UNSC की समिति ने दिल्ली घोषणापत्र में की गईं प्रतिबद्धताओं पर आगे बढ़ने को लेकर सहमति जताई
संयुक्त राष्ट्र । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद रोधी समिति (सीटीसी) ने आतंकी गतिविधियों के लिए नयी और उभरती वित्तीय प्रौद्योगिकियों के उपयोग को रोकने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों पर सहमति व्यक्त की है, जिसका उद्देश्य परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भारत के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र निकाय द्वारा की गईं प्रतिबद्धताओं पर आगे बढ़ना है। इस महीने की शुरुआत में अल्जीरिया की अध्यक्षता में आतंकवाद-रोधी समिति (सीटीसी) ने अल्जीरिया मार्गदर्शक सिद्धांतों पर सहमति व्यक्त की थी।सूत्रों ने बताया कि समिति ने अबू धाबी मार्गदर्शक सिद्धांतों के आधार पर यह सहमति व्यक्त की है। अबू धाबी मार्गदर्शक सिद्धांत यूएनएससी सीटीसी द्वारा अपनाए गए दिशा-निर्देश हैं। इन सिद्धांतों में आतंकवादी गतिविधियों के लिए मानव रहित विमान प्रणालियों (यूएएस) के उपयोग से निपटने की जानकारी दी गई है, जिन पर दिसंबर 2023 में सहमति बनी थी। ये आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नयी और उभरती वित्तीय प्रौद्योगिकियों के उपयोग को रोकने के लिए सदस्य देशों के लिए गैर-बाध्यकारी मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।सूत्रों ने कहा कि ये मार्गदर्शक सिद्धांत “महत्वपूर्ण हैं” क्योंकि इन्हें अक्टूबर 2022 में आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नयी और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने को लेकर सुरक्षा परिषद द्वारा अपने दिल्ली घोषणापत्र में की गईं प्रतिबद्धताओं पर आगे बढ़ते हुए तैयार किया गया था।अक्टूबर 2022 में, भारत की अध्यक्षता में सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति (सीटीसी) ने नयी दिल्ली और मुंबई में आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नयी और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने के व्यापक विषय पर एक विशेष बैठक आयोजित की थी। विशेष बैठक के परिणामस्वरूप, समिति ने आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नयी और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने के लिए दिल्ली घोषणा को मंजूरी दी थी। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में अपने 2021-22 के कार्यकाल के दौरान, 2022 में सीटीसी की अध्यक्षता ग्रहण की थी।

UNSC की समिति ने दिल्ली घोषणापत्र में की गईं प्रतिबद्धताओं पर आगे बढ़ने को लेकर सहमति जताई
The Odd Naari
लेखक: प्रिया शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक समिति ने दिल्ली घोषणापत्र में की गईं प्रतिबद्धताओं पर आगे बढ़ने को लेकर सकारात्मक सहमति जताई। इस फैसले का उद्देश्य वैश्विक सुरक्षा परिभाषा को सुधारना और सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ाना है। इस लेख में हम इस घोषणापत्र के मुख्य बिंदुओं और इसकी वैश्विक प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
दिल्ली घोषणापत्र का महत्व
दिल्ली घोषणापत्र, जो पिछले वर्ष के अंत में आयोजित UNSC बैठक के दौरान जारी किया गया था, वैश्विक सुरक्षा, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और मानवाधिकारों के साथ जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। इस घोषणापत्र में सदस्य देशों द्वारा लिए गए प्रमुख दस प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया गया है, जिन्हें UNSC की समिति ने समर्थन दिया है। इन प्रतिबद्धताओं में शामिल हैं:
- सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना
- आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई
- पर्यावरण संरक्षण के लिए सुनिश्चित कदम उठाना
समिति की सहमति और आगामी कदम
UNSC समिति ने इन प्रतिबंधों को समर्पित नए उपायों को लागू करने पर सहमति जताई है। समिति के सदस्यों ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया है कि सभी सदस्य देश घोषणापत्र में वर्णित प्रतिबद्धताओं को समझें और अपनाएँ। यह सहमति वैश्विक स्तर पर एक सकारात्मक संकेत है, खासकर उन देशों के लिए जो सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
वैश्विक सहयोग का संघर्ष
हालाँकि, इस घोषणापत्र में की गईं प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं। कई सदस्य देशों के बीच अलग-अलग दृष्टिकोणों के कारण सहयोग में बाधाएं आ सकती हैं। इससे निपटने के लिए UNSC का एक ठोस कार्य योजना तैयार करना आवश्यक है ताकि सभी सदस्य देश एक साथ मिलकर कार्य कर सकें।
निष्कर्ष
दिल्ली घोषणापत्र में की गईं प्रतिबद्धताओं पर UNSC समिति की सहमति वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम है। यह सूचकांक है कि सामूहिक कार्रवाई के जरिये वैश्विक मुद्दों का सामना किया जा सकता है। हमें उम्मीद है कि सदस्य देश इन प्रतिबद्धताओं को गंभीरता से लेंगे तथा वैश्विक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ेंगे। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि UNSC उचित दिशानिर्देश तैयार करे, ताकि सभी सदस्य देश सटीकता से इन प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकें। यदि आप अधिक अपडेट चाहते हैं, तो visit करें theoddnaari.com।