भारत ने मालदीव के रक्षा मंत्रालय का नया भवन बनवा कर चीन को साफ और स्पष्ट संकेत दे दिया है, मोदी कर सकते हैं इस बिल्डिंग का उद्घाटन

भारत और मालदीव के बीच संबंधों का ऐतिहासिक आधार हाल में कई उतारों को देखने के बाद अब चढ़ाव की राह पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत भारत ने मालदीव के साथ रक्षा, अवसंरचना और आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाई दी है। इसी कड़ी में भारत सरकार के सहयोग से मालदीव के रक्षा मंत्रालय का नया भवन तैयार हुआ है, जो केवल एक इमारत नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच रक्षा और कूटनीतिक संबंधों के सुदृढ़ भविष्य का प्रतीक है।माले में स्थित रक्षा मंत्रालय भवन को आधुनिक तकनीक, ऊर्जा दक्षता और हरित निर्माण की अवधारणा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। भवन में अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था, स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और रक्षा प्रबंधन के अनुकूल तकनीकी सुविधाएं शामिल हैं। हम आपको बता दें कि भारत ने इस परियोजना के लिए वित्तीय सहायता, तकनीकी परामर्श और निर्माण विशेषज्ञता उपलब्ध करायी।इसे भी पढ़ें: PM Modi’s Maldives outreach: भारत की मुट्ठी में चीन का दोस्त, संसद सत्र के बीच अचानक मालदीव क्यों जा रहे PM मोदी?हम आपको बता दें कि मालदीव हिंद महासागर में भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। उसकी रक्षा क्षमताओं का सशक्त होना भारत के लिए भी जरूरी है क्योंकि इससे समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद रोधी अभियान और आपदा प्रबंधन में दोनों देशों के बीच समन्वय और मजबूत होगा। यह नया रक्षा मंत्रालय भवन मालदीव की सैन्य तैयारी और संस्थागत मजबूती को नया आधार देगा।हम आपको बता दें कि यह परियोजना भारत की उस भूमिका को भी रेखांकित करती है जिसमें वह हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में ‘नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर’ के रूप में स्वयं को स्थापित कर रहा है। भारत पहले भी मालदीव को रक्षा उपकरण, प्रशिक्षण और तटीय निगरानी प्रणाली प्रदान कर चुका है। नया मंत्रालय भवन इस रक्षा सहयोग की भौतिक अभिव्यक्ति है। इससे मालदीव की सशस्त्र सेनाओं का मनोबल भी बढ़ेगा और भारत के प्रति उनका भरोसा और गहरा होगा।माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मालदीव यात्रा के दौरान इस भवन का उद्घाटन करेंगे। प्रभासाक्षी के सवाल के जवाब में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा भी है कि सभी औपचारिकताएं और कार्य समय पर पूरे हो गये तो निश्चित रूप से ऐसा हो सकता है।हम आपको बता दें कि इस भवन के उद्घाटन के साथ ही मालदीव को यह स्पष्ट संदेश भी मिलेगा कि भारत उसका सबसे भरोसेमंद और स्थायी मित्र है। चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच यह परियोजना भारत की ‘सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी’ का सशक्त उदाहरण भी है। इससे दक्षिण एशिया में भारत की प्राथमिकता और उपस्थिति को मजबूती मिली है।जहां तक दोनों देशों के बीच गहराते रक्षा संबंधों की बात है तो आपको बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू की पिछल साल अक्टूबर में हुई भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय मुलाकात के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में उन महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी दी गयी थी जिस पर दोनों पक्षों ने सहमति जताई थी। यह बिंदू इस प्रकार हैं-1. मालदीव को रक्षा प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों के प्रावधान के साथ समर्थन देना ताकि एमएनडीएफ की क्षमताओं में वृद्धि हो सके और साथ ही मालदीव सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप उसकी समुद्री और सुरक्षा आवश्यकताओं को आगे बढ़ाया जा सके।2. रडार प्रणालियों और अन्य उपकरणों के प्रावधान के साथ एमएनडीएफ की निगरानी और मॉनीटरिंग क्षमता बढ़ाने में मालदीव को सहायता प्रदान करना।3. मालदीव सरकार की आवश्यकताओं के अनुसार क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से हाइड्रोग्राफिक मामलों पर मालदीव को समर्थन प्रदान करना।4. आपदा प्रतिक्रिया और जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना, जिसमें बेहतर अंतर-संचालनीयता हासिल करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और अभ्यास का विकास शामिल है।5. बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के माध्यम से क्षमताओं के विकास का समर्थन करके सूचना साझा करने के क्षेत्र में मालदीव की सहायता करना।6. भारत की सहायता से निर्मित, माले में अत्याधुनिक मालदीव रक्षा मंत्रालय (एमओडी) भवन का शीघ्र उद्घाटन किया जाएगा, जिससे रक्षा मंत्रालय की आधुनिक अवसंरचना क्षमता में वृद्धि होगी।7. भारत में आईटीईसी कार्यक्रमों और अन्य अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत एमएनडीएफ, मालदीव पुलिस सेवा और मालदीव के अन्य सुरक्षा संगठनों के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण स्लॉट बढ़ाना।8. एमएनडीएफ अवसंरचना के विकास और उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।देखा जाये तो भारत और मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिसका दोनों देशों की सुरक्षा और विकास पर बहुआयामी प्रभाव पड़ता है। मालदीव, अपने विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र के साथ, समुद्री डकैती, आईयूयू फिशिंग, नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकवाद सहित पारंपरिक और गैर-पारंपरिक समुद्री चुनौतियों का सामना कर रहा है।बहरहाल, मालदीव के रक्षा मंत्रालय के नये भवन का निर्माण भारत-मालदीव संबंधों में केवल एक ईंट-पत्थर का जोड़ नहीं, बल्कि दो देशों के बीच साझा सुरक्षा दृष्टि, विश्वास और सहयोग का स्थायी स्तंभ भी है। यह परियोजना भविष्य में रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देगी और भारत की पड़ोसी देशों के प्रति जिम्मेदार नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित करेगी।

