उत्तराखंड सहित हिमालयी क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी जातीय जनगणना शुरू
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उत्तराखंड सहित हिमालयी क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी जातीय जनगणना शुरू
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नई दिल्ली: उत्तराखंड और अन्य हिमालयी क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 से जातीय जनगणना की प्रक्रिया प्रारंभ होने की घोषणा की गई है। यह जानकारी हरिद्वार सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी गई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह सूचना साझा की कि जनगणना-2027 की प्रक्रिया दो चरणों में होगी।
जातीय जनगणना का महत्व
जातीय जनगणना केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह विकास की आधारशिला भी है। त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यह प्रक्रिया योजनाओं को अधिक लक्ष्य आधारित बनाने में मदद करेगी। उन्होंने इसे ‘विकसित भारत 2047’ के विज़न की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा जातिगत आंकड़े जुटाने के निर्णय को भी स्वागत योग्य बताया।
जनगणना के चरण
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने बताया कि जनगणना-2027 दो चरणों में कराई जाएगी। पहले चरण में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना होगी, जिसमें परिवार की आवासीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं की जानकारी एकत्र की जाएगी। दूसरे चरण में, जनसंख्या से जुड़े सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय विवरण लिए जाएंगे। विशेष रूप से, इस जनगणना में जाति आधारित आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा।
महत्वपूर्ण तिथियाँ
इस जनगणना के लिए सामान्य क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि निर्धारित की गई है, जबकि हिमालयी क्षेत्रों के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि होगी। जनगणना-2027 के लिए वित्तीय प्रावधानों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिसका विवरण यथासमय साझा किया जाएगा।
भविष्य की दिशा
सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत का मानना है कि इस जनगणना से योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में सहायता मिलेगी और यह विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी। जनगणना का मुख्य उद्देश्य समाज के सभी वर्गों की जानकारी एकत्र करना है, जिससे सरकार को अधिक सही आँकड़ें उपलब्ध हो सकें।
अंततः, यह जातीय जनगणना न केवल आंकड़ों का संग्रह करेगी, बल्कि यह विकास के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं और नीतियों को भी निर्धारित करेगी। जनगणना का उद्देश्य है सभी वर्गों के लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना और विकास की प्रक्रिया में उन्हें शामिल करना।
युवाओं, महिला सशक्तीकरण, और बुनियादी सेवाओं के विकास में यह जनगणना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसे विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की दिशा में भी एक नई सोच के साथ लागू किया जाएगा।
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