जयंत OUT, शिंदे IN, कभी उद्धव के मुकाबले जिसे खड़ा कर रहे थे पवार, क्या बीजेपी में जाएंगे शरद के सिपहसालार
महाराष्ट्र में फिर से अब एक नई सियासी हलचल है। शरद पवार की पार्टी एनसीपी शरद चंद्र पवार के प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया गया है। जयंत पाटिल की जगह पर शशिकांत शिंदे को कमान मिल गई है। तभी से एनसीपी शरद गुट में फूट की खबरें आ रही है। अब देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरिश महाजन ने ये दावा किया है कि जयंत पाटिल अपनी पार्टी में नाखुश हैं और हमने उनसे संपर्क किया है। जयंत पाटिल बड़े नेता माने जाते हैं और आठ बार से इस्लामपुर के विधायक हैं। 2017 में जब एनसीपी में विभाजन नहीं हुआ था तभी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। सात साल से ज्यादा वक्त तक वो इस पद पर रहे। उन्होंने कहा था कि बहुत लंबा समय हो गया है और पार्टी में युवाओं को मौका मिलना चाहिए।इसे भी पढ़ें: मराठी में बोलूं या हिंदी में? महाराष्ट्र के सीनियर वकील से PM मोदी ने फोन पर पूछा, भाषा विवाद के बीच दिया बड़ा संदेशकहा जाता है कि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के सामने मुख्यमंत्री के तौर पर जयंत पाटिल का नाम ही रखा था। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस और उद्धव उस वक्त जयंत पाटिल के नाम पर तैयार नहीं हुए। उसके बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। अब शरद पवार ने अपने बेहद करीबी शिकांत शिंदे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। शिंदे इस समय विधान परिषद के सदस्य है। महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जयंत पाटिल के इस्तीफे की अहमियत तो है ही, अगर वो पार्टी भी छोड़ देते हैं, और किसी और के साथ चले जाते हैं तो निश्चित तौर पर ये शरद पवार और उनकी टीम के लिए बहुत बड़ा झटका है।इसे भी पढ़ें: Nitesh Rane Challenge to Thackeray: मराठी में कराओ अजान, बस बंदूके निकलेंगी... नीतीश राणे का ठाकरे को खुला चैलेंज, हिला पूरा महाराष्ट्र!इधर, प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले विधायक जयंत पाटील को लेकर अटकलबाजी शुरू हो गई है। बीजेपी के नेता व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरीष महाजन ने कहा कि जयंत पाटील अपनी पार्टी में नाखुश हैं। वह उनसे संपर्क में हैं। जयंत पाटिल ने किसी और पार्टी में जाने की खबरों पर कहा कि मैंने भाजपा के किसी नेता से संपर्क नहीं किया है और न ही किसी ने मुझे भाजपा में शामिल होने के लिए कहा है। मैं एक पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष हूं और ऐसी खबरों से हैरान हूं। पाटिल ने आगे कहा कि अगर कोई किसी दूसरी पार्टी के नेता से मिलता भी है, तो इससे तमाम तरह की अटकलें लगने लगती हैं। मैंने कई बार ऐसी खबरों का खंडन किया है, लेकिन वे बार-बार सामने आती रहती हैं।

जयंत OUT, शिंदे IN, कभी उद्धव के मुकाबले जिसे खड़ा कर रहे थे पवार, क्या बीजेपी में जाएंगे शरद के सिपहसालार
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महाराष्ट्र में फिर से एक नई सियासी हलचल देखने को मिली है। शरद पवार की पार्टी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। जयंत पाटिल को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह शशिकांत शिंदे को कमान सौंपी गई है। इस बदलाव के बाद से एनसीपी शरद गुट में फूट की खबरें तेज हो गई हैं, जिससे पार्टी के भीतर की राजनीति में रोचकता बढ़ गई है।
जयंत पाटिल का प्रभाव और उनके इस्तीफे का महत्व
जयंत पाटिल, जो इस्लामपुर के विधायक रह चुके हैं, को समझा जाता है कि वे इस समय पार्टी में नाखुश हैं। देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरिश महाजन का ताजा बयान इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। पाटिल ने 2017 में एनसीपी में अध्यक्ष बनने के बाद अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, लेकिन अब उन्हें यह महसूस हो रहा है कि पार्टी में युवाओं को मौका मिलना चाहिए।
शरद पवार ने क्यों लिया यह फैसला?
कहा जाता है कि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के सामने मुख्यमंत्री के पद के लिए जयंत पाटिल का नाम प्रस्तावित किया था लेकिन उस समय स्थिति अनुकूल नहीं थी। अब, पवार ने शशिकांत शिंदे को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है, जो वर्तमान में विधान परिषद के सदस्य हैं। यह बदलाव स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यदि जयंत पाटिल पार्टी छोड़ते हैं और किसी अन्य दल में शामिल होते हैं, तो यह एनसीपी के लिए एक बड़ा झटका होगा।
बीजेपी में जाने की संभावनाएँ
पाटिल ने इस बात से इनकार किया है कि वे बीजेपी में शामिल होने का सोच रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने किसी बीजेपी नेता से संपर्क नहीं किया है और न ही किसी ने उनसे बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव रखा है। फिर भी, उनके बारे में चल रही अटकलें एक गंभीर संकेत हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है।
आगे की राह
इस सियासी हलचल में आगे क्या होगा, यह महत्वपूर्ण है। अगर जयंत पाटिल को पार्टी में कोई विकल्प नहीं मिलता है और वे बीजेपी का रुख करते हैं तो यह एनसीपी की साख को प्रभावित करेगा। महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त क्या हो रहा है, इसे समझने के लिए हमें परखना होगा कि पवार का अगला कदम क्या होगा।
उम्मीद करते हैं कि महाराष्ट्र में स्थिरता बनी रहेगी और पार्टी के भीतर चल रही चर्चा बुनियादी बदलाव लाने में सफल होगी। आगे की घटनाओं पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक परिवर्तन का संकेत हो सकता है।
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