उत्तराखंड पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया स्थगित, जानें कारण
The post पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया अग्रिम आदेशों तक स्थगित appeared first on Avikal Uttarakhand. राज्य निर्वाचन आयुक्त ने हाईकोर्ट का हवाला देते हुए चुनावी प्रक्रिया को रोका अविकल उत्तराखंड देहरादून। उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। राज्य… The post पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया अग्रिम आदेशों तक स्थगित appeared first on Avikal Uttarakhand.

उत्तराखंड पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया स्थगित
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देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर एक महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने आगामी पंचायत चुनावों के नामांकन की प्रक्रिया को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया है। यह निर्णय उच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालना में लिया गया है, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
हाईकोर्ट द्वारा दिया गया आदेश
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि उच्च न्यायालय ने रिट याचिका संख्या 410 (एमबी) वर्ष 2025 गणेश दत्त काण्डपाल बनाम उत्तराखंड राज्य एवं अन्य में यह आदेश पारित किया है। अदालत ने कहा कि पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण नियमावली का विधिवत अधिसूचना जारी नहीं होने के कारण आरक्षण निर्धारण और इससे संबंधित कार्यवाहियों को स्थगित किया जाता है। आगे की सुनवाई 25 जून 2025 को निर्धारित की गई है।
निर्वाचन प्रक्रिया पर पड़ा असर
राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा की गई थी। नामांकन प्रक्रिया 25 से 28 जून तक निर्धारित की गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सभी चुनावी गतिविधियाँ तब तक रोक दी गई हैं जब तक नए निर्देश नहीं मिलते।
आयोग के अधिकारियों की प्रतिक्रिया
राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि आरक्षण और पदों के आवंटन की स्थिति अस्पष्ट होने के कारण नामांकन प्रक्रिया शुरू करना संभव नहीं है। सभी संबंधित अधिकारियों और चुनाव से जुड़े कार्मिकों को इस परिस्थिति से अवगत करा दिया गया है। आयोग के अधिकारी स्थिति का अध्ययन कर रहे हैं और अदालत के अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
चुनावी प्रक्रिया में आवश्यक पारदर्शिता
चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय पर कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है। लोकतांत्रिक प्रणाली में समय पर निर्णय और सूचना का होना आवश्यक है। यदि चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की देरी होती है, तो यह पारदर्शिता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
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इस निर्णय के परिणामस्वरूप कई उम्मीदवारों के राजनीतिक भविष्य पर धुंधलापन आ गया है। चुनावी प्रक्रिया को प्राथमिकता देना आवश्यक है ताकि लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा की जा सके। सभी की निगाह अब अगली सुनवाई पर है, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा नई स्पष्टता का इंतज़ार किया जा रहा है।
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लेखक: सुमिता राठी, उर्वशी वर्मा, टीम The Odd Naari