यह प्रशांत किशोर या जन सुराज की जीत नहीं होगी, यह जनता की जीत होगी, बिहार में PK में फिर भरी हुंकार

बिहार के भोजपुर में बदलाव रैली को संबोधित करते हुए जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारा एक ही लक्ष्य है कि बिहार की जनता इस बार नंबर वन रहेगी, लालू यादव, नीतीश कुमार और पीएम मोदी सब नीचे जाएंगे। यह प्रशांत किशोर या जन सुराज की जीत नहीं होगी, यह जनता की जीत होगी। उन्होंने कहा कि जो लोग भ्रष्टाचार, नेताओं की लूट के कारण 30-35 सालों से गरीबी में जी रहे हैं, जिनके बच्चे अनपढ़ रह गए, जिनके बच्चे मजदूर बन गए, अब सब जाग चुके हैं। सबने तय कर लिया है कि बिहार में शिक्षा और रोजगार के लिए नई व्यवस्था लानी है।  इसे भी पढ़ें: चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा क्यों? वोटर लिस्ट सत्यापन को लेकर बोले तेजस्वी बोले, नीतीश और मोदी डरे हुए हैं इससे पहले प्रशांत किशोर ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की आलोचना की, उनकी राजनीतिक साख पर सवाल उठाया और दावा किया कि वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव की बदौलत इस पद पर हैं। एएनआई के साथ एक विशेष साक्षात्कार में किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव के पास स्वतंत्र राजनीतिक पहचान और विश्वसनीयता का अभाव है। उन्होंने आगे जोर दिया कि अपने पिता के नाम के बिना तेजस्वी की कोई महत्वपूर्ण पहचान नहीं होगी। तेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने पूछा, "तेजस्वी यादव लालू यादव के बेटे हैं। तेजस्वी जो कुछ भी हैं, वह लालू यादव की वजह से हैं। अगर लालू यादव का नाम नहीं है, तो आपके लिए उनकी पहचान क्या है?" किशोर ने तर्क दिया कि तेजस्वी की स्थिति केवल उनके वंश की वजह से है, न कि उनकी उपलब्धियों या योग्यता की वजह से। उन्होंने बताया कि यादव समाज में कई ऐसे युवा नेता हैं जिनमें तेजस्वी से ज़्यादा क्षमता है।  इसे भी पढ़ें: पीएम मोदी की नौ रैलियां, 200 सीटें होगी कवर, बिहार चुनाव के लिए BJP ने तैयार किया खास प्लानउन्होंने कहा कि आपने कहा कि तेजस्वी यादव युवा नेता हैं। बहुत सारे युवा नेता हैं। यादव समाज में उनसे कहीं ज़्यादा युवा नेता हैं। लेकिन जिस बुनियाद पर वे अब हैं, वह इसलिए नहीं है कि उन्होंने कुछ हासिल किया है। वे सिर्फ़ इसलिए इस पद पर हैं क्योंकि वे लालू यादव के बेटे हैं। किशोर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में काफी कम हुई है। उन्होंने 1995 में सिर्फ़ एक बार अपने दम पर चुनाव जीता था और उसके बाद से उनके सांसदों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।

यह प्रशांत किशोर या जन सुराज की जीत नहीं होगी, यह जनता की जीत होगी, बिहार में PK में फिर भरी हुंकार
यह प्रशांत किशोर या जन सुराज की जीत नहीं होगी, यह जनता की जीत होगी, बिहार में PK में फिर भरी हुंकार

यह प्रशांत किशोर या जन सुराज की जीत नहीं होगी, यह जनता की जीत होगी, बिहार में PK में फिर भरी हुंकार

बिहार के भोजपुर में बदलाव रैली को संबोधित करते हुए जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक अविस्मरणीय संदेश दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बिहार की जनता इस बार नंबर वन बनने के लिए तैयार है। किशोर ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा करते हुए यह स्पष्ट किया कि यह सिर्फ उनकी या उनके संगठन की जीत नहीं होगी, बल्कि यह सम्पूर्ण जनता की जीत होगी।

बिहार के मुद्दे और जन जागरूकता

प्रशांत किशोर ने सभा में उपस्थित लोगों को बताया कि जिन लोगों ने पिछले 30-35 सालों में भ्रष्टाचार और नेताओं की लूट के कारण गरीबी का सामना किया है, वे अब जाग चुके हैं। उन्होंने कबूल किया कि राज्य में व्याप्त शिक्षा और रोजगार की समस्याओं के कारण लोग निराश हैं, लेकिन अब सबकी एक ही मंशा है – एक नई व्यवस्था की स्थापना।

तेजस्वी यादव पर प्रशांत किशोर की आलोचना

इस रैली में, किशोर ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि तेजस्वी बीजेपी के जैसे मान्यता पाकर खुद को नेता समझ रहे हैं, जबकि वे अपने पिता लालू प्रसाद यादव के कारण ही इस पद पर हैं। उन्होंने तेजस्वी की पहचान पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी राजनीतिक साख के लिए जरूरी है कि वे व्यक्तिगत रूप से अपनी पहचान बनाएं।

नेतृत्व की जरूरत और युवा जागरूकता

किशोर ने कहा कि यादव समाज में कई युवा नेता हैं, जिनमें तेजस्वी से ज्यादा क्षमता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि तेजस्वी का नाम और पिता का समर्थन न होता, तो उनकी स्थिति बहुत अलग होती। यह शब्द युवा नेताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा जो अपनी जगह बनाना चाहते हैं।

लालू यादव की घटती लोकप्रयता

किशोर ने इस बात को भी रेखांकित किया कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में लगातार घट रही है। उन्होंने 1995 में एक बार बिना समर्थन के चुनाव जीतने की बात की, लेकिन उसके बाद से उनकी पार्टी के सांसदों की संख्या में गिरावट आई है।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर के इस वक्तव्‍य ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ लाया है। उनकी यथार्थवादी दृष्टिकोण और लोगों की समस्याओं के प्रति जागरूकता की प्रवृत्ति यह संकेत कर रही है कि बिहार की राजनीति अब सामान्य नेताओं से ऊपर उठकर जनता के मुद्दों पर केंद्रित हो रही है। मिशन 2020 में जानने के लिए दिलचस्पी बनी रहती है कि वास्तव में जनता की इच्छा कितनी मजबूत है।

बिहार की राजनीति में यह परिवर्तन स्वरूप का एक संकेत है। अगर बिहार के लोग एक साथ आएं, तो यह निश्चित रूप से एक जन संपर्क का दौर साबित होगा।

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लेखकों की टीम: अदिति, साक्षी, और नंदनी

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