारण यह भी है कि उन्होंने महसूस किया कि उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

बातचीत का प्रक्रिया में रोक

इस बहिष्कार के परिणामस्वरूप, बातचीत की प्रक्रिया में रोक लगने की उम्मीद जताई जा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे राजनीतिक स्थिरता पर संकट आ सकता है। इस स्थिति का समाधान निकालने के लिए सभी दलों को ईमानदारी से बातचीत करनी होगी।

निष्कर्ष

इमरान खान की पार्टी द्वारा बैठक का बहिष्कार, शहबाज सरकार की कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। राजनीतिक संवाद की आवश्यकता को समझते हुए, सभी दलों को आगे आकर समाधान की दिशा में काम करना चाहिए। क्या यह राजनीतिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगा या नई राह खोलने का अवसर प्रदान करेगा? यह देखना होगा।

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