उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, 2027 तक था कार्यकाल
इस वक्त की बड़ी खबर रही है कि भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीश धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा है। जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था। अपनी स्थिति में जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल का धन्यवाद दिया है। इसके साथ ही उन्होंने सांसदों का समय और विश्वासक लिए भी आभार जताया हैं। धनखड़ ने अपने पत्र में कहा, "सभी माननीय सांसदों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह हमेशा मेरी स्मृति में रहेगा। हमारे महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में मुझे जो अमूल्य अनुभव और अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई है, उसके लिए मैं तहे दिल से आभारी हूँ।" उन्होंने राष्ट्र के इतिहास के एक महत्वपूर्ण कालखंड में भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखने और उसमें योगदान देने की संतुष्टि पर प्रकाश डाला। पद छोड़ते हुए, धनखड़ ने भारत के वैश्विक उत्थान और उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया और देश के उज्ज्वल भविष्य में अपने अटूट विश्वास की पुष्टि की। जून में, नैनीताल में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान धनखड़ बेहोश हो गए थे। यह घटना तब हुई जब उन्होंने अपना भाषण दिया और भावुक होकर पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल को गले लगा लिया। कार्यक्रम के दौरान धनखड़ कुछ देर के लिए बेहोश हो गए थे; हालाँकि, उनकी चिकित्सा टीम ने तुरंत उनका इलाज किया और वे जल्द ही ठीक हो गए। बाद में वे आराम करने के लिए राजभवन चले गए। इससे पहले मार्च में, धनखड़ को हृदय संबंधी बीमारियों के बाद एम्स-दिल्ली में भर्ती कराया गया था। एम्स-दिल्ली ने कहा था, "एम्स की मेडिकल टीम से आवश्यक देखभाल मिलने के बाद, उनकी हालत में संतोषजनक सुधार हुआ और 12 मार्च को उन्हें छुट्टी दे दी गई।"

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, 2027 तक था कार्यकाल
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इस वक्त की बड़ी खबर यह है कि भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा है। जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था। हम इस मौके पर उनके योगदान और सेवा की चर्चा करते हैं।
इस्तीफे का कारण और पृष्ठभूमि
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल का धन्यवाद दिया है। उनके अनुसार, सांसदों से उन्हें जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह हमेशा उनकी स्मृति में रहेगा। धनखड़ ने पत्र में लिखा कि उपराष्ट्रपति के रूप में उन्हें जो अमूल्य अनुभव और अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई है, वह उन्हें तहे दिल से आभारी बनाएगी। उन्होंने भारत के आर्थिक प्रगति की ओर भी गौर किया और कहा कि उन्हें इस दौरान इतिहास के महत्वपूर्ण कालखंड को देखने का अवसर मिला है।
स्वास्थ्य के मुद्दे और रिकवरी
हाल ही में जगदीप धनखड़ नैनीताल में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में बेहोश हो गए थे। इस घटना ने उनके स्वास्थ्य पर चिंता बढ़ाई थी। हालांकि, उनकी मेडिकल टीम ने तुरंत उन्हें चिकित्सा सेवा प्रदान की, जिससे वे शीघ्र ही ठीक हो गए। इससे पहले, मार्च में, उन्हें हृदय संबंधी बीमारियों के कारण एम्स-दिल्ली में भर्ती कराया गया था। अच्छी बात यह है कि डॉक्टरों ने उन्हें बाद में अस्पताल से छुट्टी दे दी।
धनखड़ की सेवा और योगदान
जगदीप धनखड़ का कार्यकाल राजनीति में समर्पण और ईमानदारी का प्रतीक रहा है। उन्होंने उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किए। उनके नेतृत्व में, भारत ने कई सामाजिक और आर्थिक नीतियों को सक्रिय किया जो कि देश की प्रगति में योगदान देंगी। उनके इस्तीफे के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनका उत्तराधिकारी भविष्य में किस तरह की दिशा प्रदान करेगा।
निष्कर्ष
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा निश्चय ही भारत की राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अपने अद्वितीय अनुभवों और दृष्टिकोन के साथ, उन्होंने देश को आगे बढ़ाने के लिए ठोस कार्य किए। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। भारत के विकास की दिशा में उनके विचारों का प्रभाव लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।
राष्ट्र की राजनीतिक स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर गहरी नजर रखने की आवश्यकता है। हमें देखना होगा कि अगले उपराष्ट्रपति के आने से क्या बदलाव होंगे। ऐसे में उनकी उपलब्धियों को कभी भूलना नहीं चाहिए।
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