उत्तरकाशी : धराली आपदा में युद्ध स्तर पर राहत और बचाव के कार्य जारी…
उत्तरकाशी।अतिवृष्टि/बादल फटने से खीरगंगा में आई बाढ़ से धराली बाजार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। वहीं हर्षिल हैलीपैड के आसपास के क्षेत्र में भी भारी नुकसान हुआ है। घटना की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने आईआरएस सिस्टम को सक्रिय किया।सेना,एसडीआरएफ,एनडीआरएफ, पुलिस, एम्बुलेंस […] Source

उत्तरकाशी : धराली आपदा में युद्ध स्तर पर राहत और बचाव के कार्य जारी…
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उत्तरकाशी। अतिवृष्टि और बादल फटने से खीरगंगा में आई बाढ़ ने धराली बाजार को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। इस प्राकृतिक आपदा में जानमाल का भारी नुकसान हो गया है। वहीं, हर्षिल हैलीपैड के आसपास के क्षेत्र में भी नुकसान की खबरे आ रही हैं। जैसे ही यह घटना हुई, जिले के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आईआरएस सिस्टम को सक्रिय किया। राहत और बचाव कार्य अब युद्ध स्तर पर जारी हैं।
आपदा के कारण और प्रभाव
धराली क्षेत्र में आई यह आपदा अचानक आई। लगातार हुई बारिश और बादल फटने के परिणामस्वरूप खीरगंगा नदी में बाढ़ से हजारों लोगों के जीवन पर संकट आ गया। बाढ़ के कारण कई घर, दुकानें, और अन्य संरचनाएँ बर्बाद हो गईं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस आपदा ने उनके जीवन में भारी बदलाव ला दिया है और उनका पुनर्वास एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
सुरक्षा और राहत प्रयास
प्रशासन ने इस आपदा की तीव्रता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की है। सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस बल राहत कार्यों में जुट गए हैं। उनका प्राथमिक लक्ष्य लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना और घायल व्यक्तियों की चिकित्सा सहायता करना है। इसके अलावा, कई एम्बुलेंस भी घटनास्थल पर मौजूद हैं, ताकि जरूरतमंदों को त्वरित स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जा सकें।
स्थानीय लोगों की स्थिति
धराली में रहने वाले लोग इस आपदा का सामना कर रहे हैं। बाढ़ ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित किया है। कुछ लोग अपने परिवारों के सदस्यों को खो चुके हैं। ऐसे में इनकी सहायता करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्थानीय संगठनों और सरकार द्वारा राहत सामग्री, जैसे खाने-पीने की चीजें और दवाइयाँ वितरित की जा रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी विशेष शिविर लगाये जा रहे हैं।
आगे की योजना
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने राहत कार्य की उच्च प्राथमिकता दी है और कहा कि राहत सामग्री से लेकर पुनर्वास कार्यों की योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन ने नदियों की स्थिति पर नजर रखने के लिए विशेष टीमों का गठन किया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
समापन
धराली की इस आपदा ने साबित कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाएँ कितनी विनाशकारी हो सकती हैं। प्रशासन, स्थानीय संगठन, और समुदाय के लोगों की कोशिशें महत्वपूर्ण हैं। इस संकट की घड़ी में साहस और एकजुटता से ही हम इस परेशानी का सामना कर सकते हैं।
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