Worst assault on Jammu since 1971, Pakistan to suffer the most if it doesn’t de-escalate: Omar Abdullah
J&K CM Omar Abdullah asserted that Pakistan gains nothing from hostilities against India, emphasizing India's right to defend its people. Recent cross-border shelling from Pakistan, described as the most serious since 1971, has caused casualties and displacement in Poonch. The National Conference government is committed to aiding those affected, as PDP president Mehbooba Mufti urges restraint.

जम्मू में 1971 के बाद का सबसे खराब हमला, ओमर अब्दुल्ला ने कहा: अगर पाकिस्तान ने तनाव कम नहीं किया तो भुगतेगा सबसे अधिक
द ओड नारी
लेखक: पायल सिंह, टीम नेटानागरी
परिचय
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने हाल ही में एक बयान जारी करते हुए कहा कि जम्मू में पिछले कुछ दिनों में हुए हमलों ने 1971 के बाद से स्थानीय लोगों के लिए परिस्थिति को अत्यंत गंभीर बना दिया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान ने बढ़ते तनाव को कम नहीं किया, तो उसे इसका सबसे बुरा परिणाम भुगतना पड़ेगा।
हमले की गंभीरता
जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के बाद, स्थानीय निवासियों में डर और संदेह की भावना बढ़ गई है। यह हमला न केवल एकतरफा होता हुआ दिखाई देता है, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठता है। ओमर अब्दुल्ला की टिप्पणी इस संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे पिछले कई वर्षों से इस विषय पर सक्रिय रह चुके हैं।
ओमर अब्दुल्ला की टिप्पणी
ओमर अब्दुल्ला ने कहा, "अगर पाकिस्तान ने स्थिति को संभालने में असफलता दिखाई, तो इसका नकारात्मक प्रभाव उसे ही झेलना पड़ेगा। हमें इस बात की चिंता है कि कैसे शांतिपूर्ण माहौल को बहाल किया जाए।" उनका यह बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जहां उन्होंने एक बार फिर से कश्मीर के वास्तविक मुद्दों को उठाया है।
पाकिस्तान की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की गतिविधियों ने इस तनाव को बढ़ाया है। यदि पाकिस्तान ने इस समस्या पर काबू पाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो इसका असर ना केवल जम्मू-कश्मीर पर, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ेगा। तनाव में कमी के लिए संवाद और बातचीत की आवश्यकता है।
समापन विचार
जम्मू में हो रहे हमलों और ओमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि यदि स्थिति पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो इसका परिणाम घातक हो सकता है। सभी पक्षों को सामूहिक रूप से तनाव को कम करने के प्रयासों में जुटना होगा। इससे न केवल जम्मू-कश्मीर का वातावरण सुधरेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी सुरक्षित रहेगी।
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