सीमान्त गाँवों में आजीविका सृजन और पलायन रोकथाम पर जोर

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सीमान्त गाँवों में आजीविका सृजन और पलायन रोकथाम पर जोर

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ग्राम्य विकास सचिव ने ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड के सीमान्त क्षेत्रों में पलायन रोकने और स्थानीय आजीविका को मजबूत करने के उद्देश्य से ग्राम्य विकास विभाग ने बड़ी पहल शुरू की है। इसी क्रम में सचिव ग्राम्य विकास धीराज गर्ब्याल ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना, सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम, और वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए प्रभावी, जमीनी और परिणाम आधारित कार्ययोजना तैयार करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए।

बैठक में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित वार्षिक कार्ययोजना पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। सचिव ग्राम्य विकास ने निर्देशित किया कि कार्ययोजना तैयार करते समय आजीविका सृजन गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। प्रत्येक चिन्हित विकासखंड में कम से कम एक मदर पोल्ट्री यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव शामिल करने को कहा गया, ताकि दूरस्थ गांवों में पोल्ट्री के लिए स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण चूजे उपलब्ध हों।

इसके साथ ही जहां मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, सामुदायिक पर्यटन और प्रसंस्करण गतिविधियां संभव हों, वहां स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप योजनाएं प्रस्तावित करने के निर्देश दिए गए। जंगली जानवरों से फसल संरक्षण हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में चेनलिंक फेंसिंग के प्रस्तावों को भी योजना का हिस्सा बनाने को कहा गया, जिससे पलायन पर प्रभावी नियंत्रण और रिवर्स पलायन को बढ़ावा मिल सके।

सचिव ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाए जाने के लक्ष्य पर विशेष जोर देने के निर्देश दिए। जनपदों में संचालित ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों के विपणन को सुदृढ़ करने तथा मुख्य विकास अधिकारी स्तर पर इनके नियमित अनुश्रवण को अनिवार्य बताया गया।

सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चम्पावत और ऊधमसिंह नगर जनपदों की योजनाओं की प्रगति समीक्षा की गई। सभी जनपदों को निर्देश दिए गए कि चल रही योजनाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण किया जाए। सीमांत गांवों के लिए क्लस्टर आधारित ग्राम संतृप्ति कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया, जिसमें मूलभूत सुविधाओं के साथ आजीविका और स्वरोजगार आधारित गतिविधियों को प्रमुखता दी जाए।

वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम की समीक्षा में सचिव ने निर्देशित किया कि प्रत्येक सीमांत गांव को सड़क, 4-जी इंटरनेट, टेलीविजन कनेक्टिविटी और ग्रिड विद्युतीकरण से पूर्ण रूप से संतृप्त किया जाए। चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ के मुख्य विकास अधिकारियों को वीवीपी-1 गांवों की संतृप्ति कार्ययोजना तत्काल पोर्टल पर भेजने के निर्देश दिए गए। साथ ही प्रत्येक वीवीपी गांव के लिए समेकित पर्यटन विकास योजना तैयार करने को कहा गया।

राज्य में योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता व गति सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल को एक सप्ताह के भीतर सक्रिय करने और सभी प्रस्ताव ऑनलाइन प्राप्त करने के निर्देश एसपीएमयू एवं आईटीडीए को दिए गए।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी बैठक में शामिल रहे। इस अवसर पर अपर सचिव ग्राम्य विकास अनुराधा पाल, संयुक्त विकास आयुक्त संजय कुमार सिंह, उपायुक्त ए.के. राजपूत, डॉ. प्रभाकर बेबनी, परियोजना प्रबंधन अधिकारी एसपीएमयू और आईटीडीए के अधिकारी उपस्थित थे।

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