TikTok Sale: टैरिफ का ‘ट्रंप कार्ड’ भी चीन को ना डरा पाया, टिकटॉक के रास्ते चीन ने खेली शातिर बाजी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बीजिंग सहित दुनिया भर में व्यापक टैरिफ की घोषणा के बाद चीन ने टिकटॉक के स्वामित्व को लेकर अमेरिका के साथ एक समझौते को रोक दिया। ट्रम्प ने कहा कि वह टिकटॉक को अमेरिका में 75 दिनों तक चालू रखने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर रहे हैं ताकि उनके प्रशासन को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को अमेरिकी स्वामित्व में लाने के लिए एक समझौते पर मध्यस्थता करने के लिए और समय मिल सके। इसे भी पढ़ें: समंदर में भारत ने बढ़ा दी दुश्मनों की टेंशन! रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कही बड़ी बातइस आदेश की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब व्हाइट हाउस के अधिकारियों को लग रहा था कि वे टिकटॉक के संचालन को अमेरिका में स्थित एक नई कंपनी में बदलने के सौदे के करीब पहुंच रहे हैं, जिसका स्वामित्व और संचालन मुख्य रूप से अमेरिकी मालिकों के पास होगा, जबकि चीन की बाइटडांस इस एप्लिकेशन के संचालन में अल्पमत की स्थिति बनाए रखेगी। हालांकि, चीन ने इस सौदे पर तब तक रोक लगा दी जब तक कि व्यापार और टैरिफ दरों के बारे में बातचीत नहीं हो जाती, नाम न बताने की शर्त पर एक व्यक्ति ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया।

TikTok Sale:  टैरिफ का ‘ट्रंप कार्ड’ भी चीन को ना डरा पाया,  टिकटॉक के रास्ते चीन ने खेली शातिर बाजी
TikTok Sale: टैरिफ का ‘ट्रंप कार्ड’ भी चीन को ना डरा पाया, टिकटॉक के रास्ते चीन ने खेली शातिर बाजी

TikTok Sale: टैरिफ का ‘ट्रंप कार्ड’ भी चीन को ना डरा पाया, टिकटॉक के रास्ते चीन ने खेली शातिर बाजी

लेखक: निधि चक्रवर्ती, टीम नेतानागरी

टैगलाइन: The Odd Naari

परिचय

हालिया समय में टिकटॉक की बिक्री एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है, जिसमें अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक टकराव का एक नया अध्याय देखने को मिल रहा है। अमेरिका ने टिकटॉक को सुरक्षा चिंताओं के चलते अमेरिका के बाजार से बाहर करने का प्रयास किया है, लेकिन क्या यह टैरिफ का 'ट्रंप कार्ड' चीन के लिए कोई खतरा है? आइए इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।

टिकटॉक और अमेरिकी बाजार

टिकटॉक, जिसे चाइनीज कंपनी बाइटडांस ने विकसित किया है, आज विश्वभर में लोकप्रिय हो चुका है। इसके असीमित उपयोगकर्ताओं और विज्ञापनों की दौड़ ने इसे एक बड़े व्यवसाय में बदल दिया है। पिछले कुछ वर्षों में, अमेरिका ने टिकटॉक पर कई बार प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है, लेकिन हर बार टिकटॉक ने खुद को मजबूती से खड़ा किया है।

टैरिफ का ‘ट्रंप कार्ड’

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक के खिलाफ कई व्यापारिक प्रतिबंधों की घोषणा की थी, जिसे 'ट्रंप कार्ड' के रूप में जाने जाने लगा। हालांकि, यह उपाय टिकटॉक की लोकप्रियता को कम करने में नाकाम साबित हुआ है। इसका कारण यह है कि टिकटॉक ने अपने उपयोगकर्ताओं की जुड़ाव को बनाए रखा और नए फीचर्स को जोड़ा, जिससे लोग प्लेटफार्म पर लंबे समय तक बने रहे।

चीन की रणनीति

चीन ने टिकटॉक के माध्यम से एक शातिर रणनीति अपनाई है। उन्होंने न सिर्फ अपने सामाजिक नेटवर्क को बढ़ाया है, बल्कि डेटा संग्रहण और उपयोगकर्ताओं की अन्य जानकारी को अपनी फायदे में बदलने का प्रयास भी किया है। टिकटॉक का प्रयोग केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि एक प्रभावी विपणन उपकरण के रूप में भी किया जा रहा है।

भारत में स्थिति

भारत द्वारा टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाना एक प्रमुख घटना रही है, जिसके बाद कई भारतीय कंपनियों ने इसी तरह के प्लेटफार्मों की स्थापना की। भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए अब स्थानीय विकल्प भी उपलब्ध हैं, लेकिन क्या यह चीन की ताकत को कम करेगा? यह एक विचारणीय प्रश्न है।

निष्कर्ष

अमेरिका और चीन के बीच की आर्थिक टकराव की कहानी सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक इस्थितियों और बाजार के संतुलन पर भी प्रभाव डालती है। टिकटॉक ने खुद को हर तरह की चुनौतियों से निपटने में सफल साबित किया है, जिससे यह साफ होता है कि 'ट्रंप कार्ड' या अन्य प्रतिबंध उसके लिए अधिक धूमिल नहीं हैं।

अंत में, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस प्लेटफार्म का विकास और वैश्विक व्यापार पर क्या असर पड़ेगा। इसके साथ ही, टिकटॉक ने नए टैलेंट को पहचानने और उन्हें प्रोत्साहित करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बना है।

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