Vanakkam Poorvottar: सीमा पर सख़्ती, राज्य में तरक्की, Himanta Biswa Sarma का 'असम विकास मॉडल' बना मिसाल

असम भारत की सामरिक दृढ़ता और विकासशील आत्मविश्वास का प्रतीक बनता जा रहा है। एक ओर जहां सीमापार से बांग्लादेश के कुछ गैर-जिम्मेदार नेता भारत के उत्तर-पूर्व को लेकर भड़काऊ और अविवेकपूर्ण बयानबाज़ी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा स्पष्ट शब्दों में यह संदेश दे चुके हैं कि भारत न तो कमजोर है, न चुप रहने वाला है। साथ ही, उनकी सरकार ने यह भी साबित किया है कि असम अब उग्रवाद, पिछड़ेपन और हाशिये की राजनीति से बाहर निकलकर विकास, आधुनिकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में खड़ा है।हम आपको बता दें कि हाल के दिनों में बांग्लादेश के कुछ नेताओं द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को “अलग-थलग करने” जैसी बातें कही गईं। यह न केवल भारत की संप्रभुता पर हमला है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी गंभीर खतरा है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस पर जो जवाब दिया, वह सिर्फ़ असम के मुख्यमंत्री का नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने दो टूक कहा कि भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और ऐसे में बांग्लादेश को इस तरह की कल्पनाएं करने से पहले अपनी “कमज़ोर नसों” पर ध्यान देना चाहिए।इसे भी पढ़ें: बांग्लादेशी नेताओं पर भड़के हिमंत बिस्वा सरमा, भारत विरोधी टिप्पणियों पर दे दी सख्त चेतावनीहम आपको बता दें कि पहले जहां उत्तर-पूर्व को ‘दूरस्थ इलाका’ समझा जाता था, आज वही क्षेत्र भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का प्रवेश द्वार है। चिकन नेक को लेकर डर दिखाने वालों को यह समझना होगा कि असम और पूरा उत्तर-पूर्व अब राजनीतिक उपेक्षा का शिकार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता है। यही आत्मविश्वास असम के भीतर भी दिखता है। हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में राज्य ने उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी है। बोडो, कार्बी, आदिवासी और अन्य संगठनों के साथ शांति समझौते कर असम को लंबे समय से चली आ रही हिंसा से बाहर निकाला गया। आज असम में बंदूक की जगह विकास की भाषा बोली जा रही है और डर की जगह निवेश का माहौल बन रहा है।इस बदले हुए असम की झलक आने वाले दिनों में और साफ़ दिखेगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राज्य के दौरे पर रहेंगे। प्रधानमंत्री द्वारा लगभग 4,000 करोड़ रुपये की लागत से बने गुवाहाटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन होना यह बताएगा कि असम अब वैश्विक मानकों पर खड़ा होने को तैयार है। हम आपको बता दें कि असमिया संस्कृति से प्रेरित यह टर्मिनल संदेश देता है कि विकास अपनी जड़ों से कटकर नहीं, बल्कि उन्हें साथ लेकर होता है। एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द एयरोसिटी, एमआरओ हब, एविएशन ट्रेनिंग स्कूल और एलिवेटेड कॉरिडोर जैसी योजनाएं यह साफ़ करती हैं कि सरकार केवल इमारतें नहीं बना रही, बल्कि युवाओं के लिए भविष्य गढ़ रही है। यही नहीं, ब्रह्मपुत्र पर इनलैंड वाटरवे टर्मिनल, रिवर टूरिज्म को बढ़ावा और प्रधानमंत्री का फेरी से छात्रों से संवाद, ये सब असम को आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों रूप से नई ऊंचाई पर ले जाने के प्रयास हैं।साथ ही डिब्रूगढ़ को दूसरी राजधानी के रूप में विकसित करने और नामरूप खाद कारखाने के विस्तार की योजना असम को औद्योगिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाती है। 10,000 करोड़ रुपये की यह परियोजना न सिर्फ़ किसानों को राहत देगी, बल्कि असम को उर्वरक उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाएगी। गृह मंत्री अमित शाह का असम दौरा सुरक्षा और संस्कृति दोनों मोर्चों पर अहम है। राज्यव्यापी सीसीटीवी निगरानी परियोजना, धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों का विकास और नए विधानसभा भवन की नींव, ये सभी संकेत देते हैं कि असम में शासन अब आधुनिक तकनीक, पारदर्शिता और मजबूत कानून-व्यवस्था के साथ आगे बढ़ रहा है।बहरहाल, आज असम वह राज्य नहीं रहा जिसे कभी उग्रवाद, पलायन और अस्थिरता के लिए जाना जाता था। आज असम सीमाओं पर सतर्क है, भीतर से मजबूत है और विकास के पथ पर आक्रामक गति से आगे बढ़ रहा है। बांग्लादेश के कुछ नेताओं की बयानबाज़ी दरअसल इसी बदले हुए भारत और बदले हुए असम की खीझ है। लेकिन हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में असम ने साफ़ कर दिया है कि यह राज्य न धमकियों से डरता है, न विकास के पथ पर रुकता है। सुरक्षा और समृद्धि, दोनों मोर्चों पर असम अब पीछे देखने वाला नहीं, बल्कि आगे रास्ता दिखाने वाला राज्य बन चुका है।

