45 देश हाथ मिलाने आए, भारत बनेगा नया अमेरिका

दुनिया के बड़े अर्थशास्त्री और फाइनेंशियल एक्सपर्ट ने 10 से 12 साल पहले भविष्यवाणी की थी कि एक दिन भारत अमेरिका और चीन को टक्कर देगा। लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा था कि वो दिन इतनी जल्दी आ जाएगा। आज दुनिया के 45 से ज्यादा देश भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट एफटीए साइन करने की लाइन में खड़े हैं। ऐसा अचानक क्या हो गया? अमेरिका और चीन की जगह भारत को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है? दरअसल, इसके पीछे की बड़ी वजह ये दोनों देश खुद ही हैं। अमेरिका और चीन ने एक दूसरे के खिलाफ ट्रेड वार छेड़ रखा है। डोनाल्ड ट्रंप ने जब से दोबारा व्हाइट हाउस में प्रवेश किया है हर देश को डराने का टैरिफ और टैक्स उनका पसंदीदा हथियार बन गया है। चीन पर भरोसा पहले ही कम हो चुकी है। कोविड और ताइवान विवाद के बाद तो खासकर। ऐसे में भारत दुनिया के लिए सबसे भरोसेमंद विकल्प बन गया है। ऐसे में भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ने 45 देशों को अपनी ओर खींचा है।इसे भी पढ़ें: आतंकवाद-कट्टरपंथ के खिलाफ साझा प्रयास, निवेश के अवसर को बढ़ावा, भारत-न्यूजीलैंड ने साइन किए कई अहम समझौते भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और अगले कुछ सालों में वो तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर है। 140 करोड़ से ज्यादा की आबादी भारत को दुनिया की सबसे बड़ी कंज्यूमर मार्केट बनाती है। ऐसे में विदेशी कंपनियां अब भारत में अपने प्रोडक्ट बेचना चाहती हैं और यहां की मैन्यूफैक्चरिंग का फायदा उठाना चाहती हैं। मोदी सरकार ने पिछले दस सालों में मेक इन इंडिया, आत्म निर्भर भारत और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं से भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बना दिया है। अब दुनिया भारत के साथ व्यापार करने के लिए नई दिल्ली के चक्कर काट रही है। इसे भी पढ़ें: India-New Zealand Relations: न्यूजीलैंड के पीएम लक्सन ने पीएम मोदी से की मुलाकात, भारत को बताया ‘अविश्वसनीय रूप से उदार’किन देशों ने एफटीए पर बातचीत शुरू कीसबसे पहले यूरोपीय संघ के 27 देशों से भारत की बातचीत हुई। फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन ईयू के 27 देश  भारत के साथ व्यापार समझौता करना चाहते हैं। इसके बाद गल्फ काउंसिल के छह देश हैं जो भारत के साथ एफटीए करना चाहते हैं। सऊदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, बहरीन, ओमान जैसे तेल उत्पादक देश भारत के साथ एफटीए पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन भी भारत के साथ हाथ मिला चुके हैं। रूस, कजाकिस्तान, आर्मेनिया, बेलारूस, किर्गिस्तान के साथ भारत फ्री ट्रेड डील की बात कर रहा है। अन्य प्रमुख सात देश हैं जो धीरे धीरे इस डील पर बातचीत कर रहे हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, इजरायल और पेरु शामिल हैं। 

45 देश हाथ मिलाने आए, भारत बनेगा नया अमेरिका
45 देश हाथ मिलाने आए, भारत बनेगा नया अमेरिका

45 देश हाथ मिलाने आए, भारत बनेगा नया अमेरिका

The Odd Naari
लेखक: अनुराधा मेहता, टीम नेतानागरी

परिचय

भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है, जब 45 देशों के नेता हाथ मिलाने के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो भारत को वैश्विक स्तर पर नई शक्ति में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न देशों के साथ साझेदारी को मजबूत बनाना और भारत को एक नई वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना है।

भारत की बढ़ती ताकत

भारत का विकास पिछले कुछ दशकों में बहुत तेजी से हुआ है। आज, भारत केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि अपनी तकनीकी, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्तियों के लिए जाना जाता है। अब जब इतना बड़ी संख्या में देश एक साथ आ रहे हैं, तो यह संकेत है कि विश्व मंच पर भारत की छवि मजबूत हो रही है।

वैश्विक सहयोग की आवश्यकता

आज की दुनिया में, पारस्परिक सहयोग और साझेदारी की आवश्यकता हमेशा बढ़ती जा रही है। 45 देशों का एकत्रित होना न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभकारी है, बल्कि यह राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जब देशों के बीच अच्छे संबंध बनते हैं, तो इसका सीधा असर उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है।

भारत का राजनीतिक दृष्टिकोण

भारत ने हमेशा विभिन्न मुद्दों पर सहिष्णुता दिखाई है। आज का यह सम्मेलन भारत को वैश्विक मुद्दों पर अपनी स्थिति मजबूत करने का एक सुनहरा मौका प्रदान करता है। विशेषकर जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा और विकास के मुद्दों पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करने का।

भारत और अमेरिका का संबंध

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का अमेरिका के साथ बढ़ता संबंध भविष्य में अनेक लाभ लेकर आएगा। दोनों देशों के सहयोग से नई तकनीक, व्यापारिक अवसर और सांस्कृतिक विनिमय संभव होगा। यह सच है कि भारत ‘नया अमेरिका’ बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

निष्कर्ष

यह सम्मेलन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। इससे यह स्पष्ट है कि वैश्विक परिवर्तन के लिए भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अंत में बस इतना कहें कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है, और यह कदम उस दिशा में महत्वपूर्ण है।

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Keywords

India, 45 countries, global cooperation, new America, international relations, economic growth, climate change, cultural exchange, technology collaboration, diplomatic relations.