'Will continue to have firm stance on terrorism': EAM Jaishankar after India, Pakistan agree to stop military operations

External Affairs Minister Jaishankar announced that India and Pakistan have reached an understanding to halt firing and military actions, reaffirming India's firm stance against terrorism. This agreement followed a call initiated by Pakistan's DGMO, with both sides agreeing to cease military activity on land, air, and sea.

'Will continue to have firm stance on terrorism': EAM Jaishankar after India, Pakistan agree to stop military operations
'Will continue to have firm stance on terrorism': EAM Jaishankar after India, Pakistan agree to stop military operations

‘आतंकवाद पर मजबूत रुख जारी रखेंगे’: ईएएम जयशंकर का बयान भारत-पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों को रोकने पर सहमति के बाद

The Odd Naari

लेखक: प्रिया शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य गतिविधियों को रोकने की हाल की सहमति के बाद, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। यह कदम दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संवाद की संभावनाओं को पैदा करता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की पृष्ठभूमि

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कई दशकों से तनावपूर्ण रहे हैं, मुख्यतः आतंकवाद और सीमाई विवादों के कारण। दोनों देशों के सैनिकों के बीच खतरनाक टकराव और मासूम नागरिकों पर होने वाले हमलों ने इस संघर्ष को बढ़ावा दिया है। हाल में हुई वार्ता में यह सहमति बनी कि दोनों पक्ष सैन्य गतिविधियों को रोकने पर सहमत हैं। यह दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य स्थायी शांति स्थापित करना है।

जयशंकर का बयान

जयशंकर ने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख से पीछे नहीं हटेंगे, और हमारे लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि आतंकवाद का हर रूप समाप्त हो।” उनकी ये बात यह संकेत देती है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को सख्ती से लागू करेगा, भले ही पाकिस्तान के साथ अन्य मुद्दों पर बातचीत की स्थिति कितनी भी अनुकूल क्यों न हो।

भारत की रणनीति

भारत की यह नई रणनीति न केवल देश की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए है, बल्कि क्षेत्र में स्थिरता लाने का भी प्रयास है। सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह बातचीत के जरिए समस्याओं का समाधान चाहती है, लेकिन आतंकवाद के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही या नरमी बर्दाश्थ नहीं की जाएगी।

संभावित परिणाम

इस तरह के बयान और सहमती से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार होगा, विशेष रूप से व्यापार और आर्थिक सहयोग में। अगर बातचीत के ये पहलू सफल होते हैं तो इसका सकारात्मक असर पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र पर पड़ेगा।

निष्कर्ष

भारत और पाकिस्तान के लिए यह अवसर है कि वे विवादों को बातचीत के माध्यम से हल करें। जयशंकर का बयान यह दर्शाता है कि भारत किसी भी स्थिति में आतंकवाद का सामना करने के लिए तैयार है। आगे बढ़ते हुए, यह देखना होगा कि क्या दोनों देश वास्तविकता में इस सहमति को लागू कर पाते हैं या नहीं। अगर वे इसकी दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक नई सुबह का संकेत हो सकता है।

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