राजनीतिक जोड़-तोड़ और आपदाओं का समय – मानवता का दर्पण

The post आपदा व राजनीतिक जोड़ तोड़ का मौसम – घूमता रहेगा समय का पहिया appeared first on Avikal Uttarakhand. बोल चैतू अविकल थपलियाल …समय चक्र किसी के लिए नहीं रुकता। समय-समय पर प्रकृति अपना खेल दिखाती रहती है। मौसम कैसा भी हो लेकिन राजनीति की चालें भी कभी नहीं… The post आपदा व राजनीतिक जोड़ तोड़ का मौसम – घूमता रहेगा समय का पहिया appeared first on Avikal Uttarakhand.

राजनीतिक जोड़-तोड़ और आपदाओं का समय – मानवता का दर्पण
आपदा व राजनीतिक जोड़ तोड़ का मौसम – घूमता रहेगा समय का पहिया

राजनीतिक जोड़-तोड़ और आपदाओं का समय – मानवता का दर्पण

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लेखिका: साक्षी वर्मा, नेहा कपूर, टीम The Odd Naari

समय का चक्र और उसकी अनवरत डगर

कम शब्दों में कहें तो, समय कभी भी नहीं रुकता। यह हमेशा गति में रहता है, चाहे प्राकृतिक आपदाएँ हों या राजनीतिक घटनाक्रम। उत्तरकाशी में हाल ही में आई बाढ़ ने केवल जनजीवन को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित किया है। जब प्रकृति अपना जीवनलय दिखाती है, तब दूसरी ओर राजनीति अवसरों की तलाश में रहती है।

उत्तरकाशी का संकट

उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल क्षेत्र में आई बाढ़ ने बड़े पैमाने पर विनाश किया। अगस्त के पहले सप्ताह में आई इस आपदा ने जान-माल का भारी नुकसान पहुंचाया है। मृतकों के परिवारजन मलबे के बीच बैठकर अपने प्रियजनों की खोज में हैं। वहीं, हर्षिल के आर्मी कैंप में कई जवान लापता हैं, जो इस त्रासदी की भयावहता को और बढ़ा देते हैं।

राजनीतिक उठापटक

जब लोगों का ध्यान अपने प्रियजनों की खोज में है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों में जोड़-तोड़ जारी है। 8 अगस्त को, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया। यह परिवर्तन उत्तरकाशी की राजनीति में नई हलचल लेकर आया है।

विवाद और राजनीतिक साक्षात्कार

बीजेपी में शामिल होने के बाद, दीपक बिजल्वाण के खिलाफ कई आरोप उठाए जा चुके हैं, फिर भी राजनीतिक दाव-पेचों का खेल न केवल जारी है, बल्कि यह दिखाता है कि अवसरों का खेल किस प्रकार खेला जाता है। दूसरी ओर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा शुरू कर दिया है, जो यह संकेत करता है कि राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव हो रहा है।

आगामी चुनाव और राजनीतिक गतिविधियाँ

उत्तराखंड में 14 अगस्त को जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में, राजनीतिक दल आपदा के समय का लाभ उठाने की रणनीति बना रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड की जनता इस बदलाव पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है।

निष्कर्ष

इस संकट के दौरान, जहां आम लोग अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं राजनीतिक जोड़-तोड़ का खेल चल रहा है। यह स्थिति यह दर्शाती है कि राजनीति कभी भी इंसानियत की परवाह नहीं करती। हमें आपदा के इस समय में एकजुटता और संवेदनशीलता सिखाई जाती है। सभी को मिलकर इस मुश्किल दौर में एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए। समय का चक्र घूमता रहेगा, और यह मानवता का परीक्षण भी लगातार करता रहेगा।

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