Vanakkam Poorvottar: सीमा पर सख़्ती, राज्य में तरक्की, Himanta Biswa Sarma का 'असम विकास मॉडल' बना मिसाल
असम भारत की सामरिक दृढ़ता और विकासशील आत्मविश्वास का प्रतीक बनता जा रहा है। एक ओर जहां सीमापार से बांग्लादेश के कुछ गैर-जिम्मेदार नेता भारत के उत्तर-पूर्व को लेकर भड़काऊ और अविवेकपूर्ण बयानबाज़ी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा स्पष्ट शब्दों में यह संदेश दे चुके हैं कि भारत न तो कमजोर है, न चुप रहने वाला है। साथ ही, उनकी सरकार ने यह भी साबित किया है कि असम अब उग्रवाद, पिछड़ेपन और हाशिये की राजनीति से बाहर निकलकर विकास, आधुनिकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में खड़ा है।

हम आपको बता दें कि हाल के दिनों में बांग्लादेश के कुछ नेताओं द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को “अलग-थलग करने” जैसी बातें कही गईं। यह न केवल भारत की संप्रभुता पर हमला है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी गंभीर खतरा है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस पर जो जवाब दिया, वह सिर्फ़ असम के मुख्यमंत्री का नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने दो टूक कहा कि भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और ऐसे में बांग्लादेश को इस तरह की कल्पनाएं करने से पहले अपनी “कमज़ोर नसों” पर ध्यान देना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: बांग्लादेशी नेताओं पर भड़के हिमंत बिस्वा सरमा, भारत विरोधी टिप्पणियों पर दे दी सख्त चेतावनी

हम आपको बता दें कि पहले जहां उत्तर-पूर्व को ‘दूरस्थ इलाका’ समझा जाता था, आज वही क्षेत्र भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का प्रवेश द्वार है। चिकन नेक को लेकर डर दिखाने वालों को यह समझना होगा कि असम और पूरा उत्तर-पूर्व अब राजनीतिक उपेक्षा का शिकार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता है। यही आत्मविश्वास असम के भीतर भी दिखता है। हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में राज्य ने उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी है। बोडो, कार्बी, आदिवासी और अन्य संगठनों के साथ शांति समझौते कर असम को लंबे समय से चली आ रही हिंसा से बाहर निकाला गया। आज असम में बंदूक की जगह विकास की भाषा बोली जा रही है और डर की जगह निवेश का माहौल बन रहा है।

इस बदले हुए असम की झलक आने वाले दिनों में और साफ़ दिखेगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राज्य के दौरे पर रहेंगे। प्रधानमंत्री द्वारा लगभग 4,000 करोड़ रुपये की लागत से बने गुवाहाटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन होना यह बताएगा कि असम अब वैश्विक मानकों पर खड़ा होने को तैयार है। हम आपको बता दें कि असमिया संस्कृति से प्रेरित यह टर्मिनल संदेश देता है कि विकास अपनी जड़ों से कटकर नहीं, बल्कि उन्हें साथ लेकर होता है। एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द एयरोसिटी, एमआरओ हब, एविएशन ट्रेनिंग स्कूल और एलिवेटेड कॉरिडोर जैसी योजनाएं यह साफ़ करती हैं कि सरकार केवल इमारतें नहीं बना रही, बल्कि युवाओं के लिए भविष्य गढ़ रही है। यही नहीं, ब्रह्मपुत्र पर इनलैंड वाटरवे टर्मिनल, रिवर टूरिज्म को बढ़ावा और प्रधानमंत्री का फेरी से छात्रों से संवाद, ये सब असम को आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों रूप से नई ऊंचाई पर ले जाने के प्रयास हैं।

साथ ही डिब्रूगढ़ को दूसरी राजधानी के रूप में विकसित करने और नामरूप खाद कारखाने के विस्तार की योजना असम को औद्योगिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाती है। 10,000 करोड़ रुपये की यह परियोजना न सिर्फ़ किसानों को राहत देगी, बल्कि असम को उर्वरक उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाएगी। गृह मंत्री अमित शाह का असम दौरा सुरक्षा और संस्कृति दोनों मोर्चों पर अहम है। राज्यव्यापी सीसीटीवी निगरानी परियोजना, धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों का विकास और नए विधानसभा भवन की नींव, ये सभी संकेत देते हैं कि असम में शासन अब आधुनिक तकनीक, पारदर्शिता और मजबूत कानून-व्यवस्था के साथ आगे बढ़ रहा है।

बहरहाल, आज असम वह राज्य नहीं रहा जिसे कभी उग्रवाद, पलायन और अस्थिरता के लिए जाना जाता था। आज असम सीमाओं पर सतर्क है, भीतर से मजबूत है और विकास के पथ पर आक्रामक गति से आगे बढ़ रहा है। बांग्लादेश के कुछ नेताओं की बयानबाज़ी दरअसल इसी बदले हुए भारत और बदले हुए असम की खीझ है। लेकिन हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में असम ने साफ़ कर दिया है कि यह राज्य न धमकियों से डरता है, न विकास के पथ पर रुकता है। सुरक्षा और समृद्धि, दोनों मोर्चों पर असम अब पीछे देखने वाला नहीं, बल्कि आगे रास्ता दिखाने वाला राज्य बन चुका है।