Trump Tariff News: टैरिफ के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ने को तैयार, ट्रंप की जिद पर चीन का ऐलान-ए-जंग

चीन ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है, क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ से शुरू हुआ वैश्विक व्यापार युद्ध बाजारों को प्रभावित कर रहा है, कूटनीतिक मतभेदों को गहरा कर रहा है, तथा वैश्विक आर्थिक स्थिरता को खतरा पहुंचा रहा है। चीन ने अमेरिका द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की निंदा की है। यह कदम बीजिंग द्वारा पिछले सप्ताह ट्रंप द्वारा घोषित पारस्परिक शुल्कों के बराबर शुल्क लगाने के निर्णय के प्रतिशोध में उठाया गया। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक तीखे बयान में कहा चीन के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने की अमेरिकी पक्ष की धमकी एक बड़ी गलती है। यदि अमेरिका अपनी बात पर अड़ा रहा तो चीन अंत तक लड़ेगा।इसे भी पढ़ें: China हो रहा ध्वस्त, बाजार गिर रहे हैं, ट्रंप ने अपने टैरिफ के दांव को सही ठहरायाबीजिंग का सख्त रुख, जो कि वार्ता के लिए उसके पहले के आह्वान से एकदम अलग है, विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक टकराव के एक नए चरण का संकेत देता है। कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख समाचार पत्र ने सोमवार को घोषणा की कि चीन अब किसी समझौते के भ्रम में नहीं रह गया है। हालांकि उसने भविष्य में बातचीत के लिए एक खिड़की खुली रखी है।इसे भी पढ़ें: 15 मिनट में ही TikTok डील पर राजी हो जाता चीन, अगर अमेरिका...ट्रंप ने एयर फोर्स वन में बैठे-बैठे क्या नया दावा कर दिया2 अप्रैल को घोषित ट्रम्प के टैरिफ का नतीजा बहुत तेज़ और गंभीर रहा है। लंबे समय तक व्यापार गतिरोध की आशंकाओं के कारण दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में गिरावट आई है। हालांकि मंगलवार को आंशिक सुधार देखने को मिला - जापान के निक्केई में 6% की बढ़त और चीनी ब्लू चिप्स में 1% की उछाल के साथ - लेकिन अस्थिरता ने निवेशकों की गहरी बेचैनी को रेखांकित किया। यूरोपीय शेयर 14 महीने के निचले स्तर से उछल गए, जबकि अमेरिकी वायदा में मामूली बढ़त दर्ज की गई, जिसने खरबों डॉलर के मूल्य को नष्ट कर दिया था।

Trump Tariff News: टैरिफ के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ने को तैयार, ट्रंप की जिद पर चीन का ऐलान-ए-जंग
Trump Tariff News: टैरिफ के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ने को तैयार, ट्रंप की जिद पर चीन का ऐलान-ए-जंग

Trump Tariff News: टैरिफ के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ने को तैयार, ट्रंप की जिद पर चीन का ऐलान-ए-जंग

लेखक: राधिका वर्मा, टीम नीतानागरी

चीन और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक टकराव ने एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया है कि वह चीन के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों और टैरिफ के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते। इस मुद्दे पर चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वह आखिरी दम तक लड़ेगा। इस लेख में हम ट्रंप के टैरिफ नीतियों और चीन की प्रतिक्रिया पर चर्चा करेंगे।

ट्रंप की टैरिफ नीति का ऐतिहासिक संदर्भ

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान कई बार चीन पर आरोप लगाया कि वह अमेरिका के व्यापारिक हितों का उल्लंघन कर रहा है। 2018 में शुरू हुई टैरिफ युद्ध ने दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को आमने-सामने ला खड़ा किया। ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने का निर्णय लिया, जिससे चीनी उत्पादों की लागत बढ़ गई। इसके परिणाम स्वरूप अंतरराष्ट्रीय बाजार में कंपनियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा।

चीन का ऐलान-ए-जंग

चीन के अधिकारियों ने ट्रंप की इस जिद पर कठोर प्रतिक्रिया दी है। चीनी व्यापार मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि यदि अमेरिका अपना टैरिफ बढ़ाने का निर्णय जारी रखता है, तो चीन भी अपनी आर्थिक नीतियों में सुधार करने के लिए मजबूर होगा। चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि टैरिफ युद्ध में युद्ध के हालात पैदा हो सकते हैं। यह केवल व्यापारिक मुद्दा नहीं रह जाएगा, बल्कि यह विश्व राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण संकेत देगा।

टैरिफ के प्रभाव और संभावित समाधान

शोधों से पता लगता है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों का प्रभाव अमेरिका के उपभोक्ताओं पर व्यापक रूप से पड़ा है, जो महंगे उत्पादों की खरीद के लिए मजबूर हुए हैं। इसके साथ ही, अमेरिकी कंपनियों को भी अपने उत्पादन के संबंध में नई रणनीति अपनानी पड़ी है। दोनों देशों के बीच बातचीत का कोई रास्ता न बनने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन क्या दोनों नेता किसी चौराहे पर सहमति पहुंच पाएंगे? यह सवाल अपने आप में एक चुनौती है।

संभावित भविष्य और निष्कर्ष

यह स्पष्ट है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों और चीन की प्रतिक्रिया ने वैश्विक व्यापार को एक नई दिशा में ले जाने का काम किया है। अगर दोनों देश इस विवाद को सुलझाने में असफल रहते हैं, तो इसका असर न केवल अमेरिकी और चीनी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, बल्कि यह विश्वव्यापी व्यापार में भी एक स्थायी परिवर्तन ला सकता है। एक संवाद ही रास्ता सुझा सकता है, लेकिन क्या दोनों पक्ष इसके लिए तैयार हैं? यह एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर निकट भविष्य में मिलना चाहिए।

अंत में, हम यह कह सकते हैं कि अमेरिकी-चीन व्यापारिक संबंध पर निकटता से नजर रखी जानी चाहिए। ट्रंप की जिद और चीन का ऐलान-ए-जंग, दोनों ही संकेत देते हैं कि हमें जल्द ही कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। भविष्य के लिए यह आवश्यक है कि दोनों देश मिलकर बातचीत करें और समझौते का रास्ता निकालें।

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