किसी मदद के लिए हमसे नहीं किया कोई संपर्क, हमास समर्थक भारतीय स्टूडेंट रंजनी श्रीनिवासन के सेल्फ डिपोर्टेशन पर आया भारत का बयान
भारत-कनाडा संबंधों पर विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट का कारण देश में चरमपंथी और अलगाववादी तत्वों को दी गई छूट है। हमारी उम्मीद है कि हम आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को फिर से बना सकेंगे। रंजनी श्रीनिवासन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि उन्होंने किसी मदद के लिए हमारे वाणिज्य दूतावास या हमारे दूतावास से संपर्क किया है। हमें उनके अमेरिका से चले जाने के बारे में केवल मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से पता चला है, और मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से ही हमें पता चला है कि वे कनाडा चली गई हैं।इसे भी पढ़ें: हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़ ट्रंप कहीं न भेज दें घर, हमास के फेर में फंसी भारतीय छात्रा ने खुद को ही कर लिया सेल्फ डिपोर्टअमेरिकी यूनिवर्सिटी में हमास के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी। लेकिन अब उसे अमेरिका छोड़कर उसे भागना पड़ा। अमेरिका को पसंद नहीं आया कि रंजनी श्रीनिवासर हमास के समर्थन में नारेबाजी कर रही है। ऐसे में अमेरिका ने एक्शन लेते हुए पांच मार्च को रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद्द कर दिया। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने बताया कि कोलंबिया विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही रंजनी श्रिनिवासन ने सीबीपी होम एप का इस्तेमाल करते हुए खुद को सेल्फ डिपोर्ट कर लिया। यानी धक्के दिए जाने से पहले ही रंजनी श्रिनिवासन ने खुद ही अमेरिका छोड़ दिया। इसे भी पढ़ें: बिम्स्टेक समिट में मोहम्मद यूनुस से PM मोदी मिलेंगे या नहीं? जानें MEA ने इस पर क्या अपडेट दियाभारतीय नागरिक और कोलंबिया विश्वविद्यालय में फुलब्राइट स्कॉलर रंजनी श्रीनिवासन ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा फिलिस्तीन समर्थक छात्र प्रदर्शनकारियों पर कथित कार्रवाई के मद्देनजर अमेरिका से अचानक प्रस्थान करने के बाद एक बयान में कहा कि उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है। मेरा वीज़ा रद्द होने और छात्र का दर्जा खोने से मेरा जीवन और भविष्य उलट गया है - किसी गलत काम की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि मैंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग किया था।

किसी मदद के लिए हमसे नहीं किया कोई संपर्क, हमास समर्थक भारतीय स्टूडेंट रंजनी श्रीनिवासन के सेल्फ डिपोर्टेशन पर आया भारत का बयान
The Odd Naari एक अहम खबर के साथ प्रस्तुत है: रंजनी श्रीनिवासन, एक भारतीय छात्रा, जो हाल ही में हमास के समर्थन में खुलकर सामने आई थीं, ने अपने खुद के डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू की। इस घटना ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना दिया है।
रंजनी का मामला और भारत सरकार की प्रतिक्रिया
हाल ही में, रंजनी श्रीनिवासन ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में हमास के प्रति अपने समर्थन को व्यक्त किया और इसके चलते वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में रहीं। रंजनी का यह कदम कई तरह के विवादों को जन्म देने वाला बना, जिससे भारत सरकार को भी प्रतिक्रिया देनी पड़ी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि "रंजनी ने अपने व्यक्तिगत कारणों से स्वैच्छिक स्वदेश लौटने का निर्णय लिया है, और इस मामले में कोई भी मदद के लिए हमारे पास संपर्क नहीं किया गया था।"
भारत में रंजनी का समर्थन या विरोध?
रंजनी का समर्थन या विरोध भारत में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। जबकि कुछ लोग उनके समर्थन की प्रशंसा कर रहे हैं, वहीं अन्य उनकी क्रियाओं की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। भारत में इस मुद्दे पर चर्चा का केंद्र यह है कि क्या व्यक्तिगत विचारधाराएं एक छात्र के लिए उचित हैं या नहीं। अदालती मामलों से लेकर सामाजिक मीडिया पर विचार विमर्श तक, रंजनी का मामला हमें भारतीय युवाओं की सोच को समझने में मदद करता है।
रंजनी के सेल्फ डिपोर्टेशन का महत्व
रंजनी के आत्म-डिपोर्टेशन का यह कदम एक सशक्त बयान है। यह बताता है कि वह अपनी राय के लिए अडिग हैं, भले ही परिणाम क्या हो। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें सरकार से कोई मदद मिल रही थी, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी सरकारी एजेंसी से संपर्क नहीं किया। उनके अनुसार, यह उनकी व्यक्तिगत पसंद थी और उन्होंने इसे अकेले ही संभालना उचित समझा।
निष्कर्ष
रंजनी श्रीनिवासन का यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत विकल्प है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के विचारों और सोचने के तरीके पर भी जोर देता है। इस घटना ने हमें इस बात का एहसास कराया है कि भारत में विचारों की स्वतंत्रता कितनी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भी कि इसे जिम्मेदारी और समझदारी से व्यक्त किया जाना चाहिए। ऐसे में, हम हमें उम्मीद है कि युवा अपनी आवाज को उचित तरीके से उठाएंगे।
भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि वह अपने छात्रों की सुरक्षा का ध्यान रखती है, लेकिन साथ ही यह भी आवश्यक है कि हम सभी अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करें।
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