भारत ने मालदीव के रक्षा मंत्रालय का नया भवन बनवा कर चीन को साफ और स्पष्ट संकेत दे दिया है, मोदी कर सकते हैं इस बिल्डिंग का उद्घाटन
भारत ने मालदीव के रक्षा मंत्रालय का नया भवन बनवा कर चीन को साफ और स्पष्ट संकेत दे दिया है, मोदी कर सकते हैं इस बिल्डिंग का उद्घाटन

भारत ने मालदीव के रक्षा मंत्रालय का नया भवन बनवा कर चीन को साफ और स्पष्ट संकेत दे दिया है, मोदी कर सकते हैं इस बिल्डिंग का उद्घाटन

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लेखक: संध्या यादव, प्रिया मिश्रा, और निधि शुक्ला

समाचार का सारांश

भारत और मालदीव के बीच संबंधों का ऐतिहासिक आधार हाल में कई उतारों को देखने के बाद अब चढ़ाव की राह पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत भारत ने मालदीव के साथ रक्षा, अवसंरचना और आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाई दी है। इसी कड़ी में भारत सरकार के सहयोग से मालदीव के रक्षा मंत्रालय का नया भवन तैयार हुआ है, जो केवल एक इमारत नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच रक्षा और कूटनीतिक संबंधों के सुदृढ़ भविष्य का प्रतीक है।

नए भवन का महत्व

माले में स्थित यह नया रक्षा मंत्रालय भवन आधुनिक तकनीक, ऊर्जा दक्षता और हरित निर्माण के सिद्धांतों पर आधारित है। इस भवन में अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था, स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, और रक्षा प्रबंधन के अनुकूल तकनीकी सुविधाएं शामिल हैं। मालदीव सरकार को इस परियोजना के लिए भारत ने वित्तीय सहायता, तकनीकी परामर्श और निर्माण विशेषज्ञता प्रदान की है।

भारत-मालदीव सहयोग की नई ऊँचाई

भारत और मालदीव के बीच की यह परियोजना न केवल बुनियादी ढांचे का विकास है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करती है। मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। वित्त सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी मालदीव यात्रा के दौरान इस भवन का उद्घाटन किया जा सकता है।

चीन के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश

इस भवन के उद्घाटन से मालदीव को यह स्पष्ट संकेत मिलेगा कि भारत उसका सबसे भरोसेमंद और स्थायी मित्र है। चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, यह परियोजना भारत की ‘सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी’ का सशक्त उदाहरण है। इससे दक्षिण एशिया में भारत की प्राथमिकता और उपस्थिति को मजबूती मिली है।

रक्षा संबंधों की गहराई

मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू की पिछले साल अक्टूबर में भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात के समय, दोनों पक्षों ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति जताई थी। इन बिंदुओं में मालदीव को रक्षा प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों की मदद, समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग, और आपदा प्रबंधन में तालमेल बढ़ाना शामिल है।

भविष्य की दिशा

भारत-मालदीव संबंधों के इस नए चरण में, निर्माणाधीन रक्षा मंत्रालय का भवन दो देशों के बीच साझा सुरक्षा दृष्टि, विश्वास और सहयोग का स्थायी स्तंभ बन जाएगा। इससे भविष्य में दोनों देशों के बीच रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को गहराई मिलेगी।

निष्कर्ष

मालदीव के रक्षा मंत्रालय के नए भवन का निर्माण भारतीय हितों और रणनीतिक महत्व के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक ईमारत नहीं है; यह दोनों देशों के बीच के गहरे बंधन का प्रतिबिंब है। आने वाले समय में यह संबंध और मजबूत होंगे, जो भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे।

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