भाजपा ने प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक सुरेश राठौर को बाहर किया
The post प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर appeared first on Avikal Uttarakhand. राजनीति, प्रेम और पद की त्रासदी: पूर्व भाजपा विधायक सुरेश राठौर को संत समाज और पार्टी ने किया आउट अविकल उत्तराखंड देहरादून/हरिद्वार। भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर की निजी… The post प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक राठौर को भाजपा ने किया बाहर appeared first on Avikal Uttarakhand.

भाजपा ने प्रेम-संबंध विवाद में फंसे पूर्व विधायक सुरेश राठौर को बाहर किया
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Written by: Priya Sharma
कम शब्दों में कहें तो
भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर को प्रेम-संबंध विवाद के कारण पार्टी से बाहर कर दिया गया है। उनकी निजी जिंदगी का असर उनके सार्वजनिक जीवन पर पड़ा है, जिसने भाजपा और संत समाज दोनों को चिंतित कर दिया है।
Introduction
राजनीति में व्यक्तिगत विवाद कभी-कभी व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जब भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर को उनके विवादास्पद प्रेम-संबंध की वजह से पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। देहरादून और हरिद्वार में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां उनकी वैयक्तिक समस्याएं उनके राजनीतिक करियर पर भारी पड़ गई हैं। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि राजनीति, प्रेम और नैतिकता के बीच का ताना-बाना कितना संवेदनशील हो सकता है।
सुरेश राठौर का विवादास्पद सफर
सुरेश राठौर के बारे में जानकारी मिली है कि उनके विवाह और प्रेम संबंधों से जुड़े कई विवाद पहले से ही चर्चा में रहे हैं। उनके ऊपर दो विवाह करने के आरोप है, जो उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) का उल्लंघन मानते हुए लोगों में रोष उत्पन्न कर रहे हैं। इसी संदर्भ में संत समाज ने उनकी गतिविधियों पर कानूनी कार्रवाई की मांग की थी, जो उनके आचरण को गंभीरता से देख रहे हैं।
संत समाज का असंतोष
राठौर के व्यक्तिगत आचरण पर संत समाज ने कड़ी निंदा की है। साध्वी रेणुका और संत मेहरचंद दास ने हरिद्वार में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान आरोप लगाया कि राठौर ने धार्मिक उपाधियों का अनुचित प्रयोग किया है। उनका यह भी कहना है कि अगर राठौर ने अपने नाम के आगे धार्मिक उपाधियों का उपयोग नहीं रोका, तो उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना होगा।
भाजपा की सख्त प्रतिक्रिया
भाजपा ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए राठौर को 23 जून को नोटिस जारी किया और 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि राठौर का निजी आचरण पार्टी की नैतिकता के खिलाफ है और यह निर्णय संत समाज और जनमानस की बढ़ती नाराजगी का परिणाम है।
मीडिया की भूमिका
संत समाज ने मीडिया को भी सलाह दी है कि राठौर के नाम के साथ किसी धार्मिक उपाधि का उपयोग न किया जाए। वे यह मानते हैं कि ये उपाधियाँ राठौर को वैधता प्रदान नहीं करतीं और इससे समाज में नैतिकता के गिरते स्तर का संकेत मिलता है।
Conclusion
सुरेश राठौर का यह मामला केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि यह राजनीति, धर्म और नैतिकता के जटिल रिश्तों का एक उदाहरण है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि समाज में सही आचरण को बनाए रखा जाए। भाजपा ने राठौर के मामले में सख्त कदम उठाकर यह संदेश दिया है कि वे अपनी मान्यताओं और नैतिकता के खिलाफ किसी भी प्रकार की असमानता को स्वीकार नहीं करेंगे।
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