ट्रंप प्रशासन ने जन्म से नागरिकता पाबंदियों को आंशिक रूप से अनुमति देने का न्यायालय से अनुरोध किया
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह जन्म से नागरिकता पर पाबंदियों को आंशिक रूप से प्रभावी होने दे, जबकि मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवायी जारी है। बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय में दायर आपात आवेदनों में, प्रशासन ने न्यायाधीशों से मैरीलैंड, मैसाचुसेट्स और वाशिंगटन के जिला न्यायाधीशों द्वारा दिए गए आदेशों को सीमित करने का अनुरोध किया। जिला न्यायाधीशों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने के तुरंत बाद हस्ताक्षरित आदेश पर रोक लगा दी थी। तीन संघीय अपील अदालतों ने प्रशासन की अर्जियों को खारिज कर दिया है। यह आदेश 19 फरवरी के बाद पैदा हुए उन लोगों को नागरिकता देने से इनकार करेगा जिनके माता-पिता अवैध रूप से देश में हैं। यह अमेरिकी एजेंसियों को ऐसे बच्चों के लिए नागरिकता को मान्यता देने वाले किसी भी दस्तावेज को जारी करने या किसी भी प्रांत के इससे संबंधित दस्तावेज को स्वीकार करने से भी रोकता है।

ट्रंप प्रशासन ने जन्म से नागरिकता पाबंदियों को आंशिक रूप से अनुमति देने का न्यायालय से अनुरोध किया
The Odd Naari
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेतानागरी
हाल ही में, ट्रंप प्रशासन ने जन्म से नागरिकता पर पाबंदियों को आंशिक रूप से अनुमति देने के लिए अमेरिकी न्यायालय से अनुरोध किया है। इस कदम ने देश के विभिन्न वर्गों में हलचल मचा दी है और इसकी व्यापक जनित चिंताओं पर चर्चा शुरू हो गई है। यह समाचार एक निश्चित कानूनी नीति की ओर इशारा करता है जिसके तहत अमेरिका में अवैध प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
कानूनी पहलू और राजनीतिक भूमिका
ट्रंप प्रशासन का यह कदम उस समय आया है जब अमेरिका में आव्रजन नीति को लेकर बहस तेज हो गई है। वर्तमान में, अमेरिका जन्म से नागरिकता के सिद्धांत के तहत, जो बच्चे यहाँ जन्म लेते है, उन्हें स्वचालित रूप से नागरिकता प्राप्त होती है। प्रशासन का तर्क है कि यह नीति देश की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है और इससे देश में अवैध प्रवासियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
विभिन्न प्रतिक्रियाएँ
इस अनुरोध को लेकर विभिन्न राजनीतिक पक्षों से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ नेता इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि कई अन्य इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि जन्म से नागरिकता पर पाबंदी लगाना न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह अमेरिका की मूलभूत मानवता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
संभावित प्रभाव
यदि न्यायालय इस अनुरोध को मानता है, तो इसका प्रभाव सीधे तौर पर अमेरिका में आव्रजन के नियमों और नियमों पर पड़ेगा। यह देश के सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि नागरिकता से वंचित होने की स्थिति में बच्चे भविष्य में कई मौकों से महरूम रह सकते हैं।
निष्कर्ष
ट्रंप प्रशासन का यह अनुरोध केवल कानून से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी समाज के मूल्य, उसके सिद्धांत और मानवता के प्रति साझा जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है। इस मुद्दे पर आगे क्या निर्णय होता है, यह केवल न्यायालय के विचार का विषय है। लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका की आव्रजन नीति में बदलाव की आवश्यकता है और इसके साथ ही हमारी जिम्मेदारी भी मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की है।
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