Delhi Red Fort blast: फरीदाबाद-पुलवामा लिंक से आतंकी मॉड्यूल की जांच तेज, बड़ा नेटवर्क रडार पर

दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके की जांच अब एक अहम मोड़ पर पहुंच गई है। मौजूद जानकारी के अनुसार, फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की शुरुआती रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि कार में अमोनियम नाइट्रेट और टीएटीपी (ट्रायएसिटोन ट्राइपेरॉक्साइड) का मिश्रण मौजूद था, जो बेहद शक्तिशाली और कड़े नियमन वाले रसायन माने जाते हैं।  बता दें कि टीएटीपी दुनिया के कई गंभीर आतंकी हमलों में उपयोग किया गया है और इसकी थोड़ी मात्रा भी बड़े धमाके का कारण बन सकती है।फॉरेंसिक टीम के अनुसार कार में 30 से 40 किलो तक अमोनियम नाइट्रेट भरा हुआ था, और इतनी बड़ी मात्रा अपने आप में विस्फोट की गंभीरता को समझाती है। गौरतलब है कि जांच एजेंसियां इस धमाके के तार फरीदाबाद-पुलवामा लिंक वाले मॉड्यूल से भी जोड़कर देख रही हैं, जहां से हाल ही में 358 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी।अमोनियम नाइट्रेट खेती में खाद के रूप में भी उपयोग होता है, लेकिन इसकी बिक्री केवल पंजीकृत विक्रेताओं के माध्यम से ही संभव है। पुराने दिल्ली के तिलक बाजार के लाइसेंसधारी व्यापारियों का कहना है कि ऐसे रसायन राजधानी में खुले बाजार में नहीं रखे जाते। एक वरिष्ठ व्यापारी संगठन सदस्य ने बताया कि वैध खरीदारों का दायरा बेहद सीमित होता है और अधिकतर कृषि या अधिकृत औद्योगिक कामों से जुड़े होते हैं।मौजूदा जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने अमोनियम नाइट्रेट और उर्वरक की खेप दिल्ली से नहीं, बल्कि सोहना, गुरुग्राम और नूंह (हरियाणा) के दुकानों से खरीदी थी। बता दें कि भारत में 2012 से पहले कई बड़े आतंकी हमलों में अमोनियम नाइट्रेट का व्यापक तौर पर उपयोग हुआ था और आज भी कई आईईडी इसी के आधार पर तैयार किए जाते हैं।  इसकी खरीद पर कड़ी निगरानी होती है 30 मीट्रिक टन तक की अनुमति जिला मजिस्ट्रेट दे सकते हैं, जबकि उससे अधिक के लिए PESO की मंजूरी आवश्यक होती है। सभी वैध लेन-देन को सरकार के विस्फोटक ट्रैकिंग और ट्रेसिंग प्रणाली (SETT) के तहत ट्रैक किया जाता है, फिर भी अवैध बिक्री और खरीद का खतरा बना रहता है।विशेषज्ञों का मानना है कि अमोनियम नाइट्रेट को जब फ्यूल ऑयल के साथ मिलाया जाता है तो यह एएनएफओ नामक बेहद शक्तिशाली विस्फोटक में बदल जाता है। दुनिया के सबसे भयावह आतंकी हमलों में इसका इस्तेमाल किया गया है जैसे 1995 का ओकलाहोमा सिटी बम धमाका। वहीं टीएटीपी, अपनी अत्यधिक अस्थिर प्रकृति के बावजूद, कई वैश्विक हमलों में उपयोग हुआ है, जिसमें फ्रांस में हुए 2015 के हमले और ‘शू-बॉम्बर’ मामले भी शामिल हैं।इस बीच दिल्ली पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। सेंट्रल रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा के अनुसार, पुलिस रसायनों की अनधिकृत बिक्री रोकने के लिए निवारक कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि तिलक बाजार और पुराने दिल्ली के अन्य रसायन व्यापार क्षेत्रों के लाइसेंसधारक विक्रेताओं और संघों के साथ बैठक बुलायी जा रही है। इसमें ऐसे रसायनों की पहचान, आपूर्ति श्रृंखला की निगरानी मजबूत करने और संदिग्ध लेन-देन पर त्वरित अलर्ट प्रणाली विकसित करने पर चर्चा होगी।पुलिस दस्तावेजी प्रक्रिया, स्टॉक ऑडिट और विक्रेताओं तथा एजेंसियों के बीच समन्वय को भी दुरुस्त करने की योजना बना रही है ताकि भविष्य में किसी भी संभावित दुरुपयोग को शुरुआत में ही रोका जा सके। जांच एजेंसियां इस पूरे मामले को बेहद संवेदनशील मानते हुए कई अन्य कोणों से भी पड़ताल कर रही हैं।कुल मिलाकर, शुरुआती फॉरेंसिक रिपोर्ट ने इस धमाके को एक संभावित आतंकी साजिश की ओर संकेत किया है, और सुरक्षा एजेंसियां अब हर उस बारीकी पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जो इस पूरे नेटवर्क को उजागर करने में मदद कर सकती है।

