हिंदी: ज्ञान-विज्ञान की भाषा, जो अन्य भाषाओं को अपनाकर हो रही है सशक्त - अमित शाह

आईजीएनसीए की प्रदर्शनी का अवलोकन किया गृह मंत्री ने। आपका अखबार ब्यूरो। राजभाषा विभाग की 50 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दिल्ली स्थित भारत मंडपम् में एक दिवसीय विशाल कार्यक्रम का आयोजन गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा किया गया। इस आयोजन में देश भर के सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के राजभाषा से जुड़े करीब […] The post दूसरी भाषाएं अपनाकर ज्ञान-विज्ञान की सशक्त भाषा बन रही हिंदी: अमित शाह first appeared on Apka Akhbar.

हिंदी: ज्ञान-विज्ञान की भाषा, जो अन्य भाषाओं को अपनाकर हो रही है सशक्त - अमित शाह
दूसरी भाषाएं अपनाकर ज्ञान-विज्ञान की सशक्त भाषा बन रही हिंदी: अमित शाह

हिंदी: ज्ञान-विज्ञान की भाषा, जो अन्य भाषाओं को अपनाकर हो रही है सशक्त - अमित शाह

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कम शब्दों में कहें तो, गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा है कि हिंदी अब दूसरी भाषाएँ अपनाकर ज्ञान-विज्ञान की सशक्त भाषा बन रही है। यह महत्वपूर्ण टिप्पणी उस समय की गई जब उन्होंने आईजीएनसीए की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस अवसर पर, दिल्ली के भारत मंडपम् में राजभाषा विभाग की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

कार्यक्रम की मुख्य बातें

अमित शाह ने कार्यक्रम में हिंदी की बढ़ती प्रतिष्ठा और इसके महत्व पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि भारत में कई भाषाएँ हैं, लेकिन जब हम उन्हें हिंदी के प्रसंग में देखते हैं, तो यह ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में और बड़ी शक्ति का संचार करेगी। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया से न केवल हिंदी का स्तर उच्च होगा, बल्कि यह अन्य भाषाओं से भी जुड़ने और समन्वय बनाने में मदद करेगी।

हिंदी का वैश्विक प्रभाव

गृह मंत्री के अनुसार, हिंदी अब एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में उभर रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हिंदी का प्रयोग भारत में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और वैज्ञानिक शोधों में हिंदी का शामिल होना एक सकारात्मक बदलाव है, जो शिक्षा प्रणाली को हिंदी में अनुवादित करने की दिशा में भी बढ़ रहा है।

भाषाओं का महत्व और एकता में योगदान

यह बात ध्यान देने योग्य है कि भाषाएँ लोगों को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। अमित शाह के मुताबिक, यदि हम अपनी भाषाओं को बेहतर समझें और उनका विस्तार करें, तो हम ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में नया मोड़ ला सकते हैं। यह न केवल देश की एकता को बढ़ावा देगा, बल्कि तकनीकी विकास को भी आगे बढ़ाएगा।

हिंदी का भविष्य

अमित शाह के विचार हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि भविष्य में हिंदी ज्ञान-विज्ञान की एक प्रमुख भाषा बनकर उभरेगी। यदि हम इसे अन्य भाषाओं के साथ मिलाकर विकसित कर सकें, तो यह हमारे देश और पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इस दिशा में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।

अंत में, हिंदी का विकास एक सामूहिक प्रयास होना चाहिए। इसमें सरकार, विद्यालय और समाज सभी को सक्रियता से कार्य करना होगा। सभी को इस दिशा में अपनी भूमिका निभानी चाहिए ताकि हिंदी का प्रभाव सभी क्षेत्रों में विस्तारित हो सके।

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सादर,

टीम द ओड नारी

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