संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बाद बीएनपी ने Sheikh Hasina को वापस भेजे जाने की उम्मीद जताई

ढाका । बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत उनकी प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना को वापस उनके देश भेजेगा, ताकि उन पर मुकदमा चलाया जा सके। बीएनपी का यह बयान संयुक्त राष्ट्र की एक तथ्यान्वेषण रिपोर्ट में किए गए उस दावे के एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले साल प्रदर्शनकारियों पर ‘‘सुनियोजित तरीके से हमलों और हत्याओं के जरिये सत्ता में बने रहने की कोशिश की गई थी।’’बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो भारत को पिछले साल हसीना के प्रत्यर्पण के लिए किए गए गए अनुरोध का एक अनुस्मारक भेजा जाएगा। हसीना की अवामी लीग पार्टी के लगभग 16 साल लंबे शासन का पांच अगस्त 2024 को छात्रों के आंदोलन के बाद पतन हो गया था, जिसके चलते वह बांग्लादेश छोड़ भारत चली गई थीं।बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि सामूहिक हत्याएं, मानवाधिकारों का उल्लंघन और लोकतंत्र तथा संस्थाओं का विनाश हसीना के आदेश पर किया गया था, और रिपोर्ट से यह साबित हुआ है कि ‘‘हसीना एक फासीवादी हैं, जिन्होंने इस देश के लोगों को प्रताड़ित किया।’’ आलमगीर ने कहा, ‘‘हम आज भारत सरकार से हसीना और उनके साथियों को तुरंत बांग्लादेश भेजने और उन्हें मुकदमे का सामना करने के लिए सरकार को सौंपने का आह्वान करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बाद बीएनपी ने Sheikh Hasina को वापस भेजे जाने की उम्मीद जताई
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बाद बीएनपी ने Sheikh Hasina को वापस भेजे जाने की उम्मीद जताई

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बाद बीएनपी ने Sheikh Hasina को वापस भेजे जाने की उम्मीद जताई

The Odd Naari
लेखक: राधिका शर्मा, टीम नेतानागरी

भूमिका

हाल ही में जारी एक संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें वापस भेजे जाने की उम्मीद जताई है। इस लेख में हम इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं और इसके राजनीतिक प्रभाव पर चर्चा करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का सार

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बांग्लादेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन, राजनीतिक दमन और प्रेस की स्वतंत्रता पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य यह है कि बांग्लादेश की वर्तमान सरकार ने लोकतंत्र स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं। इससे पहले, बीएनपी ने कई बार सरकार पर अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने का आरोप लगाया है।

बीएनपी की प्रतिक्रिया

बीएनपी के नेता खालिदा जिया ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की बहाली के लिए एक सुनहरा अवसर है। पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बीएनपी शेख हसीना को वापस भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाएगी। उन्होंने बताया कि पार्टी इस मुद्दे पर व्यापक अभियान चलाएगी।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

इस रिपोर्ट के आने के बाद बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल में काफी बदलाव आ सकता है। बीएनपी का यह कदम न केवल उनकी राजनीतिक स्थिति को मजबूती देगा, बल्कि बांग्लादेश में नागरिक समाज के लिए भी नए अवसर पैदा करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बीएनपी सफल होती है, तो इसका असर पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र पर पड़ेगा।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने बांग्लादेश की राजनीति को नया मोड़ देने की संभावना जताई है। बीएनपी की शेख हसीना को वापस भेजने की उम्मीद ने राजनीतिक जटिलताओं को और बढ़ा दिया है। ऐसे समय में, यह महत्वपूर्ण है कि बांग्लादेश के नागरिक अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एकजुट हों। भविष्य में क्या घटनाएँ घटित होंगी, यह समय ही बताएगा।

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