Delhi Red Fort blast: फरीदाबाद-पुलवामा लिंक से आतंकी मॉड्यूल की जांच तेज, बड़ा नेटवर्क रडार पर
दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके की जांच अब एक अहम मोड़ पर पहुंच गई है। मौजूद जानकारी के अनुसार, फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की शुरुआती रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि कार में अमोनियम नाइट्रेट और टीएटीपी (ट्रायएसिटोन ट्राइपेरॉक्साइड) का मिश्रण मौजूद था, जो बेहद शक्तिशाली और कड़े नियमन वाले रसायन माने जाते हैं।
 
बता दें कि टीएटीपी दुनिया के कई गंभीर आतंकी हमलों में उपयोग किया गया है और इसकी थोड़ी मात्रा भी बड़े धमाके का कारण बन सकती है।

फॉरेंसिक टीम के अनुसार कार में 30 से 40 किलो तक अमोनियम नाइट्रेट भरा हुआ था, और इतनी बड़ी मात्रा अपने आप में विस्फोट की गंभीरता को समझाती है। गौरतलब है कि जांच एजेंसियां इस धमाके के तार फरीदाबाद-पुलवामा लिंक वाले मॉड्यूल से भी जोड़कर देख रही हैं, जहां से हाल ही में 358 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी।

अमोनियम नाइट्रेट खेती में खाद के रूप में भी उपयोग होता है, लेकिन इसकी बिक्री केवल पंजीकृत विक्रेताओं के माध्यम से ही संभव है। पुराने दिल्ली के तिलक बाजार के लाइसेंसधारी व्यापारियों का कहना है कि ऐसे रसायन राजधानी में खुले बाजार में नहीं रखे जाते। एक वरिष्ठ व्यापारी संगठन सदस्य ने बताया कि वैध खरीदारों का दायरा बेहद सीमित होता है और अधिकतर कृषि या अधिकृत औद्योगिक कामों से जुड़े होते हैं।

मौजूदा जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने अमोनियम नाइट्रेट और उर्वरक की खेप दिल्ली से नहीं, बल्कि सोहना, गुरुग्राम और नूंह (हरियाणा) के दुकानों से खरीदी थी। बता दें कि भारत में 2012 से पहले कई बड़े आतंकी हमलों में अमोनियम नाइट्रेट का व्यापक तौर पर उपयोग हुआ था और आज भी कई आईईडी इसी के आधार पर तैयार किए जाते हैं।
 
इसकी खरीद पर कड़ी निगरानी होती है 30 मीट्रिक टन तक की अनुमति जिला मजिस्ट्रेट दे सकते हैं, जबकि उससे अधिक के लिए PESO की मंजूरी आवश्यक होती है। सभी वैध लेन-देन को सरकार के विस्फोटक ट्रैकिंग और ट्रेसिंग प्रणाली (SETT) के तहत ट्रैक किया जाता है, फिर भी अवैध बिक्री और खरीद का खतरा बना रहता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमोनियम नाइट्रेट को जब फ्यूल ऑयल के साथ मिलाया जाता है तो यह एएनएफओ नामक बेहद शक्तिशाली विस्फोटक में बदल जाता है। दुनिया के सबसे भयावह आतंकी हमलों में इसका इस्तेमाल किया गया है जैसे 1995 का ओकलाहोमा सिटी बम धमाका। वहीं टीएटीपी, अपनी अत्यधिक अस्थिर प्रकृति के बावजूद, कई वैश्विक हमलों में उपयोग हुआ है, जिसमें फ्रांस में हुए 2015 के हमले और ‘शू-बॉम्बर’ मामले भी शामिल हैं।

इस बीच दिल्ली पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। सेंट्रल रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा के अनुसार, पुलिस रसायनों की अनधिकृत बिक्री रोकने के लिए निवारक कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि तिलक बाजार और पुराने दिल्ली के अन्य रसायन व्यापार क्षेत्रों के लाइसेंसधारक विक्रेताओं और संघों के साथ बैठक बुलायी जा रही है। इसमें ऐसे रसायनों की पहचान, आपूर्ति श्रृंखला की निगरानी मजबूत करने और संदिग्ध लेन-देन पर त्वरित अलर्ट प्रणाली विकसित करने पर चर्चा होगी।

पुलिस दस्तावेजी प्रक्रिया, स्टॉक ऑडिट और विक्रेताओं तथा एजेंसियों के बीच समन्वय को भी दुरुस्त करने की योजना बना रही है ताकि भविष्य में किसी भी संभावित दुरुपयोग को शुरुआत में ही रोका जा सके। जांच एजेंसियां इस पूरे मामले को बेहद संवेदनशील मानते हुए कई अन्य कोणों से भी पड़ताल कर रही हैं।

कुल मिलाकर, शुरुआती फॉरेंसिक रिपोर्ट ने इस धमाके को एक संभावित आतंकी साजिश की ओर संकेत किया है, और सुरक्षा एजेंसियां अब हर उस बारीकी पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जो इस पूरे नेटवर्क को उजागर करने में मदद कर सकती है।