Odisha Student Suicide: साइबर उत्पीड़न के खिलाफ छात्रा के भाई की शिकायत, सुरक्षा की गुहार
कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टियों ने 17 जुलाई को ओडिशा बंद का आह्वान किया है, क्योंकि बालासोर में एफएम स्वायत्त कॉलेज के परिसर में उत्पीड़न के आरोपी शिक्षक के खिलाफ अपनी शिकायत को नजरअंदाज किए जाने के बाद एक लड़की ने खुद को आग लगा ली थी, जिससे उसकी मौत पर हर तरफ शोक और आक्रोश फैल गया है। वहीं दूसरी तरफ फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज परिसर में आत्मदाह करने वाली 20 वर्षीय छात्रा के बड़े भाई ने बुधवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और उसके परिजनों को साइबर उत्पीड़न से सुरक्षा दिए जाने की मांग की।छात्रा के भाई ने साइबर उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई कॉलेज परिसर में आत्मदाह करने के कारण छात्रा की अस्पताल में मौत हो गई थी। छात्रा के भाई ने बालासोर जिले के भोगराई थाने में शिकायत दर्ज कराई, जहां उसने कम से कम चार लोगों का नाम लिया और आरोप लगाया कि चारों लोग ‘डिजिटल’ मंचों के माध्यम से उसके परिवार को परेशान कर रहे थे। शिकायत में नामजद चार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए भाई ने यह भी धमकी दी कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो पूरा परिवार सामूहिक आत्महत्या कर लेगा। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि सोशल मीडिया मंचों पर उनके परिवार के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की जा रही है और कुछ लोग इस त्रासदी का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने असामयिक निधन पर शोक व्यक्त कियाओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने कहा कि फकीर मोहन स्वायत्त महाविद्यालय की एक युवा छात्रा के असामयिक निधन की खबर सुनकर वह स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा, "उनका निधन केवल एक त्रासदी नहीं है - यह हमारे परिसरों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता की एक स्पष्ट याद दिलाता है। कानून अपना कठोरतम कदम उठाएगा। ज़िम्मेदार लोगों को कठोरतम दंड मिलेगा।"ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने कहा कि सरकार द्वारा सभी ज़िम्मेदारियाँ निभाने और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के अथक प्रयासों के बावजूद, उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। माझी ने कहा, "मैं मृतक छात्रा के परिवार को आश्वस्त करता हूँ कि इस मामले में सभी दोषियों को कानून के अनुसार कड़ी सजा मिलेगी।"

Odisha Student Suicide: साइबर उत्पीड़न के खिलाफ छात्रा के भाई की शिकायत, सुरक्षा की गुहार
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कम शब्दों में कहें तो, ओडिशा में एक 20 वर्षीय छात्रा के आत्मदाह की त्रासदी ने न केवल शिक्षा प्रणाली को हिलाकर रख दिया है, बल्कि इसे एक गंभीर सामाजिक मुद्दे के रूप में浮ा भी किया है। बालासोर जिले के फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज में उत्पीड़न के आरोपी शिक्षक के खिलाफ अनदेखी के परिणामस्वरूप इस घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियां 17 जुलाई को ओडिशा बंद का आह्वान कर चुकी हैं, ताकि न्याय की मांग की जा सके।
साइबर उत्पीड़न और सुरक्षा की मांग
इस दुखद घटना के बाद, छात्रा के बड़े भाई ने भोगराई थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने चार व्यक्तियों का नाम लिया है। इन चारों पर आरोप है कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से परिवार को लगातार उत्पीड़ित कर रहे हैं। भाई ने पुलिस से यह भी अनुरोध किया है कि उन्हें और उनके परिवार को उचित सुरक्षा दी जाए। उन्होंने परिसर में हुये इस आत्मदाह की घटना को लेकर स्पष्ट कहा कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला, तो पूरा परिवार सामूहिक आत्महत्या कर सकता है।
भाई ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर उनके परिवार के बारे में अपमानजनक टिप्पणियों की भरमार हो गई है और कुछ लोग इस त्रासदी का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल पारिवारिक संकट को बढ़ावा दे रही है, बल्कि समाजिक खाई को भी जन्म दे रही है।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री का दुख व्यक्त करना
ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने छात्रा के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने इसे एक व्यवस्थागत विफलता करार दिया और कहा कि यह हमारे परिसरों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है। वहीं मुख्यमंत्री मोहन माझी ने इस मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने हर संभव प्रयास किया, लेकिन हम उसे बचाने में असफल रहे।”
छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा
यह घटना केवल एक छात्रा की नहीं है, बल्कि यह आगे जाकर हमारे संस्थानों में कैंपस सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाती है। क्या शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को सुरक्षित रखने में सक्षम हैं? समाज के सभी वर्गों को इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करने की आवश्यकता है।
छात्रा की आत्मदाह की घटना ने सिखाया है कि हमें एक-दूसरे का सहारा बनकर रहना चाहिए। इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
इस संदर्भ में जोड़ते हुए, हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि साइबर उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर एक ऐसा माहौल बनाएं जहां किसी भी विद्यार्थी को उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।
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समाज में जागरूकता बढ़ाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा। हमें ऐसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि न केवल छात्रों की भलाई सुनिश्चित हो सके, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव आ सके।
प्रकाशित: 'टीम द ओड नारी'