अपने टोन में करेंगे भारत से बात, बांग्लादेश क्यों बेफिजूल के पंगे लेने में लगा है?

"बात तक करनी ना आती थी तुम्हें, ये हमारे सामने की बात है।" दाग दहेलवी ने भी खूब कहा था। पाकिस्तान के हिस्से में गए ईस्ट बंगाल के हिस्से को कुछ बरस में आजादी का ख्याल आ गया। वहां के लोगों ने मुक्ति संग्राम शुरू किया। भारत ने बांग्लादेश की सेना की मदद के लिए सेना भेजी। दिसंबर 1971 में पाकिस्तानी सेना ने हिंदुस्तान की जांबाज सेना के आगे सरेंडर कर दिया। तब जाकर बांग्लादेश बना। ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि भारत की मदद के बगैर बांग्लादेशी अपने स्वतंत्र देश अपनी स्वतंत्र अस्मिता और अपने सम्मान की रक्षा नहीं कर पाते। पाकिस्तान उसके पंजे के नीचे एक दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाते। लेकिन सवाल ये है कि आज सारा इतिहास बातने के पीछे मकसद ये है कि इसी बांग्लादेश सरकार ने कहा है कि वो भारत से अपने टोन और अपने अंदाज में बात करेगा। इसके साथ ही भारत के साथ कुछ समझौते तोड़ने की भी बात कही है। भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव कम नहीं हो रहा। एक के बाद एक बांग्लादेश ऐसे काम कर रहा है जिससे भारत के साथ रिश्तों में तनाव बना रह सके। हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान और आईएसआई के साथ हंसते, मुस्कुराते और फोटो सेशन करवाते बांग्लादेश की तस्वीर तो आपने खूब देखी होंगी।इसे भी पढ़ें: Bangladesh Women Football: मैदान में फुटबॉल खेलने उतरी लड़कियां, तभी कट्टरपंथियों ने...यूनुस ने बांग्लादेश को क्या बना डाला? असमान संधियों पर बात बांग्लादेश अब भारत पर जुबानी हमले करने से भी बाज नहीं आ रहा है। बांग्लादेश का कहना है कि वह भारत के साथ अब अपने तरीके से और अपने अंदाज में बात करेगा। बांग्लादेश का कहना है कि वह भारत के साथ होने वाले 55वें डायरेक्टर लेवल बीजीडी और बीएसएफ के साथ बातचीत के दौरान अपने तरीके से डील करेगा। यह बैठक दिल्ली में 17 फरवरी को होने वाली है। बांग्लादेश की अतरिम सरकार का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के कार्यकाल में भारत से हुई सभी 'असमान संधियों' पर चर्चा की जाएगी। गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को भारतीय नागरिकों पर ड्रग्स बनाने और उन्हें बांग्लादेश में तस्करी करने का आरोप लगाया। वह भारत-बांग्लादेश सीमा सुरक्षा सम्मेलन को लेकर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'सीमा से 150 गज के भीतर किसी भी गतिविधि के लिए दोनों देशों की आपसी मंजूरी जरूरी होती है।इसे भी पढ़ें: इधर ट्रंप के मंत्री से मिले जयशंकर, उधर झट से अमेरिका ने बंद कर दी बांग्लादेश को दी जा रही अमेरिकी मदद किसी भी पक्ष के लिए एकतरफा कार्रवाई की कोई गुंजाइश नहीं है। अगर किसी विकास परियोजना के तहत मस्जिद या मंदिर का निर्माण किया जाना हो, तो दोनों देशों की सहमति जरूरी होगी। भविष्य में इस सहमति को सुनिश्चित करने पर खास जोर दिया जाएगा। सीमा पर निहत्थे बांग्लादेशी नागरिकों पर कथित गोलीबारी पर भी सम्मेलन में चर्चा की जाएगी।

अपने टोन में करेंगे भारत से बात, बांग्लादेश क्यों बेफिजूल के पंगे लेने में लगा है?
अपने टोन में करेंगे भारत से बात, बांग्लादेश क्यों बेफिजूल के पंगे लेने में लगा है?

अपने टोन में करेंगे भारत से बात, बांग्लादेश क्यों बेफिजूल के पंगे लेने में लगा है?

The Odd Naari | लेखन टीम: नीतू शर्मा, सिमा गुप्ता, अंजलि मिश्रा

प्रस्तावना

वर्तमान में, भारत और बांग्लादेश के बीच बातचीत का जो माहौल बना है, वह कुछ दिन पहले ही अपने सुरों में काफी बदलाव दर्शाते हुए नजर आ रहा है। बांग्लादेश ने हाल ही में कुछ ऐसे कदम उठाए हैं, जो न केवल भारत के प्रति उसकी नीतियों को चुनौती देते हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों को भी प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में हम देखेंगे कि बांग्लादेश को आखिर क्यों बेफिजूल के पंगों में पड़ने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

बांग्लादेश का नया रुख

हाल ही में बांग्लादेश ने भारत के कुछ प्रस्तावों को ठुकरा दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वह अपने स्तर पर संवाद के मामले में कुछ सख्त कदम उठाने की सोच रहा है। बांग्लादेशियन मीडिया में आए इन समाचारों ने तात्कालिकता पैदा कर दी है, जहां नागरिकों के बीच भारत के प्रति नकारात्मकता भी देखी जा रही है। इस संदर्भ में, हम देखेंगे कि क्या ये कार्रवाई अस्थायी है या फिर लंबे समय के लिए बांग्लादेश अपनी नीति में बदलाव लाने जा रहा है।

संविधानिक पहलुओं का विश्लेषण

बांग्लादेश का संविधान उसके राष्ट्रीय हितों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता व्यक्त करता है। इसलिए, जब भी भारत के संबंधों पर चर्चा होती है, बांग्लादेश की दृष्टि हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा को लेकर सजग रहती है। हाल ही में बांग्लादेश ने कुछ मछली पकड़ने के नियमों में बदलाव किया है, जो भारतीय मछुआरों पर सीधा प्रभाव डालता है। यह कदम भले ही स्थानीय उद्देश्यों के लिए हो, लेकिन इसका विस्तार कर के भारत के साथ संबंधों में तनाव पैदा किया जा सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार इस स्थिति को सख्ती से देख रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह बांग्लादेश के साथ संवाद जारी रखने के लिए तैयार है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की बलि देगा। भारत के उच्च स्तर के अधिकारी बांग्लादेश की इस आक्रामकता के जवाब में एक ठोस और व्यवहारिक रुख अपना सकते हैं।

निष्कर्ष

बांग्लादेश का हालिया रुख भारत के प्रति केवल एक तात्कालिक प्रतिक्रिया प्रतीत होता है। इसे समझदारी से हल करने की आवश्यकता है ताकि द्विपक्षीय संबंधों में कोई अवरोध न आए। भविष्य में भारत और बांग्लादेश के संबंध कैसे विकसित होते हैं, यह समय ही बताएगा। लेकिन यह आवश्यक है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे से संवाद जारी रखें और बिना बहस के मुद्दों का समाधान निकालें।

कुल मिलाकर, बांग्लादेश का बेफिजूल के पंगे लेना दिखाता है कि उसने अपने स्वार्थ की खातिर एक नया रास्ता चुन लिया है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, भारत की प्रतिक्रिया में धैर्य और स्पष्टता होनी चाहिए ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

Keywords

India Bangladesh relations, diplomatic issues, fishing policies, constitutional commitments, foreign policy, bilateral communication, regional politics, national interests