दरभंगा का कुमोरटुली: कोलकाता के समान एक अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर

अशोक झा। कोलकाता की तरह दरभंगा का भी अपना कुमार या कुमोरटुली या कुम्हार टोली है। पर यह साम्य बस यहीं आकर समाप्त हो जाता है। लेकिन यह भी कम नहीं है। इसके बावजूद कि दोनों का raison d’être अलग अलग है, उद्देश्य एक ही है। कोलकाता के कुमोरटुली को ईस्ट इंडिया कंपनी ने हुगली […] The post कोलकाता की तरह ही दरभंगा का अपना कुमोरटुली first appeared on Apka Akhbar.

दरभंगा का कुमोरटुली: कोलकाता के समान एक अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर
कोलकाता की तरह ही दरभंगा का अपना कुमोरटुली

दरभंगा का कुमोरटुली: कोलकाता के समान एक अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर

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लेखिका: साक्षी शर्मा, सृष्टि मेहता, और राधिका पटेल

कम शब्दों में कहें तो, दरभंगा में कुमोरटुली एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र बना हुआ है, जो कोलकाता के कुमोरटुली से मिलता जुलता है, लेकिन अपनी विशिष्टताओं के साथ। यह न केवल कला का केंद्र है बल्कि अर्थव्यवस्था और समुदाय का आधार भी।

दरभंगा, बिहार - अशोक झा के अनुसार, दरभंगा का कुमोरटुली या कुम्हार टोली कोलकाता के समान एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल है। हालाँकि, इन दोनों स्थानों के बीच की समानता केवल नाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक महत्ता और कुम्हारों द्वारा निर्मित कलाकृतियों में भी गहराई से छिपी हुई है।

कोलकाता का कुमोरटुली: एक ऐतिहासिक धरोहर

कोलकाता का कुमोरटुली बंगाल की समृद्ध संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। यहाँ के कुम्हार हर वर्ष दुर्गा पूजा के लिए अद्भुत मूर्तियों का निर्माण करते हैं। इस स्थान पर स्थापित कारीगरों का यह समूह वर्षों से अपनी दिन-प्रतिदिन की कठिनाईयों के बावजूद उत्कृष्ट कलाकारी को प्रदर्शित कर रहा है। ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से यह केंद्र न केवल इतिहास का द्योतक है, बल्कि संस्कृति का प्रतीक भी बन चुका है।

दरभंगा का कुमोरटुली: एक नई पहचान

इसी तरह, दरभंगा का कुमोरटुली भी अपनी विशेषताओं से परिपूर्ण है। यहाँ के कुम्हार स्थानीय त्योहारों, विशेषकर छठ पूजा के दौरान, मिट्टी की आकर्षक आकृतियों का निर्माण करते हैं। यहाँ की मिट्टी की विशेषता उसके फिनिशिंग, डिजाइनों, और कलात्मकता में स्पष्ट परिलक्षित होती है। यह सामुदायिक कार्य न केवल पारंपरिक कला का संरक्षण करता है, बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है।

सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व: दोनों में समानता

इन दोनों कुमोरटुली ने न केवल स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी प्रदान किए हैं। यहाँ पर महिलाओं की भागीदारी में भी वृद्धि हो रही है, जो इस कला रूप को और भी समृद्ध बना रही हैं। दरभंगा और कोलकाता दोनों ही अपने-काम के तरीकों में नवाचार लाने के लिए प्रेरित हैं, जो सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ आर्थिक विकास का भी प्रतीक है।

निष्कर्ष: संरक्षण की आवश्यकता

इस प्रकार, जबकि दरभंगा और कोलकाता के कुमोरटुली में साम्यता है, उनके कार्य करने के तरीके और सांस्कृतिक उद्देश्य भिन्न हैं। ये दोनों कुमोरटुली न केवल अपने-अपने स्थानों पर अद्वितीय परंपरा का निर्माण करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। हमें इन स्थानीय कुम्हारों के संरक्षण और समर्थन के लिए आगे आना चाहिए ताकि वो इस अद्भुत कला को आगामी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें।

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