प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर

The post प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर appeared first on Avikal Uttarakhand. राजनीति, प्रेम और पद की त्रासदी: पूर्व भाजपा विधायक सुरेश राठौर को संत समाज और पार्टी ने किया आउट अविकल उत्तराखंड देहरादून/हरिद्वार। भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर की निजी… The post प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर appeared first on Avikal Uttarakhand.

प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर
प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर

प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर

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Written by: Priya Sharma, Riya Gupta, and Neha Joshi

Introduction

राजनीति, प्रेम और पद के बीच संघर्ष एक बार फिर उजागर हुआ है जब भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर को उनके विवादास्पद निजी जीवन के कारण पार्टी से बाहर कर दिया गया। देहरादून और हरिद्वार में चर्चा का विषय बने राठौर की निजी जिंदगी उनके सार्वजनिक जीवन पर भारी पड़ गई है। यह घटना संत समाज के विरोध और सामाजिक बौद्धिकता का प्रतीक बन चुकी है।

सुरेश राठौर का विवादास्पद सफर

भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर का नाम कई बार प्रेम संबंधों और निजी विवादों से जुड़ा रहा है। उनके ऊपर दो विवाह करने के आरोप पहले से ही लगे हुए हैं, जो उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) का स्पष्ट उल्लंघन माना जा रहा है। इस विवाद के चलते संत समाज ने विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी, जो कि उनके बर्ताव को अत्यंत गंभीरता से ले रहा है।

संत समाज का असंतोष

इस मामले में संत समाज ने राठौर के व्यक्तिगत आचरण की तीव्र निंदा की है। उन्होंने ये आरोप लगाया है कि राठौर ने धार्मिक उपाधियों का अनुचित प्रयोग किया है, जिसकी वजह से उनका सामाजिक बहिष्कार संभव है। हरिद्वार में आयोजित एक प्रेस वार्ता में साध्वी रेणुका और संत मेहरचंद दास ने यह बात स्पष्ट की कि अगर राठौर ने अपने नाम के आगे धार्मिक उपाधियां लगाना बंद नहीं किया, तो उन्हें सामाजिक रुप से बहिष्कृत करने का निर्णय लिया जाएगा।

भाजपा की सख्त प्रतिक्रिया

भाजपा नेतृत्व ने राठौर को 23 जून को नोटिस जारी किया था और इसके बाद शनिवार को उन्हें छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया। पार्टी ने अपने पत्र में कहा कि राठौर का व्यवहार पार्टी की नैतिकता और सामाजिक आचरण के पूरी तरह खिलाफ है। इस निर्णय के पीछे संत समाज और जनता की बढ़ती नाराजगी अहम कारक रही है।

मीडिया की भूमिका

संत समाज ने मीडिया को भी सावधानी बरतने के लिए कहा है। उन्होंने आग्रह किया कि राठौर के नाम के साथ किसी भी धार्मिक उपाधि का उपयोग न किया जाए, क्योंकि ये उपाधियाँ उन्हें वैध रूप से प्रदान नहीं की गईं। यह उनकी परंपरा का घोर उल्लंघन है, जो समाज में नैतिकता के गिरते स्तर का प्रतीक है।

Conclusion

सुरेश राठौर का यह मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि यह धर्म, राजनीति और नैतिकता के जटिल ताने-बाने की एक महत्वपूर्ण परख है। समाज में सही आचरण को बनाए रखने की आवश्यकता है। भाजपा ने इस विवाद में सख्त कदम उठाकर यह संदेश दिया है कि पार्टी अपनी मान्यताओं और नैतिकता के खिलाफ किसी भी प्रकार की असामान्यताएं बर्दाश्त नहीं करेगी।

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