हरेला पर्व 2023: एक दिन में होंगे पांच लाख पौधों का रोपण, पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की पहल
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हरेला पर्व 2023: एक दिन में होंगे पांच लाख पौधों का रोपण
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By: Anita Sharma, Priya Verma, Team The Odd Naari
कम शब्दों में कहें तो
उत्तराखंड में हरेला पर्व पर इस साल पांच लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। लेकिन क्या इन पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी?…
परिचय
उत्तराखंड राज्य में हरेला पर्व का आयोजन एक बार फिर से के संचार में है। इस वर्ष, राज्य सरकार ने ऐतिहासिक पहल के तहत एक ही दिन में पांच लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया है। यह पहल न केवल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों में पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता भी बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है।
हरेला पर्व की थीम और महत्व
इस बार के हरेला पर्व का विषय "धरती मां का ऋण चुकाओ" रखा गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यह पर्व सिर्फ पौधरोपण का माध्यम नहीं है, बल्कि यह लोगों को प्रकृति के प्रति सजग रहने का भी संदेश देता है। यह पर्व समर्पण और जिम्मेदारी का प्रतीक है।
पौधरोपण का कार्यक्रम
16 जुलाई, 2023 को गढ़वाल मंडल में तीन लाख और कुमाऊं मंडल में दो लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। इस आयोजन में स्थानीय schools, colleges, और विभिन्न संगठनों, जैसे कि NCC और NSS, का व्यापक सहयोग रहेगा। यह सुनिश्चित करना जरुरी है कि पौधरोपण के साथ-साथ पौधों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए।
पौधों की देखरेख हेतु टास्क फोर्स
सरकार ने पौधों के संरक्षण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन करने का निर्णय लिया है। यह पहल इस बात को सुनिश्चित करेगी कि रोपे गए पौधे समय-समय पर देखरेख और निगरानी में रहें। सितंबर में होने वाली मॉनिटरिंग समीक्षा से इस कार्यक्रम की सफलता का आकलन किया जाएगा।
समुदाय की भागीदारी
ग्रामीणों और छात्रों की सक्रियता को बढ़ावा देने के लिए, प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुंधाशु ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सभी वर्गों के लोगों को जोड़ने का प्रयास करें। यह सामुदायिक प्रयास न सिर्फ पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि समाज में एकजुटता और सहयोग की भावना को भी बढ़ाएगा।
चिंताएँ और समाधान
हालांकि, एक बड़ी चिंता यह है कि क्या इन पौधों को निरंतर देखरेख मिल पाएगी। पहले के हरेला पर्वों में कई पौधे देखरेख के अभाव में मर गए हैं। जन जागरूकता और प्रशासन की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना इस बार अपेक्षित है।
निष्कर्ष
हरेला पर्व एक ऐसा अवसर है जो हमें केवल पौधे लगाने तक सीमित नहीं रखता, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी का एहसास भी कराता है। यह पहल न सिर्फ पर्यावरण के संरक्षण में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के बीच एकता को भी मजबूत करेगी। हरेला पर्व के माध्यम से हम एक नई शुरुआत कर रहे हैं, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सभी से निवेदन है कि अपने आसपास की प्रकृति का ध्यान रखें और इस पर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
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