एपी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन के तीन अधिकारियों पर किया मुकदमा
समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) ने राष्ट्रपति के कार्यक्रमों तक उसकी पहुंच बाधित करने के मामले में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन के तीन अधिकारियों पर शुक्रवार को मुकदमा दायर किया। दरअसल, अमेरिका ने हाल में ‘मेक्सिको की खाड़ी’ का नाम बदलकर ‘अमेरिका की खाड़ी’ रखने का आदेश जारी किया था लेकिन ‘एपी’ ने कहा था कि वह ‘मेक्सिको की खाड़ी’ नाम का ही इस्तेमाल करना जारी रखेगा। उसका कहना है कि दुनिया भर में समाचार प्रसारित करने वाली एक वैश्विक समाचार एजेंसी के रूप में उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थानों के उन नाम का इस्तेमाल किया जाए जिन्हें लोग आसानी से पहचान सकें। इसके बाद, अमेरिका ने ‘एपी’ के पत्रकारों को कई सरकारी कार्यक्रमों को कवर करने से रोक दिया था। ‘एपी’ के पत्रकारों की सरकारी कार्यक्रमों तक पहुंच को बाधित करने के अमेरिकी प्रशासन के फैसले के खिलाफ मुकदमा शुक्रवार दोपहर वाशिंगटन में अमेरिकी जिला न्यायालय में दायर किया गया। यह मामला ट्रंप द्वारा नामित अमेरिकी जिला न्यायाधीश ट्रेवर मैकफैडेन को सौंपा गया है। ‘एपी’ ने कहा कि ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) द्वारा भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने के असंवैधानिक प्रयास के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज किया गया है। ‘एपी’ ने अपने मुकदमे में कहा, ‘‘प्रेस एवं अमेरिका के सभी लोगों को अपने शब्द चुनने का अधिकार है और सरकार को उनसे प्रतिशोध नहीं लेना चाहिए।’’ इस मुकदमे में ‘व्हाइट हाउस’ की ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ सुजैन विल्स, ‘डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ’ टेलर बुडोविच और प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट का नाम शामिल है।

एपी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन के तीन अधिकारियों पर किया मुकदमा
Tagline: “The Odd Naari”
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेटानगरी
परिचय
हाल ही में एपी (Associated Press) ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तीन अधिकारियों के खिलाफ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। यह मामला मीडिया स्वतंत्रता और प्रतिष्ठित पत्रकारिता के महत्व को उजागर करता है।
मुकदमे का कारण
एपी ने यह मुकदमा ऐसे समय में दायर किया है जब अमेरिकी मीडिया की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा असली न्यूज़ कवरेज को बाधित किया गया और पत्रकारों को गलत तरीके से लक्षित किया गया। एपी का कहना है कि यह कार्रवाई उनकी पत्रकारिता के अधिकारों की राजनीतिक हस्तक्षेप का एक रूप है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का मुख्य स्तंभ है। यह न केवल पत्रकारों को सच्चाई को उजागर करने का अधिकार देती है, बल्कि नागरिकों को भी सही जानकारी प्राप्त करने की सुविधा فراهم करती है। इस प्रकार की कानूनी लड़ाई यह सुनिश्चित करती है कि मीडिया स्वायत्तता को हमेशा बनाए रखा जाए।
पूर्व प्रशासन की प्रतिक्रिया
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन ने इस मुकदमे पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि यह एक राजनीतिक चाल है, जिसका उद्देश्य ट्रंप की छवि को खराब करना है। इस प्रकार की प्रतिक्रियाएँ आश्चर्यचकित नहीं हैं, क्योंकि अमेरिका का राजनीतिक माहौल हमेशा से विभाजित रहा है।
कानूनी प्रक्रिया और संभावित परिणाम
मुकदमे की प्रक्रिया में आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। यदि एपी इस मुकदमे में जीतती है, तो यह पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण जीत मानी जाएगी। अनुसंधान के अनुसार, यह मामला पत्रकारिता के अधिकारों को मजबूत करने का एक तरीका हो सकता है।
निष्कर्ष
एपी का यह कदम न केवल अमेरिकी मीडिया के लिए, बल्कि हर उस पत्रकार के लिए महत्वपूर्ण है जो स्वतंत्रता के साथ काम करना चाहता है। यह दर्शाता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना अनिवार्य है, और हम सभी को इसके लिए खड़ा होना चाहिए।
विदेश में ऐसे मामलों का गहरा असर पड़ सकता है, जो अन्य देशों में भी स्वतंत्रता और लोकतंत्र की लड़ाई के लिए प्रेरणा प्रदान कर सकते हैं।