Prabhasakshi NewsRoom: Germany Election में दक्षिणपंथियों की जीत पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा संदेश है

जर्मनी की जनता ने चुनावों में सरकार को पलट दिया है। हम आपको बता दें कि फ्रेडरिक मर्ज़ के सीडीयू/सीएसयू गठबंधन के नेतृत्व वाले रूढ़िवादियों ने 2025 के जर्मन चुनाव में धुर दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के साथ जीत हासिल कर ली है। हालांकि सरकार बनाने के लिए उन्हें और दलों का सहयोग लेना पड़ेगा। 69 वर्षीय फ्रेडरिक मर्ज़ के पास पहले किसी बड़े पद संभालने का अनुभव नहीं है इसलिए उन्हें अन्य दलों के साथ गठबंधन के लिए वार्ता में मुश्किलें भी आ रही हैं क्योंकि जर्मनी में कई दल ऐसे हैं जिन्होंने मर्ज की सहयोगी पार्टी एएफडी के साथ काम करने से इंकार कर दिया है। हम आपको बता दें कि एएफडी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी अरबपति एलन मस्क का समर्थन प्राप्त है। मर्ज़ जिन दलों से समर्थन के लिए बातचीत कर रहे हैं उन्हें विश्वास दिला रहे हैं कि उनकी सरकार यूरोप को अमेरिका से "वास्तविक स्वतंत्रता" दिलाएगी।जर्मनी में मर्ज अल्पमत की सरकार चलाएंगे या वह बहुमत का जुगाड़ कर लेंगे यह जल्द ही स्पष्ट हो जायेगा। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि मर्ज़ ही नए जर्मन चांसलर होंगे। हम आपको बता दें कि जर्मनी में चुनावों के लिए रविवार को मतदान हुआ था। इन चुनावों में यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आई स्थिरता, प्रवासन से संबंधित मुद्दे तथा यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के कारण पैदा हुई अनिश्चितता की स्थिति बड़ा मुद्दा बने थे।इसे भी पढ़ें: Russia-Ukraine War के तीन साल पूरे, Zelensky बोले- NATO की सदस्यता मिले तो मैं राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने को तैयारहम आपको बता दें कि क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के अध्यक्ष फ्रेडरिक मर्ज़ ने देश की आर्थिक मंदी को दूर करने और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का वादा किया था। एक रूढ़िवादी नेता के रूप में मर्ज़ कर में कटौती, विनियमन और वैश्विक मामलों में जर्मनी के लिए अधिक निर्णायक भूमिका की वकालत करते हैं। उनका नेतृत्व जर्मनी के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का प्रतीक है, जिसमें दक्षिणपंथी पार्टियों के लिए समर्थन बढ़ रहा है, जिसमें धुर दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) भी शामिल है।इसके अलावा, चुनावों में प्राथमिक मुद्दा जिसने मतदाताओं के बीच निर्णय को प्रभावित किया है वह जर्मन अर्थव्यवस्था की स्थिति है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में स्थिरता देखी गई है। इसके अलावा प्रवासियों द्वारा किए गए हालिया हमलों ने प्रवासन को आम चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाया। हम आपको बता दें कि मर्ज़ ने उचित दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश रोकने और निर्वासन बढ़ाने का वादा किया है। इसके अलावा चुनाव लड़ रहे दलों ने रूस के साथ युद्ध के खिलाफ यूक्रेन को समर्थन देने का भी आश्वासन दिया था। इस बीच, निवर्तमान चांसलर ने अपनी हार स्वीकार की है। उन्होंने चुनाव परिणाम को 'कड़वा' बताते हुए फ्रेडरिक मर्ज को बधाई दी है। उल्लेखनीय है कि निवर्तमान चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की एसपीडी 10 प्रतिशत अंक गिरकर तीसरे स्थान पर आ गई है।हम आपको बता दें कि जर्मनी में रिकॉर्ड तोड़ 83.5 प्रतिशत मतदान हुआ था जो 1990 में इसके पुन: एकीकरण के बाद से सबसे अधिक है। ओलाफ स्कोल्ज़ की पार्टी एसपीडी की हार के प्रमुख कारण रूसी ऊर्जा पर जर्मनी की बढ़ती निर्भरता, अनियमित प्रवासन और विनिर्माण क्षेत्र का निराशाजनक प्रदर्शन भी बताये जा रहे हैं। लेकिन जिस बात ने चुनाव विश्लेषकों का ध्यान खींचा, वह है धुर दक्षिणपंथी एएफडी की ऐतिहासिक बढ़त, जिसका वोट शेयर दोगुना होकर 20.8 प्रतिशत हो गया और बर्लिन में वामपंथियों की जीत हुई। हम आपको बता दें कि एएफडी की नीतियों में अमीरों के लिए बड़ी कर बढ़ोतरी और नाटो रक्षा गठबंधन पर पुनर्विचार शामिल है।इस बीच, चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे "जर्मनी के लिए महान दिन" बताया है। ट्रम्प ने कहा है कि रूढ़िवादियों की जीत दर्शाती है कि किसी भी देश की जनता अवैध रूप से देश में आये लोगों को अपने यहां नहीं चाहती है।

