ईमानदारी की मिसाल:उत्तराखंड के ईमानदार जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने न्याय की जीत की नई इबारत लिखी

उत्तराखंड के ईमानदार अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत पाकर सत्य और न्याय की जीत की मिसाल पेश की। विजिलेंस की कार्यवाही पर सवाल और मिश्रा की ईमानदारी को लेकर प्रेरणादायक कहानी।

ईमानदारी की मिसाल:उत्तराखंड के ईमानदार जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने न्याय की जीत की नई इबारत लिखी
ईमानदार अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट से राहत पाई। विजिलेंस की खामियों और साजिशों के बीच सत्य और ईमानदारी की प्रेरणादायक कहानी। पढ़ें पूरी खबर।

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने अपने ईमानदार और निष्ठावान व्यक्तित्व से न केवल एक साजिश का पर्दाफाश किया, बल्कि सत्य और न्याय की जीत की एक नई कहानी लिखी। सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी 2024 को मिश्रा को जमानत दी, जिससे उनका संघर्ष एक प्रेरणा बन गया है।

क्या था मामला?

साल 2023-24 में चौधरी सुदेश पाल सिंह, जो एक शराब ठेकेदार हैं, ने अशोक कुमार मिश्रा पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। असल में, चौधरी सुदेश पाल सिंह की पुरानी दुकान पर राजस्व बकाया था और मिश्रा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि जब तक पूरा भुगतान नहीं होगा, कोई नई अनुमति नहीं दी जाएगी।

लेकिन, सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। ठेकेदार ने विजिलेंस में शिकायत की, और इस पर आधारित एक ट्रैप ऑपरेशन चलाया गया। यह ऑपरेशन सच्चाई का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।

विजिलेंस की कार्यवाही पर गंभीर सवाल

  1. वीडियोग्राफी का अभाव: BNSS 2023 के प्रावधानों के अनुसार, ट्रैप ऑपरेशन में वीडियोग्राफी अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में केवल फोटो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए।
  2. स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति: कार्रवाई के दौरान कोई स्वतंत्र गवाह मौजूद नहीं था।
  3. बरामदगी का स्थान: कथित रिश्वत की राशि मिश्रा के हाथ में नहीं, बल्कि उनकी टेबल की दराज में मिली, जिससे साजिश की संभावना और बढ़ जाती है।
  4. शिकायतकर्ता का विवादास्पद इतिहास: शिकायतकर्ता पर पहले से ही कई आपराधिक मामले लंबित हैं, और उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के भी गंभीर आरोप हैं।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: न्याय और सच्चाई की जीत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मामले की खामियों को ध्यान में रखते हुए अशोक कुमार मिश्रा को जमानत दी। कोर्ट ने मौखिक तौर पर यह संकेत दिया कि इस मामले में साजिश की संभावना को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

अशोक कुमार मिश्रा: ईमानदारी और साहस का प्रतीक

अशोक कुमार मिश्रा ने अपने संघर्ष से यह साबित किया है कि सच्चाई की राह मुश्किल हो सकती है, लेकिन अंततः जीत उसी की होती है।

  • उन्होंने ठेकेदार से बकाया राशि वसूलने के लिए नियमों का पालन किया।
  • उनके खिलाफ साजिशें रची गईं, लेकिन उन्होंने अपना साहस और ईमानदारी नहीं छोड़ी।

उत्तराखंड प्रशासन के लिए सबक

यह मामला उत्तराखंड प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है।

  • विजिलेंस को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना होगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।
  • ईमानदार अधिकारियों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

निष्कर्ष: सत्य की विजय

अशोक कुमार मिश्रा की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का पालन करता है। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की जीत है, बल्कि न्याय, ईमानदारी और पारदर्शिता की भी जीत है।

उत्तराखंड को अशोक कुमार मिश्रा जैसे अधिकारियों की जरूरत है, जो सच्चाई और कर्तव्यनिष्ठा के साथ हर चुनौती का सामना कर सकें।

यह रिपोर्ट "द ऑड नारी" के लिए तैयार की गई है, जो महिलाओं और समाज में सकारात्मक बदलाव के प्रतीक कहानियों को सामने लाने का प्रयास करती है।