Prabhasakshi NewsRoom: Germany Election में दक्षिणपंथियों की जीत पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा संदेश है
Prabhasakshi NewsRoom: Germany Election में दक्षिणपंथियों की जीत पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा संदेश है

Prabhasakshi NewsRoom: Germany Election में दक्षिणपंथियों की जीत पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा संदेश है

The Odd Naari

लेखक: रमणी शर्मा, टीम नेत्तानागरी

परिचय

हाल में हुए जर्मनी के चुनावों में दक्षिणपंथी दलों की जीत ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। इस चुनावी प्रक्रिया ने न केवल जर्मनी की राजनीतिक संरचना को प्रभावित किया है, बल्कि यह अन्य देशों के लिए भी धारणाओं और विचारों को चुनौती देने वाला संदेश प्रस्तुत करता है। दक्षिणपंथी दलों की इस जीत के कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मायने हो सकते हैं।

जर्मनी में चुनावी परिवर्तन

जर्मनी में हाल ही में हुए चुनावों में दक्षिणपंथी दलों के बढ़ते प्रभाव ने सभी को चौंका दिया है। इस बार चुनावों में दक्षिणपंथी दलों ने महत्वपूर्ण जनसमर्थन हासिल किया है। इस बदलाव के पीछे के कारणों में वैश्विक मुद्दों जैसे आव्रजन, अर्थव्यवस्था, और सुरक्षा को प्रमुखता दी जा रही है।

दक्षिणपंथिता का उदय

दक्षिणपंथी विचारधारा का उदय एक ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक स्थितियाँ बदल रही हैं। जर्मनी में आव्रजन के मुद्दों पर उठे सवालों ने दक्षिणपंथियों को मजबूत आधार प्रदान किया है। जहां एक ओर ये दल पारंपरिक जर्मन संस्कृति की रक्षा की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर ये देश में बढ़ते अपराध और हृदयविदारक घटनाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

विश्व स्तर पर प्रभाव

जर्मनी चुनावों में दक्षिणपंथियों की जीत का संदेश केवल यूरोप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। कई देशों में समान समस्याएँ और विचारधाराएँ उभर रही हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि अगर दुनियाभर में विभिन्न देश आव्रजन, सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मुद्दों का समाधान नहीं करते हैं, तो दक्षिणपंथी विचारधाराओं को बढावा मिल सकता है।

स्थानीय राजनीति पर प्रभाव

जर्मनी में दक्षिणपंथियों की जीत बाहरी राजनीति का संकेत भी देती है। यूरोप में विभिन्न देशों में चुनावों में दक्षिणपंथी दलों का उभऱना अब एक सामान्य घटनाक्रम बन रहा है। जिससे स्थानीय राजनीति एवं विचारधाराओं में एक नयी लहर का प्रभाव पड़ सकता है।

अंतिम विचार

इस चुनाव ने साबित किया है कि यदि राजनीतिक दलों ने स्थानीय और वैश्विक मुद्दों को ध्यान में नहीं रखा, तो जनसामान्य का समर्थन खो देने का जोखिम रहेगा। दक्षिणपंथियों की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बदलती परिस्थितियों में आवाज़ उठाना कितना महत्वपूर्ण है। इस सन्दर्भ में, जर्मनी के चुनावों से सभी देशों को सीख लेनी चाहिए और अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को अद्यतित करना चाहिए।

Keywords

Germany election, right-wing victory, global message, immigration issues, political impacts, European politics, local politics, social change, public opinion, political ideologies.

kam sabdo me kahein to, जर्मनी में दक्षिणपंथियों की जीत ने विश्व स्तर पर कई महत्त्वपूर्ण संदेश दिए हैं। इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

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